नवरात्रि में तीसरी माँ का स्वरुप चन्द़घन्टा देवी – पंडित निरंकार तिवारी
नवरात्रि में तीसरी माँ का स्वरुप चन्द़घन्टा देवी –
पंडित निरंकार तिवारी
ऊँ, राजाधिराज प्रसह्यसाहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
।।ऊँ,ह्लीं क्लीं श्रीं चन्द़घन्टायै नमः।।
नमश्चण्डिकायै
स मे कामान्तकामनाय मह्यं कामेश्वरो वैष्णवणो ददातु।
कुबेराय वैष्वणाय महाराजाय नमः।।
ऊँ,स्वस्ति साम़ाज्यं भौज्यं स्वराज्यं वैराज्यंपारमेष्ठयंराज्यं समन्तयायी स्यात्सार्वभौमह् सार्वयुध आंतार्दापरार्धत्पृथिव्यै समुद़पर्यताया एकरालिति।।
_______ऊँ,चन्द़घन्टा
ऊंँ,घण्टाशूलहलानि शंखमुसले चक़ं धनुह् सायं
हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्।
गौरीदेहसमुभ्दवां त्रिजगतामाधारभूतां महा_
पूर्वामत्र सरस्वतीमनुजभजे शुम्भादिदैत्यमर्दिनीम्।।
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद़ायै नियताह् प्रणताह् स्म ताम्।।
रौद़ायै नमो नित्यायै गौर्ये धात्र्यै नमो नमः।
ज्योत्स्नायै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः।।
कल्याणै प्रणतां बृध्दयै सिध्दयै कुर्मो नमो नमः।
नैर्ऋत्य भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः।।
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।
ख्यातायै तथैव कृष्णायै सततं नमः।।
अतिसौम्यातिरौद़ायै नतास्तस्यै नमो नमः।
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुध्दिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु निद़ारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषुच्छायारुपेण, संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा रुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु जातिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
स्तुता सुरैह् पूर्वमभीष्टसंश्रया_
त्तथा सुरेन्द़ेण दिनेषु सेवियां।
करोतु सा नह् शुभहेतुरीश्वरी
शुभानि भद़ाण्यभिहन्तु चापदह्।।
या साम्प्रतं चोध्दतदैत्यतापिते_
रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते।
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति नह्
सर्वापदो भक्तिविनम़मूर्तिभिह्।।
जय माँ चन्द़घन्टा
पंडित निरंकार तिवारी
भूपेंद्र सबका संदेश न्यूज़ रिपोर्टर
बिलासपुर 9691444583