आजादी के दिन गांधी जी लेंगे जल समाधी, प्रशासनिक तंत्र से परेशान हो लिया फैसला

कोण्डागांव। जिले के प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त अफरसाहि ओर भर्ष्टाचार किसी व्यक्ति को मानसिक, शारिरिक ओर आर्थिक रूप से इस कदर परेसान कर सकती है कि वह अपने जीवन की इहलीला समाप्त करने हेतु जल समाधि लेने का फैसला कर सकता है ।
आने वाले स्वतंत्रता दिवस को जहां एक ओर देश में सभी स्थानों में आजादी का पर्व तिरंगा लहरा कर हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा वहीं कोण्डागांव के विकास नगर में रहने वाले एक ठेकेदार नगर के मुख्य मार्ग पर स्थित बंधा तालाब में जल समाधी लेते नजर आ सकते है।
आपको बता दे कि कोण्डागांव के विकासनगर में रहने वाले श्री हेमेश गांधी जी ने, मुख्यमंत्री छग शासन के नाम एक ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोण्डागांव को सौंपा है, जिसमें यह उल्लेखित है कि जिला में चरम पर व्याप्त भ्रष्ट अफसरशाही, कागजों में उलझाते हुए मानसिक रूप से प्रताडि़त करने, आर्थिक, सामाजिक रूप से क्षति पहुंचाने के कारण 15 अगस्त के दिन स्थानीय बंधा तालाब में शाम 4 बजे जल समाधी लेने का निर्णय लिया है।
क्या लिखा है ज्ञापन में गांधी ने
ज्ञापन में हेमेश गांधी ने उल्लेख किया है कि उन्हें विभागीय अधिकारियों द्वारा निरंतर कागजों में उलझाते हुए, प्रताडि़त कर सुनियोजित तरीके से आर्थिक एवं सामाजिक क्षति पहुंचाने सहित मेरे विरूद्ध कुट रचना कर 24 आपराधिक प्रकरण न्यायालय में दर्ज किए गए । जिनसे 4 वर्ष के लम्बे अंतराल के पश्चात् निर्दोष बरी किया गया। इससे सम्बंधित शिकायतें एवं निराकरण से सम्बंधित आवेदन सर्व सम्बंधितों को निरंतर लिखित, मौखिक किए जाते रहने पर भी कार्यवाही न होना, भ्रष्ट अफसरशाही की जड़ें मजबुत होना स्पष्ट करती है। ऐसी स्थिति में किन्हीं भी परिस्थितियों में न्याय की अपेक्षा बेमानी है। इस तरह से निरंतर घुट-घुट कर जीवन व्यतित करने से अच्छा होगा कि एक ही बार अंतिम निर्णय लिया जाये। जिस हेतु मेरे द्वारा पूर्ण होशो हवास में 15 अगस्त 2019 को स्थानीय कोण्डागांव के बंधा तालाब में सायं 4 बजे दिन गुरूवार को जल समाधी का निर्णय लिया गया है।
मानसिक अवसादों से मुक्ति दिलाने की थी मांग
ज्ञात हो कि उक्त पीडित ठेकेदार द्वारा लोक निर्माण विभाग कोण्डागांव के अधिकारियों पर उनके शिथिल कार्य प्रणाली के कारण पूर्व में एफआईआर दर्ज कराने हेतु पुलिस अधीक्षक एवं सिटी कोतवाली कोण्डागांव को आवेदन भी दिया जा चुका है, जिसमें उनके द्वारा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया गया है कि अधिकारीगणों के द्वारा अनुबंधित निर्माण कार्यों में अनुबंध नियमों के विपरित भ्रामक पत्राचार कर अनुबंधों को उलझाने, पूर्ण हो चुके कार्यों का भुगतान रोकने, बिना वित्तीय आबंटन प्राप्त कार्यों को पूर्ण करने हेतु दबाव डालने, भुगतान हेतु काटे गए चेकों को नियम विरुद्ध रोकने, प्रदत्त रक्षित अग्रीम की वसुली के बावजुद जमा स्टील वापस न करने से वर्ष 2011-12 से आवेदन दिनांक तक उन्हें निरंतर हो रही आर्थिक, मानसिक, सामाजिक क्षति होने के कारण ही उन्होंने मांग की है कि लो.नि.वि. के अधिकारियों के विरुद्ध समस्त दस्तावेजी साक्ष्य के साथ अपराध पंजीबद्ध कर उचित कार्यवाही करते हुए उन्हें मानसिक अवसादों से मुक्ति दिलाये जाने की मांग की थी।
कुछ वर्ष पूर्व भी कर चुके हैं ईच्छा मृत्यु की मांग
लो.नि.वि.कोण्डागांव के अधिकारियों के उक्त व्यवहार से मानसिक अवसाद एवं तनाव झेल रहे हेमेश ने यह भी बताया कि उनके जीवन में एक ऐसा भी वक्त आया था कि वे मानसिक अवसाद एवं तनाव के कारण इतने अधिक व्यथित हो गए कि उन्होंने न केवल इच्छामृत्यु की मांग करने, बल्कि आत्महत्या करने तक का मन बना लिया था, लेकिन फिर उन्हें लगा कि आत्महत्या जैसा कदम उठाना कायराना हरकत होगा और फिर उनके द्वारा न्याय पाने के लिए संघर्ष का रास्ता अख्तियार करते हुए अपनी व्यथा को आवेदनों के माध्यम से उठाने का फैसला किया।
एक बार फिर शुरू हुआ आवेदनों का दौर
फिर शुरु हुआ आवेदन देकर निवेदन किए जाने का सिलसिला, जिसमें नोटराईज नॉन ज्युडिशियल स्टॉम्प में शपथपूर्वक आवेदन राज्य के मुख्यमंत्री जनदर्शन, मुख्य सचिव छग शासन से लेकर कलेक्टर जनदर्शन तक में दिया, उक्त कहीं से किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं होने और न्याय नहीं मिलने से ही उनके द्वारा पुलिस प्रशासन के समक्ष आवेदन देने का निर्णय लिया गया। लेकिन इन सबके बावजूद आज तक न्यायोचित कार्यवाही नहीं होने पर ही उन्होंने अंततः जल समाधी लेने का निर्णय लेना ही उचित समझा ।