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पढ़िए, छत्‍तीसगढ़ की युवती से दुष्‍कर्म का आरोप झेल रहे शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या की कहानी | Shantikunj chief Dr Pranav Pandya who is facing rape charges against a girl Chhattisgarh nodakm | raipur – News in Hindi

पढ़िए, छत्‍तीसगढ़ की युवती से दुष्‍कर्म का आरोप झेल रहे शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या की कहानी

दुष्‍कर्म के आरोपों का सामना कर रहे शांतिकुंज हरिद्वार के प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या (फाइल फोटो)

डॉ. प्रणव पांड्या (Dr. Pranav Pandya) और उनकी पत्‍नी शैलजा को नामजद करते हुए दिल्‍ली के विवेक विहार पुलिस स्‍टेशन (Vivek Vihar police station) में जीरो एफआईआर (FIR) दर्ज कराई गई है.

नई दिल्‍ली. शांतिकुंज आश्रम (Shantikunj Ashram) के प्रमुख और पंडित श्रीराम शर्मा के दामाद डॉ. प्रणव पांड्या (Dr. Pranav Pandya) पर छत्तीसगढ़ की एक लड़की ने दुष्‍कर्म (Rape) का आरोप लगाया है. पीड़िता ने इस मामले में डॉ. पांड्या की पत्‍नी शैलजा को नामजद करते हुए दिल्‍ली के विवेक विहार पुलिस स्‍टेशन में जीरो एफआईआर (Zero FIR) दर्ज कराई है. आइए आपको बताते हैं दुष्‍कर्म का आरोप झेल रहे डॉ. प्रणव पांड्या की पूरी कहानी.

डॉ. प्रणव पांड्या का सबसे बड़ा परिचय यह है कि वह युग निर्माण योजना मिशन के जरिए गायत्री परिवार की स्थापना करने वाले पंडित श्रीराम शर्मा के दामाद हैं. पूर्व न्यायाधीश स्व. सत्यनारायण पांड्या के बेटे और शांतिकुंज आश्रम के प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या 1963 से गायत्री परिवार के संपर्क में आए. इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले डॉ. प्रणव पांड्या शुरुआती वर्षों तक मिशन के कार्यों से अप्रत्‍यक्ष रूप से जड़े रहे. इसके बाद 1969 से 1977 के बीच वह गायत्री तपोभूमि मथुरा और शांतिकुंज हरिद्वार में आयोजित हुए कई शिविरों का हिस्‍सा बने.

शोध संस्थान के निदेशक की मिली पहली जिम्‍मेदारी

इसी बीच, जून 1976 में उनकी तैनाती हरिद्वार स्थित भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) में हो गई. वह जून 1976 से सितंबर 1978 तक हरिद्वार स्थिति BHEL और भोपाल के अस्पतालों के इन्टेंसिव केयर यूनिट से जुड़े रहे. इस बीच, वह मिशन के कार्यों से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्‍होंने सितंबर 1978 में नौकरी से इस्‍तीफा दे दिया और हमेशा के लिए हरिद्वार चले आए. इसी दौरान युग निर्माण योजना मिशन के संस्‍थापक पंडित श्रीराम शर्मा ने हरिद्वार में ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान की स्‍थापना की थी. हरिद्वार आने के बाद डॉ. प्रणव पंड्या को इस संस्‍थान के निदेशक की जिम्‍मेदारी सौंपी गई.समय के साथ शांतिकुंज में बढ़ता गया डॉ. पांड्या का प्रभुत्‍व

समय के साथ डॉ. प्रणव पांड्या का प्रभुत्‍व शांतिकुंज में बढ़ता गया. पंडित श्रीराम शर्मा भी उनसे इस कदर प्रभावित थे कि उन्‍होंने अपनी इकलौती बेटी शैलबाला का विवाह उनसे करा दिया. शैलबाला से शादी के बाद से ही डॉ. प्रणव पांड्या को शांतिकुंज के अगले प्रमुख के रूप में देखा जाने लगा था. पंडित श्रीराम शर्मा के निधन के बाद न केवल शांतिकुंज, बल्कि पूरे गायत्री परिवार की बागडोर डॉ. पांड्या के हाथों में आ गई. इसके बाद से आज तक वे गायत्री परिवार और शांतिकुंज हरिद्वार के प्रमुख के तौर पर कार्य कर रहे हैं.

शांतिकुंज के अलावा डॉ. पांड्या के पास ये जिम्‍मेदारी

फिलहाल शांतिकुंज के अलावा डॉ. पांड्या के पास देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के निदेशक तथा अखण्ड ज्योति पत्रिका के सम्पादक की जिम्‍मेदारी भी है. डॉ. प्रणव पांड्या को 1998 में ज्ञान भारती सम्मान, 1999 में हिन्दू ऑफ दि ईयर पुरस्कार से सम्‍मानित किया जा चुका है. इसके अलावा, उन्‍हें अमेरिका के विश्वविख्यात अंतरिक्ष संस्थान ‘नासा’ द्वारा वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के प्रचार-प्रसार के लिए भी सम्मानित किया गया था.

 

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First published: May 7, 2020, 10:22 AM IST



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