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मछलियों संग बत्तख पालने से ऐसे होता है बड़ा फायदा, बताया यह तरीका Such is the big advantage of keeping ducks with fish, told this method

नई दिल्ली. मौजूदा हाल को देखते हुए लोगों ने अपनी खाने की थाली में नॉनवेज (Nonvage) को जगह देना भी शुरु कर दिया है. इससे मछली (Fish) की डिमांड भी बढ़ी है. डिमांड बढ़ी तो उत्पादन भी बढ़ने लगा. यही वजह है कि कई राज्यों की सरकार मछली पालन को बढ़ावा दे रही हैं. उसमे से यूपी सरकार (UP Government) भी एक है. बीते चार साल में यूपी (UP) का मछली उत्पादन भी सवा लाख टन से ज्यादा बढ़ गया है. मछली के साथ बत्तख पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी के चलते राज्य सरकार मछली और बत्तख (Duck) पालन के लिए आर्थिक मदद भी दे रही है.

मछली संग बत्तख पालने से ऐसे होता है फायदा 

 

मछली उत्पादन में प्रदेश स्तर पर कई पुरस्कार जीतने वाले डॉक्टर संजय श्रीवास्तव के मुताबिक यूपी में मछली की जितनी खपत होती है, उसका अधिकांश हिस्सा आंध्र प्रदेश से आता है. लिहाजा इस क्षेत्र में अब भी भरपूर संभावना है. अगर मछली के साथ बत्तख पालन किया जाय तो दोहरा लाभ होगा। पूर्व पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विद्यासागर श्रीवास्तव के एक हेक्टेयर तालाब में मछली के साथ पलने वाली 200-300 बतखों की बीट ही मछलियों के लिए भरपूर भोजन है.

अलग से आहार न देने के चलते ही मत्स्य पालक की करीब 60 फीसद लागत बचती है. डॉ. विद्यासागर के अनुसार मच्छरों का लार्वा बतखों का स्वाभाविक आहार है. ये तालाब, आबादी के आसपास या धान के खेत में मौजूद मच्छरों के लार्वा को सफाचट कर जाती हैं

6.18 लाख मीट्रिक टन से 7.46 लाख पर पहुंचा मछली उत्पादन

4 साल पहले तक घाटे का सौदा माना जा रहा मछली पालन अब युवाओं की पसंद बनने लगा है. बीते 4 साल में यूपी में कुल 7.46 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन हुआ. चार साल पहले के मुकाबले यह 1.28 लाख मीट्रिक टन ज्यादा है. मछली उत्‍पादन में यूपी अब दूसरे राज्‍यों के लिए मिसाल बन गया है.

 

 

नई दिल्ली. मौजूदा हाल को देखते हुए लोगों ने अपनी खाने की थाली में नॉनवेज (Nonvage) को जगह देना भी शुरु कर दिया है. इससे मछली (Fish) की डिमांड भी बढ़ी है. डिमांड बढ़ी तो उत्पादन भी बढ़ने लगा. यही वजह है कि कई राज्यों की सरकार मछली पालन को बढ़ावा दे रही हैं. उसमे से यूपी सरकार (UP Government) भी एक है. बीते चार साल में यूपी (UP) का मछली उत्पादन भी सवा लाख टन से ज्यादा बढ़ गया है. मछली के साथ बत्तख पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी के चलते राज्य सरकार मछली और बत्तख (Duck) पालन के लिए आर्थिक मदद भी दे रही है.

मछली संग बत्तख पालने से ऐसे होता है फायदा 

मछली उत्पादन में प्रदेश स्तर पर कई पुरस्कार जीतने वाले डॉक्टर संजय श्रीवास्तव के मुताबिक यूपी में मछली की जितनी खपत होती है, उसका अधिकांश हिस्सा आंध्र प्रदेश से आता है. लिहाजा इस क्षेत्र में अब भी भरपूर संभावना है. अगर मछली के साथ बत्तख पालन किया जाय तो दोहरा लाभ होगा। पूर्व पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विद्यासागर श्रीवास्तव के एक हेक्टेयर तालाब में मछली के साथ पलने वाली 200-300 बतखों की बीट ही मछलियों के लिए भरपूर भोजन है.

अलग से आहार न देने के चलते ही मत्स्य पालक की करीब 60 फीसद लागत बचती है. डॉ. विद्यासागर के अनुसार मच्छरों का लार्वा बतखों का स्वाभाविक आहार है. ये तालाब, आबादी के आसपास या धान के खेत में मौजूद मच्छरों के लार्वा को सफाचट कर जाती हैं.

 6.18 लाख मीट्रिक टन से 7.46 लाख पर पहुंचा मछली उत्पादन

4 साल पहले तक घाटे का सौदा माना जा रहा मछली पालन अब युवाओं की पसंद बनने लगा है. बीते 4 साल में यूपी में कुल 7.46 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्‍पादन हुआ. चार साल पहले के मुकाबले यह 1.28 लाख मीट्रिक टन ज्यादा है. मछली उत्‍पादन में यूपी अब दूसरे राज्‍यों के लिए मिसाल बन गया है.

इसी तरह से मछली उत्पादन बढ़ता रहे और ज्यादा से ज्यादा लोग इस कारोबार से जुड़ें इसके लिए 7883 मत्‍स्‍य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्‍ध दे कर 69.72 करोड़ रुपये का लोन दिया गया है. चार साल में यूपी के 2821 मछली पालकों को मछुआ आवास दिए गए हैं. यूपी में ही 3392.74 लाख मीट्रिक टन मत्‍स्‍य बीच का भी उत्‍पादन हुआ है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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