छत्तीसगढ़

नवरात्रि में माता के पांचवी स्वरूप स्कंदमाता पंडित निरंकार तिवारीजी

नवरात्रि में माता के पांचवी स्वरूप स्कंदमाता
पंडित निरंकार तिवारीजी

।।ऊँ,ह्लीं सहा स्कन्दमातृयै नमः।।

नमश्चण्डिकायै

ऊँ, यज्ञेन यज्ञवजमन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्
ते ह नाकं महिमानह् सचन्त यत्र पूर्वे साध्याह् सन्ति देवाह्

प्रातह् स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्वलाभां
सद़त्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम्।
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहत्रहस्तां
रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम्।।

______स्कन्दमाता
दुसह दोष_दुख,दलनि
करु देवि दायां।
विश्व_मूलासि,जन_सानुकूलाअ्सि,
कर शूलधारिणि महामूलमाया।।

तडित गर्भांग सर्वांग सुन्दर लसत,
दिव्य पट भव्य भूषण विराजैं।
बालमृग_मंजु,खंज्जन_विलोचनि,
चन्द़बदनि लखि कोटि रतिमार लाजैं।।

रूप_सुख_शील_सीमाअसि,भीमासि,
रामाअ्सि वामाअ्सि वर बुध्दि बानी।
छमुख_हेरंब_अंबासि,जगदम्बिके,
शंभु_जायासि,जय जय भवानी।।

चंण्ड_भुजदण्ड_खंडनि,बिहंडनि महिष
मुंड_मद_भंग,कर‌,अंग तोरे।
शुंभ_निशुंभ,कुम्भीश रण_केशरिणि,
क़ोध बारीश अरि_वृन्द,बोले।।

निगम_आगम_अगम,गुर्वि!तव गुन_
कथन,उर्विधर करत जेहि सहसजोहा।
देहि मा,मोहि पन प्रेम यह नेम निज,
राम घनश्याम तुलसी पपीता।।

भूपेंद्र सबका संदेश न्यूज़ रिपोर्टर
बिलासपुर 9691444583

Related Articles

Back to top button