रक्षकों की रक्षा में फल-फुल रहा अवैध प्लाटिंग का बड़ा कारोबार : धनोरा

दुर्ग – अमिर धरती के गरीब किसान जिस प्रकार से भुमाफियायों के द्वारा छले जा रहे है इसका प्रत्यक्ष उदहारण ग्राम धनोरा में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है ! गरीब किसान अपनी आजीविका के लिए खेती के माध्यम से दो जुन की रोटी बमुश्किल से जूता पाते है, जिसका एक मुख्य कारण यह भी है की ग्रामीण अंचल के किसान भुमाफियायों को पटवारी तहसीलदार की मिलीभगत में कूटरचित ठंग से अपनी जमीन को बेचने की लिए बाध्य होते है, इस वजह से कई किसान आज सड़क पर आ गए है क्योकि भुमाफिया, पटवारी एवं तहसीलदार की मिलीभगत से धनोरा ग्राम के किसान लालच में आकर अपने पुरखों की जमीनों को बेच देते है, और अपने इस तनाव को दूर करने शराब के शेवन करने के आदि हो जाते है ! और इसी का फायदा उठाकर भूमाफिया उनकी खेतों की जमीन को हडपने में अपने आपको गौरान्वित महशुस करते है, ऐसे प्रकरणों पर अगर शुक्ष्मता से जांच की जाए तो इसमें पटवारी, आर आई और तहसीलदार की मिलीभगत की सच्चाई सामने आने की पूरी सम्भावना है ! आश्चर्य तो इस बात का है की जमीन का बी वन खसरा से लेकर रजिस्ट्री तक की कार्यप्रणाली पर रजिस्टार के माध्यम से बिना जांच पड़ताल के रजिस्ट्री कर दी जाती है, इसके बाद ये भूमाफिया बिना ग्राम निवेश से अनुमति लिए धडल्ले से दलालों के माध्यम से मनचाहे भाव में बेचकर अपनी तिजोरियां भरने में लगे है ! कोटवार > पटवारी > आर आई > तहसीलदार इन राजस्व के रक्षक के होते हुए बिना कृषि भूमि बिना डायवर्शन के बिना टाउन एंड कंट्री विभाग से अनुमति लिए कैसे धडल्ले से प्लाट बेच रहे है ये एक बड़े जांच का विषय हो सकता है ! क्षेत्र के कई ऐसे मामलों में कई किसानों ने जिलाधीश महोदय से न्याय की गुहार लगाईं है !