छत्तीसगढ़

मरीज के परिजन कर रहे है वार्ड बॉय का काम ।The relatives of the patient are doing the work of ward boy.

राजा ध्रुव। जगदलपुर- बस्तर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में वार्ड ब्वॉय का कुछ काम मरीज के परिजनों को ही करना पड़ता है। वार्ड ब्वॉय करते हैं अनदेखा हर दिन अस्पताल में मरीज के परिजन ही स्ट्रेचर या व्हीलचेयर पर मरीजों को ढोते नजर आते हैं।
अस्पताल आकर परिजन तो वैसे ही परेशान रहते हैं, बाकी की रही-सही कसर अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था पूरी कर देती है। वहीं सबकुछ देखते हुए भी वार्ड ब्वाय इसे नजर अंदाज कर देते हैं। परिजनों को खुद ही कभी एक्स-रे रूम, कभी सिटी स्केन रूम तो कभी डॉक्टर तक मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर ले जाने मशक्कत करनी पड़ती है। बस्तर संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल मे अव्यवस्था का आलम है। इस कारण यहां भर्ती होने वाले मरीजों व उनके परिजनों को कई बार काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन दिनों ऎसा ही कुछ नजारा यहां देखने को मिला है। गंभीर रूप से बीमार या घायल मरीज व उसके बेहाल परिजन जब मरीज को अस्पताल पहुंचते हैं तो डयूटी पर तैनात वार्ड ब्वाय का यह कर्तव्य है कि वह मरीज को स्ट्रेचर या व्हीलचेयर पर ले जाकर डॉक्टर या संबंधित वार्ड तक पहुंचाए। यदि वार्ड ब्वाय मौके पर उपस्थित नहीं है तो गार्ड भी यह काम करना होता है। लेकिन देखने में यह आ रहा है कि वार्ड ब्वाय का यह काम मरीज के परिजन कर रहे हैं। शहर सहित दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से गंभीर रूप से घायल या बीमार मरीज को लेकर उसके परिजन अस्पताल इस विश्वास के साथ पहुंचते हैं कि यहां उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उनकी परेशानी और बढ़ जाती है
बीमार मरीज को लेकर वे वैसे भी पहले से ही काफी परेशान रहते हैं। बाकी की कसर डयूटी पर तैनात वार्ड ब्वाय पूरी कर देते हैं। होता ये है कि मरीज को लेकर तत्काल डॉक्टर के पास जाना होता है या डॉक्टर द्वारा उसे वार्ड में भर्ती करने कहा जाता है। ऎसी स्थिति में मरीज के परिजनों को यह पता नहीं होता है कि डॉक्टर कहां बैठे हैं या उक्त वार्ड कहां हैं। ऎसे में उन्हें काफी परेशानी होती है। जानकारी के अभाव में जैसे-तैसे व्हीलचेयर या स्ट्रेचर पर लिटाकर वे मरीज को सही जगह पहुंचा पाते हैं।अनदेखी करते हैं वार्ड ब्वाय अधिकांश मौकों पर यह देखने में आया है कि जब मरीज को उसके परिजन स्ट्रेचर पर डॉक्टर के पास या वार्ड में ले जा रहे होते है, उस दौरान कई वार्ड ब्वाय वहां उपस्थित होते हुए भी अनदेखी करते हैं। ग्रामीणों को यह जानकारी नहीं होती है कि वार्ड ब्वाय का काम वे कर रहे है। इस कारण वे उन्हें बोल भी नहीं पाते हैं। वहीं इसका फायदा वार्ड ब्वाय उठाते हैं।सही जगह पहुंचने में होती है देरी गंभीर रूप से अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के लिए पल-पल कीमती होता है। यहां पहुंचने के बाद वे पर्ची कटाकर जल्द डॉक्टर के पास पहुंचना चाहते हैं, लेकिन जानकारी न होने के कारण वे सही समय पर सही जगह पर नहीं पहुंच पाते हैं। कई बार वे इधर-उधर दूसरों से पूछते रहते हैं। ऎसे में कई बार काफी देर हो जाती है और गंभीर मरीजों को जान भी गंवानी पड़ती है। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के ऎसे लोग जो पहली या दूसरी बार अस्पताल पहुंचते हैं, उन्हें पूरी जानकारी नहीं होती है। उन्हें यह पता नहीं होता है कि एक्स-रे रूम, सीटी स्केन, सोनोग्राफी या जिस डॉक्टर से उन्हें मिलना है, उनके बैठने की जगह कहां है। ऎसे में वे परेशान रहते हैं।मरीज को लाना-ले जाना वार्ड ब्वाय का है काम ।गंभीर रूप से बीमार या घायल को सही जगह पर पहुंचाना डयूटी पर तैनात वार्ड ब्वायस का ही काम है। इसके लिए उन्हें निर्देशित भी किया गया है। यदि मौके पर वार्ड ब्वाय मौजूद नहीं हो तो यह काम महिला गार्ड को भी करना होता है। लेकिन वार्ड ब्वायस की यह जिम्मेदारी बनती है।

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