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नरवा योजना के तहत बने नालों की मैपिंग कार्य किया जाएगा , Mapping work of drains made under Narva scheme will be done

नालों के किनारों में अर्जुन वृक्ष लगाने का दिया गया सुक्षाव
नाले के किनारे के किसानों को जैविक खेती के लिए किया जाएगा प्रेरित
छोटे से छोटे जलस्त्रोत की सफाई की जाएगी
दुर्ग /आज पाटन के जनपद पंचायत में नरवा योजना को नई दिशा देने के लिए मीटिंग रखी गई थी, जिसमें कृषि योजना और ग्रामीण विकास सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा ‘‘पानी अपना रास्ता नहीं भूलता‘‘ इसलिए आवश्यक है कि पानी का जलस्त्रोत कहां से आ रहा है, उसे चिन्हित करके हम उस जलस्त्रोत को जीवित रखने का कार्य करें। उन्होंने बताया कि नरवा योजना त्वरित में उठाया गया कदम नहीं है। यह ग्रामीण और आम जनों के हित में लिया गया ऐसा फैसला है, जिसके पीछे कई विशेषज्ञों की सालों की मेहनत है। इस योजना का सीधा उद्देश्य वर्तमान और भविष्य दोनों को ध्यान में रखकर  पानी की कमी से बचना है। वाटर रिचार्जिंग से ना केवल कृषि में फायदा मिल रहा है अपितु पीने के पानी की समस्या का निराकरण भी हो रहा है। वर्तमान में नरवा योजना से बने नालों की मैपिंग का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही नालों के किनारों का सीमांकन करके वृक्षारोपण का कार्य भी सतत रूप से चलता रहेगा। नालों के किनारों में ऐसे पौधों का वृक्षारोपण किया जाएगा जोकि मिट्टी के कटाव को रोकें । इसके लिए उन्होंने अर्जुन वृक्ष का भी जिक्र किया जो कि मिट्टी कटाव के  साथ-साथ औषधिय गुण भी रखता है।
आगे उन्होंने कहा किसी भी कार्य के सफल होने के लिए जनभागीदारी सबसे महत्वपूर्ण है और राज्य शासन द्वारा चलाई जा रही नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना की यही खासियत है कि यह योजना आमजन को भी  जोड़ता है। इन योजनाओं से ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही साथ प्रकृति को सहेजने में वे अपना योगदान भी दे रहे हैं।
नाले के किनारे के किसान करेंगे जैविक खेती- जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नाले के किनारे जिन किसानों के खेत हैं, उनका समूह या यूनियन बनाकर उन्हें जैविक खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। श्री प्रदीप शर्मा ने यह भी बात कही कि यदि नाले के समीप किसी की जमीन में पानी का भराव है तो वह किसान रिवर बेड फार्मिंग भी कर सकता है।
छोटे से छोटे जल स्रोतों की सफाई कि जाएगी- ग्रामीण अंचलों में पहले से ही जो पानी के स्रोत जैसे कुएं, तालाब ,डबरी उपलब्ध है। उनकी सफाई का कार्य भी अनिवार्य रूप से कराया जाएगा। जल जलस्त्रोत में उपलब्ध गाद, जलकुंभी इत्यादि की सफाई का कार्य निरंतर किया जाएगा ताकि प्रत्येक जल स्त्रोत का संरक्षण किया जा सके।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने राज्य शासन की नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं में बहुत सी संभावनाएं हैं । इससे ग्रामीणों को जीवन यापन करने के लिए आर्थिक आधार तो मिल ही रहा है अपितु वन्य प्राणियों को भी लाभ पहुंचा है। नरवा योजना से सूखे पड़ गए नालों का  जीर्णोद्धार हुआ  है, जिससे ग्रामीणों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया है। आज जहां-जहां भी  इन योजनाओं ने सफलतापूर्वक अपना अंतिम पड़ाव पार किया है, वहां कृषि में विकास हुआ है एवं पानी की मूलभूत समस्या का निवारण भी हुआ है। उन्होंने कहा हम बेहतर आकलन करके इन योजनाओं को और विकसित कर सकते हैं। उन्होंने सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों को गुणवत्ता युक्त कार्य करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ श्री एस आलोक,अपर कलेक्टर श्रीमती नूपुर राशि पन्ना सहायक कलेक्टर श्री हेमंत नंदनवार अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी गण उपस्थित थे।

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