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*सावन के महीने में दिनभर गर्मी की तपिस व उमस ने बधाई किसानों की चिंता*

*(वर्षा के अभाव में सूखने की कगार पर ज़िले के खेत-खिलहान, अकाल की संभावना)*

*बेमेतरा:-* ज़िलाक्षेत्र में मौसम एवं बारिश के अनियमितता का प्रभाव किसानों की फसलों पर स्पष्ट दिखाई पड़ने लगा है। लिहाजा कृषिप्रधान ज़िले के अन्नदाता काफी चिंतित व परेशान है। देखा जाए तो चारो विकासखण्ड क्षेत्र में पानी की कमी से फसल खराब होने का खतरा मंडराने लगा है।फलस्वरूप क्षेत्र में इसी तरह मौसम के रवैये रहने से फसल चौपट के साथ भीषण अकाल पड़ने की सन्कट गहराने लगी है।कृषि विशेषज्ञों की माने तो आगामी कुछ दिनों में अगर बारिश न हु तो बड़े स्तर पर फसलो को क्षति व नुकसान पहुंचने से कोई नही रोक सकता है। क्योंकी ताज़ा जानकारी के मुताबिक इन दिनों मौसम की अनुकूलता समझकर ज्यादातर किसान फसल की बुवाई कर चुके है, जो पर्याप्त पानी की कमी से सूखने की स्थिति में है, जिन्हें देखकर किसान परिवार व कृषक बन्धु हताश व मायूस हो रहे है।जबकि वर्तमान परिस्थितियों ने बरसात का लगातार होना बहुत जरूरी है।गौरतलब हो कि हफ्तेभर पूर्व समूचे ज़िले में जमकर बरसात हो जाने के खेत मे पानी की अधिकता हो गयी थी। जिससे फसल बर्बाद होने की आशंका बढ़ गयी थी। वही अब हफ्तेभर बाद खेतो व कृषको को पानी की कमी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। हालांकि कृत्रिम जल संसाधनों पर आश्रित अन्नदाताओं को इस संकट का सामना नही करना पड़ेगा। किन्तु प्राकृतिक संसाधनों व वर्षा पर निर्भर रहने वाले खेतिहर किसानों को अब अपने फसल के लिए सोचना पड़ रहा है। क्योंकि दिनभर भारी उमस व तपन के कारण क्षेत्र की गर्मी काफी बढ़ गयी है। लिहाजा मौसम की अनियमितता का असर अब ज़िले के किसानों के खेतों पर नज़र आने लगा है।आगामी दिनों अगर बारिश नही हुई तो फसल का पीला पड़कर खराब होना तय है।लिहाजा किसानों को अपने कृतिम संसाधनों का जुगाड़ करना बहुत जरूरी हो गया।फलस्वरूप देखा जाए तो कृषि प्रधान ज़िले समुचे क्षेत्र में मौसम के बदलाव व परिवर्तन का प्रभाव फसलो पर पड़ना स्वभाविक है, जिससे किसान वर्ग चिंतित है।

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