छत्तीसगढ़

अतिक्रमण के मामले में कांग्रेस कर रही है सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग – विक्रम उसेंडी ……… फरसगांव तहसीलदार पर गिरी निलंबन की गाज

कोंडागांव/बोरगांव । मामला फरसगांव विकासखंड के ग्राम बोरगांव का है जहां स्थानीय शासन प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर जमकर राजनीति गरमाई हुई है ।
इस छोटे से गांव में वर्षों से कब्जा की जमीन पर से अतिक्रमण हटाने के लिए मंत्री और सचिव स्तर से स्थानीय प्रशासन पर जबरदस्त दबाव बनाया जा रहा है। जहां छग सरकार के राजस्व मंत्री मामले में विशेष रूचि ले रहे हैं वहीं विपक्ष भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी खुलकर सामने आ गए हैं।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पहुंचे पीड़ितों से मिलने

मामले का संज्ञान लेते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी पीड़ितों से मिलने स्वयं बोरगांव पहुंचकर जानकारी ली। प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि कांग्रेस द्वेष और बदले की राजनीति कर रही है। कांग्रेस सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है, उन्होंने आगे कहा कि बोरगांव के कालीपद दास और नानटू दास की जमीन अतिक्रमण के नाम पर एक बार खाली कराने के बाद फिर बार बार शासन प्रशासन द्वारा नोटिस जारी कर जान बूझ कर परेशान किया जा रहा है। चूंकि पीड़ित परिवार के लोग भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं सिर्फ इसलिए द्वेष वश यह कार्यवाही की जा रही है जो कि निंदनीय है। जबकि ऐसे बहुत सारे अतिक्रमण हैं जिन पर शासन प्रशासन द्वारा ध्यान नही दिया जा रहा है। सरकार बदले और द्वेष की राजनीति बंद करे अन्यथा हम इसका भारी विरोध करेंगे और इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष के साथ चर्चा करने की बात कही।

पूरा मामला है यह……..

पीड़ितों की बात मानें तो पिछले 55 वर्ष से उक्त भूमि पर उनका कब्जा है और प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत सन 1994 में बैंक से ॠण लेकर उक्त भूमि पर छोटा सा ढाबा संचालित कर रहे थे। उक्त विवादित भूमि के पीछे की ओर प्रकाश देवनाथ पिता अखिल देवनाथ द्वारा एसएन चक्रवर्ती को डीएनके प्रोजेक्ट द्वारा प्राप्त अहस्तांतरित भूमि को बिना अनुमति के खरीद कर उस पर अवैध रूप से व्यवसायिक परिसर निर्माण किया गया, और अपनी ऊंची पहुंच और रुतबे से शासन के साथ मिली भगत कर विवादित स्थल से कब्जा हटाया गया, और इसी खींच तान में मामला हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है।

सरकारी शह पर दूसरे पक्ष ने किया अवैध कब्जा

कुछ ही दिन पूर्व तत्कालीन एसडीएम खेमलाल वर्मा एवं तहसीलदार धनंजय नेताम (अपर कलेक्टर) द्वारा उनके पट्टे वाली जगह को छोड़कर शेष कब्जे वाली 10 डिसमिल भूमि का कब्जा हटा कर उक्त विवादित भूमि को स्थानीय प्रशासन ग्राम पंचायत के सुपुर्द किया गया था, जिसमें पंचायत द्वारा अधिकृत बोर्ड भी लगा दिया गया था परंतु कब्जा खाली करने के कुछ दिन बाद उक्त विवादित स्थल से बोर्ड को हटाकर प्रकाश देवनाथ द्वारा उक्त भूमि पर दोबारा कब्जा किया गया और शासन प्रशासन द्वारा उनके ऊपर अब तक कोई कार्यवाही न करना शासन-प्रशासन की भूमिका पर संदेह जाहिर करता है।
एकमात्र सुलभ शौचालय जो राजनीति की भेंट चढ़ने वाला है ।

फिलहाल कुछ दिन से फिर से पीड़ित के पट्टे वाली भूमि पर जहां पान ठेला एवं मोबाइल की दुकान के साथ ही शौचालय बना हुआ है। उसे फरसगांव तहसील कार्यालय द्वारा तोड़ने के लिए नोटिस जारी कर तीन दिन का समय दिया गया है। चूंकि गांव में सार्वजनिक सुलभ शौचालय न होने के कारण उक्त ढाबे का शौचालय ग्रामीण एवं यात्रियों द्वारा उपयोग किया जा रहा है तथा उक्त शौचालय को खासकर बारिश के मौसम में तोड़ना जनहित में नहीं है।

प्रकरण में फरसगांव तहसीलदार हुए निलंबित

इस मामले में निलंबित तहसीलदार अजेंद्र पानिग्राही से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि पिछले दो माह से लगातार मंत्रालय से एवं अधिकारियों द्वारा फोन कर मुझ पर दबाव एवं प्रताडि़त किया जा रहा था विधिवत कार्यवाही का आश्वासन देने के बावजूद आरोप तय करते हुए कार्य में लापरवाही का बहाना बनाकर राजस्व मंत्री के निर्देश पर आयुक्त अमृत खलखो द्वारा मुझे निलंबित किया गया।
उक्त भूमि पर एक बार एसडीएम खेमलाल वर्मा एवं तहसीलदार धनंजय नेताम की उपस्थिति में पटवारी, आरआई से नाप-जोख कर बेजा कब्जा हटाया जा चुका है, दोबारा उक्त भूमि पर बेजा कब्जा हटाने के लिए मुझ पर दबाव बनाया जा रहा है इसलिए मेरे ऊपर कार्यवाही की गाज गिरी है।

तोड़ने की जल्दबाजी शक के दायरे में

स्थानीय प्रशासन द्वारा विवादित भूमि के संबंध मे दी गई नोटिस के खिलाफ पीड़ित पक्ष द्वारा उच्च न्यायालय में स्थगन हेतु आवेदन दिया जा चुका है और यह प्रकरण पूरी तरह न्यायालयीन प्रक्रिया के अधीन है बावजूद इसके फरसगांव तहसील द्वारा विवादित ढांचे को तोड़ने की जल्दबाजी करना समझ से परे है और शासन की कार्यप्रणाली को शक के दायरे मे लाता है ।

यक्ष प्रश्न…….

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक छोटी सी जगह के लिए राजस्व मंत्री का हस्तक्षेप समझ से परे है जबकि दूसरी ओर केशकाल से लेकर कोंडागांव तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर अनेक अवैध कब्जा धारी के ऊपर प्रशासन का कार्रवाई ना होना और केवल बोरगांव ढाबे पर कार्रवाई होना।

पीड़ितों का आरोप है कि…..

पीड़ितों का कहना है कि प्रकाश देवनाथ द्वारा अवैध रूप से बिना डायवर्शन कर आवासीय भूमि पर दो मंजिला व्यवसायिक परिसर बनाकर किराए में दिया गया जिस पर कोई कार्यवाही अब तक नहीं की गई है। और दूसरी बार शासकीय भूमि पर कब्जा हटाने के बाद प्रकाश देवनाथ अपना व्यवसायिक कांपलेक्स का शेड लगाकर उक्त भूमि पर अवैध कब्जा किया जिस पर भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।

गांव के सरपंच का कहना है कि……

बोरगांव पूर्वी के सरपंच चंद्रकला सरकार ने बताया कि मेरे कार्यकाल के दौरान उक्त भूमि पर ग्राम पंचायत की अनुमति के बगैर व्यवसायिक परिसर बनाया गया और लगभग 28 दुकानों का आज तक ग्राम पंचायत को कोई टैक्स भी नहीं दिया गया है। और उक्त विवादित भूमि से कब्जा हटाने बाबत मेरे कार्यकाल में ग्राम पंचायत की ओर से किसी भी तरह का कोई आवेदन शासन को नहीं किया गया था, फिर भी प्रशासन इस अवैध कब्जा को हटाने में अपनी दिलचस्पी दिखाई।

बहरहाल इस हाई प्रोफाइल मामले का निपटारा किस प्रकार होता है। क्या पीड़ितों को न्याय मिलेगा या फिर बदले की राजनीति का शिकार बन कर रह जाएंगे।

राजीव गुप्ता

Rajeev kumar Gupta District beuro had Dist- Kondagaon Mobile.. 9425598008

Related Articles

Back to top button