छत्तीसगढ़

योग और आयुर्वेद के मंत्र से कोरोना को मिल रही मात, हो रहे दीर्घायु योग और आयुर्वेद के मंत्र से कोरोना को मिल रही माताओं, हो रही हैं

योग और आयुर्वेद के मंत्र से कोरोना को मिल रही मात, हो रहे दीर्घायु
योगाचार्य हितेश कुमार तिवारी जी (संगठन सचिव,छत्तीसगढ़ योग शिक्षक महा संघ) से विशेष बातचीत की गई। उन्होंने बताया योग के द्वारा कोरोना को आसानी से मात दिया जा सकता है।

कोरोना से जंग में रोग प्रतिरोधक क्षमता की अहमियत से हर कोई बखूबी वाकिफ है। यही कारण है कि कुछ समय पहले लॉकडाउन के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से सात वचन मांगे तो उन्होंने भी आयुष मंत्रालय की सलाह से योग के साथ आयुर्वेद की राह अपनाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर ही सबसे अधिक बल दिया।नतीज़तन छत्तीसगढ़ योग शिक्षक महा संघ सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में व अन्य कुछ प्रदेशो में वर्चुअली व स्वउपस्थित हो कर जन साधारण व कोरोना संक्रमितों को योग आसनः व प्राणायाम का प्रशिक्षण दे रहे है व स्वस्थ रहने हेतु प्रेरित कर रहे है।

प्रश्न- क्या योग एवं आयुर्वेद में वह शक्ति है, जो कोरोना को मात दे सके ?

उत्तर- योग का वर्णन शास्त्रों और पुराणों में भी मिलता है। इसी प्रकार आयुर्वेद का महत्व भी बहुआयामी है। वस्तुत: ये भारत की प्राचीन-अर्वाचीन विधाएं हैं, जिन्हें अपनाकर आरोग्यता ही नहीं, दीर्घायु भी प्राप्त की जा सकती है। आज जब भारत सहित पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा है तो हर किसी को इस अतुलनीय शक्ति के बूते महामारी का सामना करना चाहिए। योग के साथ आयुर्वेद व संतुलित आहारचर्या की राह अपनाना नितांत आवश्यक है।

प्रश्न- इन दिनों किस प्रकार की योग क्रियाएं करनी चाहिए ?

उत्तर- देखिए, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, कपालभांति और मंडूक आसन,भुजंगासन, पर्वत आसनः,मार्जरी आसन,विसर्ग प्राणायाम,सूक्ष्म व्यायाम सरीखी क्रियाएं तो नियमित रूप से करनी चाहिए। इनसे कोरोना से लडऩे में मदद मिलती है। शरीर में रक्त संचारण और ऊर्जा का संतुलित प्रवाह बेहद आवश्यक है। कैलोरी भी बर्न होनी चाहिए। योग मुद्राएं इसी में सहायक हैं।

प्रश्न- किस योग मुद्रा से क्या लाभ मिलता है ?

उत्तर- शुगर व बीपी की समस्या में प्राणायाम, कपालभांति, अनुलोम विलोम और मंडूक आसन से लाभ मिलेगा। इसी तरह, शुगर के क्रोनिक रोगियों को मंडूक आसन अवश्य करना चाहिए। पेनक्रियाज रोगियों को भी इससे फायदा होगा। इसके अलावा पवन मुक्त आसन, व्रजासन और उत्तानपाद सरीखी क्रियाएं भी बहुपयोगी हैं। लेटकर पैर उठाएं और वात न बनने दें।

प्रश्न- जो लोग नियमित योग नहीं करते, क्या उन्हें मौजूदा हालात में ऐसा करने से वाकई लाभ होगा ?

उत्तर- क्यों नहीं, यही तो योग में निहित अछ्वुत शक्ति है कि इसका त्वरित लाभ अवश्य मिलता है। कोई साइड इफेक्ट नहीं है। मैंने स्वयं इस पर शोध किया है कि जो नियमित रोग नहीं करते थे, अचानक ऐसा करने पर कुछ ही घंटों में उनके डब्ल्यूबीसी यानि श्वेत रक्त कणों में वृद्धि हो गई। इसलिए नियमित साधकों सहित हर किसी को योग अवश्य करना चाहिए।

प्रश्न- योग क्रियाओं के साथ बेहतर परिणाम के लिए गर्म पानी और काढ़ा पीने पर भी जोर दिया जा रहा है ?

उत्तर- बिलकुल, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में इनसे कारगर मदद मिलती है। मसलन, इस समय विभिन्न प्रकार का काढ़ा पीना बेहद फायदेमंद है। खासकर, ह्रदय रोगी अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीएं और इसमें लौंग भी डाल दें तो अच्छा रहेगा। इसी तरह ब्लड प्रेशर के शिकार व्यक्ति लौकी का जूस पीते रहें। शुगर रोगियों को गिलोय का काढ़ा पीना चाहिए। करेला भी खाएं। खीरा, टमाटर व अन्य सलाद सबको लेना चाहिए। दूध में हल्दी का सेवन भी कर सकते हैं।

प्रश्न- लॉकडाउन भले ही खत्म हो गया हो लेकिन लोग अभी भी महामारी को लेकर गहरे तनाव से जूझ रहे हैं। इससे कैसे निजात पाएं ?

उत्तर- इसके लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना सबसे जरूरी है। ॐ के स्वर के साथ प्राणायाम, कपालभांति, अनुलोम विलोम करने से तनाव मिटता है। खुद को हंसाते रहें और दूसरों को भी उदास न रहने दें।

प्रश्न- अनलॉक का दौर शुरू हो चुका है। इसके पीछे जान के साथ जहान जरूरी होने का तर्क दिया गया है। इस पर कुछ कहेंगे ?

उत्तर- बिलकुल। यह वाइर्क बहुत जरूरी है लेकिन जब तक खतरा कायम है, तब तक सब बेहद अनिवार्य कार्य को छोड़कर शेष समय घर पर ही रहकर इम्यूनिटी बढ़ाने पर ध्यान दें। कामगार, मजदूर खुद को फिट रखें। यकीनन, अर्थव्यवस्था का ध्यान रखना आवश्यक है मगर सबकी स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ। बेहतर होगा कि गरीबों, जरूरतमंदों की सेवा को संकल्प के रूप में अपनाएं और इस पर पूरी संवेदनशीलता से अमल भी करें।

-: योगाचार्य हितेश कुमार तिवारी
संगठन सचिव ,(छत्तीसगढ़ योग शिक्षक महासंघ)

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