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हरियाणा की तर्ज पर छग में भी बने कौशल विकास निगम रेग्यूलर कर्मचारियों के पाप का नतीजा है ठेका श्रमिक-विरेन्द्र

भिलाई/ भिलाई मजदूर संघ के केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य विरेन्द्र कुमार ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के साथ समस्त श्रम संघों की मांग है कि ठेका प्रथा खत्म किया जाये। बीएमएस ने इसमें पहल की और सन 2008 में कटक में आयोजित इसके राष्ट्रीय अधिवेशन में इसका प्रस्ताव पारित किया कि बीएमएस ठेका श्रमिकों की ओर संज्ञान लेगा एवं उनके हित के लिए कार्य करेगी। इसी आधार पर हमारे महासंघ ने ठेका मजदूरों के लिए संगठन बना कर उनका नेतृत्व खड़ा कर संविदा मजदूरों को और ठेका मजदूरों को जागरूक कर उनको संघर्ष के माध्यम से शोषण के विरूद्ध खड़े होने का मार्ग प्रशस्त किया। जिससे रचनात्मक संगठन को गति मिली। संघराधन की प्रक्रिया प्रारंभ हुआ और जिले के जिलाधिकारी एवं श्रम अधिकारियों की महती भूमिका से ठेका मजदूरों के शोषण की गांठ हरियाण में ढीली हुई और रचनात्मक संघर्ष के चलते हरियाणा सरकार ने अब यह निर्णय ले लिया है कि प्रदेश में ठेका संघ रहेगा परन्तु ठेकेदार नही रहेगा। अब हरियाणा सरकार भारतीय मजदूर संघ के साथ मिलकर इसका प्रारूप बनायेगी। अभी हरियाणा सरकार ने 2 करोड़ की राशि देकर कौशल विकास निगम बनाने की घोषणा की है। प्रदेश की छत्तीसगढ़ सरकार को भी इसी तरह छग में भी ठेका संघ रहे लेकिन ठेकेदार न रहे और यहां भी इसके लिए अलग कौशल विकास निगम बनाकर ठेका मजदूरों को राहत दें।

विरेन्द्र ने आगे बताया कि ठेका श्रमिकों की तीन आवश्यकताएं लोगों को जॉब मिले, उन्हें काम से न हटाया जाये, वेतन की सिक्यूरिटी हो और सोशल सिक्यूरिटी जरूरी है। भारतीय मजदूर संघ द्वारा श्रमिक हितों की मांग करने पर जब 97 प्रतिशत पूरी होने की उम्मीद नही रहती तब हड़ताल करता है। पहले नही। हमारा महासंघ हड़ताल से नही डरता है।

विरेन्द्र ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए  कहा कि आज जो ठेका श्रमिक है वह रेगूलर कर्मचारियों के पाप का नतीजा है। यदि वे अपना कार्य सही ढंग से समय पर करते होते तो ठेका श्रमिकों की आवश्यकता ही नही पड़ती। आज रेगूलर मजदूर पूरा वेतन मिलने के बाद भी हमेशा वेजरिवीजन सहित अन्य मांग करते हैं लेकिन ठीक उसके विपरीत ठेका मजदूरों को पूरा वेतन भी नही मिलता। बीएसएनएल के निजीकरण और उसकी घटिया सेवा के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वहां के अधिकारी बहुत ही लालची और कामचोर तथा पैसे के भूखे रहे है, तभी तो जब केन्द्र सरकार द्वारा उसके उन्नयन के लिए राशि दी गई तो अधिकारी कर्मचारी मिलकर उस राशि से अपना बचे सर्विस का राशि ले लिये और यहां दो लाख के वेतन में काम करने वाले आज वही अधिकारी कर्मचारी प्राईवेट  मोबाईल कंपनियों में 50 हजार रूपये के महिने में सर्विस कर रहे है और बीएसएनएल के पूरे प्लान को बताकर बीएसएनएल को चौपट कर दिये और प्राईवेट कंपनियों को लाभ पहुंचा रहे हैँ। पत्रकारवार्ता में प्रदेश महामंत्री अनिल कुमार साहू, उपाध्यक्ष अजय रेड्डी एवं अन्य कई सदस्य मौजूद थे।

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