किसानों के दम पर सत्ता में आने वाली सरकार की योजना कागजों तक कैसे सिमित रहती है इसका नजारा देखना है तो जांजगीर जिले के खोखरा गांव से चले जाइए

जांजगीर चांपा -किसानों के दम पर सत्ता में आने वाली सरकार की योजना कागजों तक कैसे सिमित रहती है इसका नजारा देखना है तो जांजगीर जिले के खोखरा गांव से चले जाइए।घनी अबादी के साथ साथ हजारो एकड़ में खेती यहां होती है मगर किसानों की फसले अवारा पशु चौपट कर रहें है ऐसे लगा रहा है कि यहां रोका छेका नाम की कोई योजना ही नहीं है।
ग्राम खोखरा के मुख्य मार्ग से लेकर गांव के खेतो तक केवल मवेशी ही मवेशी सड़को पर नजर आ रहा है मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन जहां रोका छेका के माध्यम से मवेशीयो को गोठानो मे रखने का आदेश जारी कर रहे है वही जिम्मेदार पदो पर बैठे सरपंच व सचिव शासन के आदेशो को नजरअँदाज कर गोठानो मे केवल दूध देने वाली गायो को ही संरक्षण देकर रख रहे है बाकी सभी गाय और बैलो का झुण्ड गांव की सडको पर विचरण करते व बैठे हुए देखा जा सकता है गांव के सरपंच स्वयं इन गायो के दूध से सुबह शाम अपने घर चाय बनाने के लिए गाय के दूध का उपयोग कर रहे है वही दूसरी ओर ठीक रोपा व बोआइ के समय मवेशी खेतो मे पहुंचकर फसलो व खेतो को भारी नुकसान पहुंचा रहे है जिससे किसान परेशान व चिंतित है
जब चुनाव के वक्ता आता है तो नेता छाती-पीट पीट कर किसान के हितैशी होने का दंभ भरते है। जिले के मातहत अधिकारियों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महती किसान हितैषी योजना को अमल में लानें कोई दिलचस्पी नहीं है। दिन भर मवेशी खेत में तो रात को सड़को में बैठ कर दुर्घटना को निमंत्रण दे रहें है।