शिव महामृत्युंजय जप आराधना महोत्सव 16 अगस्त से 22 तक ठाकुर परा कवर्धा कार्यक्रम स्थल में आयोजित सप्त दिवसीय यज्ञ अनुष्ठान प्रवचन व्याख्यान माला

रवि तम्बोली
।।भगवान शिव कल्याण के धाम है।।
युवा पीढ़ी को कथा सत्संग सेवा से जोड़ना आवश्यक।।
रुद्राभिषेक सहस्त्रार्चन साम्बसदा शिव महामृत्युंजय जप आराधना महोत्सव 16 अगस्त से 22 तक ठाकुर परा कवर्धा कार्यक्रम स्थल में आयोजित सप्त दिवसीय यज्ञ अनुष्ठान प्रवचन व्याख्यान माला के क्रम में आज के सत्संग सभा में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य पंडित झम्मन शास्त्री जी ने सर्वहित की भावना से जो आराधना सेवा पूजा भक्ति करते हैं।
भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। 5 वर्ष के भक्त प्रह्लाद ने भगवान से वरदान में विश्व का कल्याण हो प्राणियों में सद्भावना हो का वरदान मांगकर अमर हो गए भारत वर्ष की महिमा को पढ़ाया दिस व्हिच का चिंतन करने वाला सनातन धर्म में है वर्तमान समय में व्यक्तिगत स्वार्थ तक समाज संकुचित सीमा में बंधते जा रहा है।
परिवार समाज धर्म राष्ट्र संस्कृति के प्रति जागरूकता का अबाव निरन्तर बढ रहा है ऐसे समाज में कथा ही माध्यम है ।जो प्रेरणा दाई एतिहासिक भगवत्लीलाओ का सतसंग के द्वारा प्रचार प्रसार कर जन चेतना का विस्तार एवं आध्यात्मिक क्रांती के प्रति अभी रूचि संम्भव है ।
शास्त्री जी कथा रस पान कराते हूए।आद्यशंकराचार्य जी के जीवन दर्शन का विस्तार पुर्वक उल्लेख करते हुए ।
बताया 25 वर्ष पूर्व भगवान् शिव साक्षात प्रकट हो कर बहुत कम समय मे देश की एकता एवं अखण्ड ता के लिए सनातन धर्म की ध्वजा को देश मे पुनः प्रतिष्ठित किया ।
ऐसे विषम परिस्थितियों में उन्होंने निघ्नकारी तत्त्वों को पराजित कर तीर्थ धाम मठ मंदिर पुजा भजन संकिर्तन कथा यज्ञ की परम्परा सभी लुप्त स्थिति में था पुनः प्रतिष्ठित कर सनातन वैदिक साम्राज्य की स्थापना की शासन तंत्र एवं व्यास पीठ का शोधन कर वैदिक सनातन परम्परानुसार शासन तंत्र की स्थापना कर 4 मठ चार दिशाओं मे स्थापिना की उसी परम्परा मे पुरी पीठा के 145 वे जगद्गुरु शंकराचार्य महाभाग द्वारा धर्म एवं राष्ट्र रक्षा अभियान के आप सक्रिय सदस्य बन कर जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करे ।
आचार्य श्री ने कहा शिव शिव शिव नाम उच्चारण करने से काम क्रोध लोभ नामक दोषो का शमन हो जाता है ।
भगवान शिव मंगल के धाम है उनकी उपासना निश्छल मन से करने पर वो शिघ्र ही प्रसन्न हो जाते है।
बच्चों को बाल्यावस्था से ही संस्कारित शिक्षा अपने घरो मे ही देने का प्रयास करे प्रातः सूर्य अर्घ देना हनुमान चालीसा का पाठ करना देवता पितर ॠषि मुनि माता पिता के आज्ञा का अनुसरण करना तथा परम्परा प्राप्त व्यास पीठ के प्रति दृढ़ आस्था रखना ।वेद शास्त्र रामायण गीता महाभारत जो अद्भुत ज्ञान विज्ञान से ओत प्रोत है।
इन सबके प्रति दृढ निश्चय पूर्वक स्वाध्याय कर सके ऐसा वाता वरण प्रस्तुत करने पर मानव जिवन के मूल उद्देश्य की पूर्ति संभव है ।शास्त्री जी ने मातृ शक्ति का निरूपण करते हूऐ।की सनातन धर्म में माँ का स्थान सर्वोच्च है।
जब जब मातृ शक्ति के शील पर आघात पहुंचा ने का काम हुआ ।
साक्षात परमात्मा परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्री राम भगवान् कृष्ण ने मोर्चा संभाल कर आसुरी वृत्ति का दमन किया शासन तंत्र ऐसा हो दुर्जनों को भय व्याप्त रहे लोगो को पाप कर्म अधर्म अन्याय दुराचार के प्रति प्रवृत्ति ही न हो सके इसकी आवश्यकता है ।सात्विक रिती से सद्भाव पुर्वक विधि से यज्ञ के सम्पादन से देवता प्रसन्न होते है ।
ऐसे यज्ञ आराधन को पूर्ण करने स्वयं भगवान प्रगट हो जाते है।
विधि हीन यज्ञ करने से अन्न जल दिव्य व्यक्ति तथा वस्तुओं का लोप हो जाता है ।
उसे तामस यज्ञ कहते है ।
जिसे भगवान शिव ने स्वयं विध्वंस कर दिया ।
जैसे रावण दक्ष आदि यउज्ञ करते थे ।दुसरे को निचा दिखाने अपमानित करने अहंकार पूर्वक यज्ञ करने से सतकर्म करने पर भगवान् प्रसन नही होते है।
इतिहास मे स्वतंत्रता दिलाने मे महा पुरूषो का मान्य शंकराचार्यो का धर्म सम्राट श्री स्वामी करपात्री जी महाराज का विशेष योगदान रहा है ।
उन्होंने 1944 से 1947 के बीच बढे बढे विशाल यज्ञो का संपादन कर दैवी सम्पदा को प्रकट कर अध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करते हुए देश की स्वतंत्रता के लिये ।
दिल्ली कानपुर बंबई वाराणसी लखनऊ आदि स्थलो मे लक्ष चण्डी , कोटी चण्डी यज्ञ
सम्पन्न कराया तब जा कर सफलता मिली इस इतिहास को बताना आवश्यक है । कि धर्म आध्यात्म वैदिक परम्परा से ही सर्वविद उत्कर्ष संभव है । भौतिक विकास के नाम पर पृथ्वी के धारक तथा यज्ञ सम्पादक 7 तत्वो का लोप हो रहा है ।संयोजक डाक्टर गोवर्धन सिंह ठाकुर जी एवं पीठ परिषद आदित्य वाहिनी कवर्धा