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कोदवा में स्टोन क्रशर प्लांट संचालकों की मनामनी, भरे लॉकडाउन में कलेक्टर के आदेश व प्रोटोकॉल की उड़ा रहे धज्जियां

*बेमेतरा/कोदवा:-* ज़िले के स्टेट हाइवे पर स्थित ग्राम कोदवा-मोहभट्ठा में इनदिनों जिलाव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रोटोकॉल को ताक में रखकर स्टोन क्रशर प्लांट में मज़दूरों से कार्य कराए जाने का गम्भीर मामला प्रकाश में आ रहा है।जिसमे खनिज विभाग के संरक्षण में लॉकडाउन की आड़ में नियम-नीति के उलट काम किया जा रहा है।चूंकि यह कार्य लॉकडाउन के शुरुआती दौर से निरंतर किया जा रहा है।जिसमे अवैध रूप से क्रशर मशीन चलाकर मनामनी व लापरवाहीपूर्वक कार्य कराया जा रहा है।इस दौरान कुछ मज़दूरों से बात करने पर बताया कि क्रशर प्लांट के संचालकों द्वारा कार्य के लिए शासन-प्रशासन से लॉकडाउन में विशेष परमिशन लिया गया है।जिसके कारण वे उक्त कार्य को लॉकडाउन में पूरा कर रहे है। लिहाजा जिम्मेदार विभाग की कार्यशैली व विश्वनीयता पर भी सवालिया निशान उठ रहा है।जिस पर जिम्मेदार ज़िला प्रशासन को गम्भीरता से लेने की दरकार है।

गौरतलब हो कि समूचे ज़िले में इन दिनों कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के चलते ज़िलाव्यापी लॉकडाउन कलेक्टर शिव अनन्त तायल द्वारा कड़ाई के साथ लगाया गया है।जिसके परिपालन में पूरे ज़िला प्रशासन की टीम गाँव-गाँव व शहर-शहर दौरा एवं निरीक्षण कर हालात का जायजा लेते हुए अवैध रुप से कार्य करते पाए जाने पर प्रतिबंधात्मक एवं दण्डात्मक कार्यवाही की जा रही है।वही उन्ही के प्रशासन की नाक के नीचे ज़िले के स्टेट हाइवे ओर स्थित अमानक क्रशर प्लांटों में अवैधानिक रूप से कार्य को मज़दूरों के हवाले से अंजाम दिया जा रहा है।जिसमे मज़दूरों की सुरक्षा हेतु न पर्याप्त मास्क न शरीरिक दूरी न सेनेटाइजर की व्यवस्था दिखाई पड़ रही है, जो एक प्रकार से मज़दूरों की सेहत से भी खिलवाड़ है।बरहहाल ज़िला प्रशासन को उक्त शासकीय गतिविधि पर कार्यवाही के लिए भी बड़ी चुनौती दे रहा है।जबकि नियम कर मुताबिक ज़िलेभर में कोरोना महामारी व लॉकडाउन प्रोटोकॉल के तहत किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य की सख्त मनाही व पाबन्दी है।इसके बावजूद आज हफ्तेभर से करीब दर्जनभर मज़दूरों को लेकर अवैध रूप से कार्य पूरा किया जा रहा है।जिससे जनमानस में प्रशासन की छवि भी धूमिल हो रही है।

*लॉकडाउन में दिख रही प्रशासन की दोहरी नीति*

दरअसल जब लॉकडाउन में नियम विपरीत मज़दूरों से कार्य लिए जाने की सूचना मिली तो कुछ ग्रामीण उक्त स्थल पर जाने पर मज़दूरों को घटनास्थल पर कार्य करते पाया गया।जिसमे भीषण महामारी एवं लॉकडाउन के संकटकाल में कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध किया जा रहा है।जो कि कही न कही इस पर जिम्मेदार अफसरों को तत्काल मौके का मुआयना कर दण्डात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए,नही तो आम नागरिकों के लिए लगाए लॉकडाउन का कोई मतलब या सरोकार नही होगा।क्योंकि आमजनता पर लॉकडाउन उल्लंघन पर कड़ी कार्यवाही व ठेकेदारों पर प्रशासनिक मेहरबानी का किस्सा दोहरी नीति युक्त एवं भेदभावपूर्ण माना जायेगा।जिससे प्रशासन की कार्यशैली भी अप्रभावी बन जायेगा।

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