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इस साल 60 हजार विदेशी भी कर सकेंगे हज, सऊदी सरकार ने दी इजाजत This year 60 thousand foreigners will also be able to perform Haj, Saudi government allowed

रियाद. इस साल विदेशी तीर्थयात्रियों को हज (Hajj 2021) करने की अनुमति दी जाएगी. सऊदी गजट के अनुसार, धार्मिक तीर्थयात्रा 2021 सीज़न में सभी के लिए खुली रहेगी, लेकिन कोविड-19 (Covid-19) को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा नियम बरतने जरूरी होंगे. सांप्रदायिक सद्भाव समिति में प्रधानमंत्री के विशेष प्रतिनिधि मौलाना ताहिर अशरफी ने शनिवार देर रात बताया कि सऊदी अरब इस साल हज के लिए दुनिया भर के 60 हजार लोगों को हज पर आने की इजाजत देगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर इस साल 18 साल से कम और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को हज पर आने की इजाजत नहीं होगी.

इनमें भारत के लोग भी शामिल होंगे. पिछले साल भी कोरोना वायरस की महामारी की वजह से नियमित हज यात्रा नहीं हो सकी थी. केवल 1,000 तीर्थयात्रियों को तीर्थ यात्रा करने की अनुमति दी थी. इससे पहले हज यात्रा को लेकर पिछले साल दिसंबर में एक रिपोर्ट जारी हुई थी, इसमें बताया गया था कि कोरोना महामारी के कारण इस बार की हज यात्रा महंगी होगी. बता दें कि हज यात्रा दुनियाभर के मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे लगभग सभी मुसलमान अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार जरूर करना चाहते हैं. धार्मिक रूप से सभी मुसलमानों के लिए यह अनिवार्य है कि आर्थिक स्थिति सही होने की स्थिति में उन्हें हज करना होगा.

हज का महत्व  

कुरान इस्लाम के पांच स्तंभ का उल्लेख करता है- शहादा, सलात (नमाज़), जकात (दान), सौम (रोज़ा) और हज करना. मक्का और मदीना को इस्लाम में बहुत पवित्र शहर माना जाता है. यह इस्लाम का जन्म स्थान भी कहा जाता है. मक्का एक ऐसा शहर है, जहां सबसे पहले नमाज अदा करने के लिए स्थान बनाया गया था. हज इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने यानी जिलहिज्जा की आठवीं से 12वीं तारीख तक किया जाता है.

हज यात्रियों को सफा और मरवा नामक दो पहाड़ियों के बीच सात चक्कर लगाने होते हैं. सफा और मरवा के बीच पैगम्बर इब्राहिम की पत्नी ने अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी तलाश किया था. इसके बाद मक्का से करीब 5 किलोमीटर दूर मिना में सारे हाजी इकट्ठा होते हैं और शाम तक नमाज पढ़ते हैं. अगले दिन अरफात नामी जगह पहुंच कर मैदान में दुआ का खास महत्व होता है.

अराफात से मिना लौटने के बाद हज यात्रियों को शैतान के प्रतीक रूप में बने तीन खंभों पर कंकरियां मारनी होती हैं. ये रस्म इस बात का प्रतीक होता है कि मुसलमान अल्लाह के आदेश के आगे शैतान को बाधा नहीं बनने देंगे.

 

 

 

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