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*आधी रात पत्रकार के भेष में लुटेरों की रेवे घाट में दस्तक, ग्रामीण को लगाया 30 हज़ार का चूना*

*बेमेतरा/बेरला:-* ज़िले के बेरला थाना क्षेत्र के ग्राम रेवे के शिवनाथ नदी स्थित रेत घाट में लगातार रेत खनन के बीच बीते दिनों आधी रात तड़के वीआइपी गाड़ी के माध्यम से अज्ञात पत्रकारों की टीम आ धमके। जहां मौके पर मौजूद रेत तस्करो से करीब 30 हज़ार रुपये पत्रकारिता के धौस देकर ले उड़े है। चूंकि मामला अगले दिन ज़िले की सुर्खियों में आ गयी। जिसपर अब पुलिस की टीम को अज्ञात पत्रकारों को ढूंढना पड़ रहा है, गौरतलब हो कि इसके पहले कुछ पत्रकार झोलाछाप व बगैर डिग्रीधारी चिकित्सकों से उनके क्लीनिक पर जाकर दस्तक देते थे। जिस पर पुलिस की टीम जांच में लगी हुई है। वही अब रेवे की घटना ने प्रशासन को सक्रिय कर दिया है।
दरअसल मामला आज से दो दिनों पूर्व का है, जहां रेवे की घाट पर दिन के साथ साथ आधी रात को भी रेत तस्करो द्वारा शिवनाथ नदी को चीरकर रेत खनन कर निकाला जा रहा था, जिसकी भनक लगते ही कुछ अज्ञात लोग पत्रकार की भेष में आ पहुंचे।जहां पर प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों ने बताया कि जो लोग आधी रात घाट पहुंचे थे वे लोग ज़िले के पत्रकार नही है, किसी दूसरे क्षेत्र के दिखाई दे रहे थे।लम्बी कद काठी व दाढ़ी के साथ पत्रकारिता की वेशभूषा में थे।जिन्होंने कुछ तस्करों को रेत ले जाते पकड़े जाने पर खूब डराया व धमकाया। जिसके पश्चात तस्करो द्वारा मामला दबवाने अज्ञात पत्रकारों से 30 हज़ार में सौदा फिक्स कर उन्हें रवाना किया। अगले दिन यानी गुरुवार को खबर से अफरा तफरी मच गई। इस घटना ने आस पास के ग्रामीणों की सोचने पर विवश कर दिया, क्योंकि पत्रकारों का असल काम जनता की आवाज उठाना है न कि जनता की आवाज को दबाना।इस सम्बंध में बेरला थाना के तत्कालीन प्रभारी पुष्पेंद्र कुमार भट्ट को सूचना दी गयी थी। वही इस घटना पर सरपँच पति दिनेश महार ने अभिनज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि ऐसी घटना सरासर गलत है।

*लगातार पत्रकारिता की आड़ में हो रहा कारोबार*
दरअसल पत्रकारों की भेष में लगातार कई फ़र्ज़ी व अज्ञात लोगों की दस्तक हो रही है, जिन्हें न तो ज़िले के आला अफसर पहचानते है और न जिलेभर के पत्रकार व जनता।जिसका फायदा उठाते है। रेवे का मामला इसका साक्षात प्रमाण है। वही कुछ दिनों पूर्व झोलाझाप डॉक्टरों व बगैर डिग्रीधारी चिकित्सकों के क्षेत्र से भी इसी तरह का मामला सामने आया था।जिससे मामला गम्भीर हो रहा है।दीगर क्षेत्रों के लोग पत्रकार के वेशभूषा व शैली में लोगों को खूब चुना लगाते है, जिसपर सम्बन्धित लोग डर व लाज के कारण शिकायत नही करते। जबकि क्षेत्र एवं न्यूज़ फील्ड से उनका किसी भी तरह का ताल्लुक़ भी नही रहता है।जिससे असल पत्रकारों की छवि जनता के बीच मे खराब हो रही है।

*रेवे घाट बना तस्करों के लिए सेफ्टी व बड़ा अड्डा*
चूंकि लगभग महीनेभर से धड़ल्ले से ट्रेक्टरों का हुजूम नदी के दोनों ओर खड़ा होकर रेत ले जा रहे है, जिस पर सम्बन्धित विभाग एवं प्रशासन ने भी तस्करो को खुली छूट दे रखी है।दर्जनों की तादाद में गाड़ियां रेत भरकर आसपास के इलाके में डम्प कर शासन को ठेंगा दिख़ाकर खूब चूना लगा रही है। वही संबंधित अधिकारी जिम्मेदारी से मुक्त होकर शासकीय दफ्तर में आराम फरमा रहे है।विगत दिनों घाट पर 5 ट्रैक्टर पलट जाने की भी सूचना आयी जिसके बावजूद कुंभकर्ण की नींद से अफसर नही जाग पा रहे है, जबकि यह किसी की जान ओर भी आ सकती है।आलम यह है कि रेवे सरपंच पति एवं खम्हरिया एम के सरपंच के कई कोशिशो एवं रातभर डटे रहने के बावजूद रेत तस्करी पर लगाम नही लग पा रहा है। जिसमें प्रशासन की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

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