स्कूल भवन जर्जर, भवन निर्माण की ओर प्रशासन का नहीं है ध्यान
स्कूल भवन जर्जर, भवन निर्माण की ओर प्रशासन का नहीं है ध्यान
शासन द्वारा शिक्षा को बेहतर बनाने काफी प्रयास कर रही है। लेकिन ये सब कागजों तक ही सीमित है।
राजा ध्रुव। जगदलपुर/सुकमा- नए शिक्षण सत्र को प्रारंभ हुए लगभग एक से दो माह होने को है और अभी तक अव्यवस्थाओं के बीच कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। कहीं विद्यालय भवन ही नहीं है तो कहीं जर्जर भवन में छात्र बैठने के लिए मजबूर हैं। आलम यह है कि छात्र जिस भवन में बैठेते हैं छत से पानी टपक रही है और तो और कई स्कूल भवन पर छत ही गायब है । ऐसे में छात्र कहां बैठे यह सबसे बड़ी समस्या आन खड़ी हुई है। शासन द्वारा शिक्षा को बेहतर बनाने काफी प्रयास कर रही है। लेकिन ये सब कागजों तक ही सीमित है। जमीनी स्तर पर हकीकत ये है कि आदिवासी अंचलों में स्कूलों की हालत बदहाल है। काफी पुराने बने स्कूल भवन अब जर्जर हो गए हैं। जिसमें बारिश होने पर कमरों में पानी टपकता है। दीवारों से प्लास्टर उखडऩे लगे है जिससे दुर्घटना का भी भय बना रहता है। स्कूल भवन जर्र्जर होने से प्रशासन के लाचार व्यवस्था के कारण बच्चों को अतिरिक्त भवन पर पिछले 5 सालों से कक्षाएं लग रही है
क्या शासन ध्यान नहीं दे रही है या प्रशासन में बैठे सरकारी कर्मचारी
हम बात कर रहे है सुकमा जिले के छिंदगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत पेदारास में बने शासकीय प्राथमिक शाला स्कूल जो चित्रकोट विधान सभा क्षेत्र में बने काफी पुराने स्कूल भवन जर्जर स्थिति में है। स्कूल भवन के मरम्मत व निर्माण नहीं होने से आज भी बच्चे जर्जर भवन में पढ़ाई करने को मजबूर है। छिंदगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत पेदारास में बने शासकीय प्राथमिक शाला भवन पूरी तरह जर्जर हो गया है बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए ग्राम पंचायत सरपंच व उप सरपंच के द्वारा स्कूल भवन निर्माण व मरम्मत के लिए कई बार प्रशासन से मांग की गई। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
वर्षो पूर्व बना यह स्कूल भवन कभी भी गिर सकता है। जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। यदि समय रहते व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाले दिनों में छात्र छात्राओ को अध्यापन कार्य करने मे भारी समस्यां का सामना करना पडेगा।