रचनाकार ने कविता के माध्यम से कोरोना संक्रमण, पड़ोसी देशों का बर्ताव व समसामयिक जीवन शैली का वर्णन किया है। मधुकर की कलम से.रचनाकार ने कविता के माध्यम से कोरोना संक्रमण, पड़ोसी देशों का बर्ताव व समसामयिक जीवन शैली का वर्णन किया है। मधुकर की कलम से।
रचनाकार ने कविता के माध्यम से कोरोना संक्रमण, पड़ोसी देशों का बर्ताव व समसामयिक जीवन शैली का वर्णन किया है। मधुकर की कलम से..
कविता
“इतनी नींद क्यों आती है मुझे”
इतनी नींद क्यों आती है मुझे
गोधूलि बेला से लेकर प्रभात
तक
अलार्म बजता है,
यह सिलसिला चलता है।
कानों में अपुष्ट नाद अनवरत
जैसे घोड़ा बेचा हो,
राह में मुनाफा हुआ हो,
अविराम सोए चला जाता हूं मैं
न किसी की याद में
न किसी की चाह में
न कामयाबी की तमन्ना
ना वैभव की लालसा
नींद से जगूं तो सामने
आताताई,
रवि की तेज किरणें
कोरोना का हुंकार,
युद्ध का शंखनाद,
मानव विप्लव से घिरा हुआ
यह सिलसिला अनवरत
इतनी नींद क्यों आती है मुझे
गोधूलि बेला से लेकर प्रभात तक।
के पी मधुकर
एम.ए. हिंदी, एम लिब.
“आजाद कश्मीर की यात्रा करूँगा ” मधुकर की कलम से…
कविता “आजाद कश्मीर की यात्रा करूँगा”
आजाद कश्मीर की यात्रा करूँगा
वहाँ की खिली-खिली वादियों को,
निरन्तर झर- झर बहते झरनों को,
वहां की संस्कृति और भाषाओं को,
लहलहाती फसलों और बागानों को,
चहचहाती चिड़ियों और बालाओं को,
मैं अपनी आंखों में कैद कर लूंगा।
आजाद कश्मीर की यात्रा करूँगा।।
श्रीनगर की रूमानी विशेषताओं को,
घूमते फिरते पर्यटकों की आदाओं को,
घाटी के फूलों की खुशबुओं को,
कश्मीर के महकते केसर की हवाओं को,
मैं अपनी साँसों में भर लूंगा।
आजाद कश्मीर की यात्रा करूँगा।।
जम्मू में हिन्दू, कश्मीर में मुस्लिम और
लद्दाख में बौद्धों की सभ्यताओं को,
सिन्धु, झेलम और रावी नदी की लहरों को,
आजाद कश्मीर की वैचारिक निकटताओं को,
मैं अपने जीवन मे आत्मसात करूँगा।
आजाद कश्मीर की यात्रा करूँगा।।
के पी मधुकर
एम ए हिंदी,एम लिब.