उत्तराखंडः दो से अधिक बच्चे हैं तो नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव!

सबका संदेश न्यूज़ – शैक्षणिक योग्यता के लिए हरियाणा मॉडल परफेक्ट
इस मसौदे को बनाने के दौरान शैक्षणिक योग्यता को लेकर हरियाणा के मॉडल को उपयुक्त माना गया. हरियाणा में सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता हाईस्कूल, अनुसूचित जाति के लिए आठवीं और आरक्षित वर्ग की महिला के लिए पांचवीं पास होना जरूरी है. ऐसे में यदि इस मॉडल को लिया जाता है तो उत्तराखंड में भी यही होगा.
जुलाई में खत्म हो रहा है कार्यकाल
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में अकेले हरिद्वार को छोड़कर पंचायतों का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है. इसके चलते चुनाव अब सितंबर में हो सकते हैं. यदि यह संशोधित विधेयक पारित होता है तो आने वाले चुनाव इसी तर्ज पर होंगे और कई लोग यह चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.अब उत्तराखंड में पंचायत चुनावों को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है. अब ऐसे लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने की संभावनाएं कम दिख रही हैं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं. साथ ही प्रतिनिधियों की शैक्षिक योग्यता के निर्धारण को लेकर भी बदलाव होने की बात चल रही है. राज्य सरकार इस संबंध में जल्द ही विधानसभा में पंचायती राज एक्ट में संशोधन विधेयक लाने जा रही है. विधेयक पारित होने की स्थिति में आने वाले पंचायती चुनाव भी इसी तर्ज पर करवाए जाएंगे. गौरतलब है कि राज्य में हरिद्वार के अलावा अन्य सभी 12 जिलों में सितंबर में ही पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं.
हरियाणा और राजस्थान के पंचायती राज एक्ट देखने के निर्देश
राज्य का अपना पंचायतीराज एक्ट 2016 में अस्तित्व में आया था. इसके बाद वर्तमान में राज्य सरकार ने इसमें संशोधन करने का निर्णय लिया. सरकार ने एक्ट में नगर निकायों की तरह ही पंचायतों में चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की शर्त और न्यूनतम शैक्षिणक योग्यता के बदलाव पर जोर दिया. इसके लिए पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडेय ने मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए थे. इस मसौदे के लिए अधिकारियों को हरियाणा और राजस्थान के पंचायती राज एक्ट को देखने को कहा गया. साथ ही न्याय विभाग से भी राय मांगी गई. फिलहाल दो बच्चों के मामले में तो बदलाव होने के लिए सभी तरफ से हरी झंडी मिल गई है लेकिन शैक्षणिक योग्यता पर निर्णय होना बाकी है.
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