छत्तीसगढ़

निजी क्लीनिक संचालकों की मनमानी, नियमों को ताक पर रख कर रहे कोरोना संक्रमितों का इलाज

लोरमी। लोरमी इलाके में कोरोना महामारी काल में एक ओर जहां झोलाछाप डॉक्टरों का कहर जारी है, वहीं दूसरी ओर बगैर विषेशज्ञ डॉक्टरों के क्लीनिक का संचालन नियमों को ताक पर रख धड़ल्ले से किया जा रहा है. एक नाम कंचन क्लीनिक का सामने आया है. क्लीनिक में बुखार व खांसी और पैरालिसिस अटैक की बीमारी से जूझ रहे दो मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई है. जिनके शव को आनन-फानन में अंतिम संस्कार के लिए क्लीनिक प्रबंधन के द्वारा उनके घर भेज दिया गया.

जानकारी के अनुसार, बुखार व खांसी से परेशान 82 वर्षीय बुजुर्ग कालीचरण को कंचन क्लीनिक में भर्ती कराया गया था. मरीज की स्थिति को देखते हुए उन्हें ऑक्सीजन भी लगाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान मौके पर ही मौत हो गई. मृतक के शव को अंतिम संस्कार के लिए तत्काल मुक्तांजलि वाहन में घर भेज दिया गया. इस पूरे मामले में सवाल है कि जब वह बुजुर्ग व्यक्ति बुखार व खांसी से पीड़ित था, तो उनकी कोरोना जांच क्यों नहीं कराई गई.

मामले में निजी क्लीनिक के संचालक डॉ. डीडी सिंह ने कहा कि मृतक कालीचरण निमोनिया की बीमारी से जूझ रहा था. उनका ऑक्सीजन लेवल भी 74 था. इस समय माहौल को देखते हुए उनको कोविड पेशेंट ही बोल सकते हैं. मेरे यहाँ हर दो महीने में उनका इलाज होता ही रहता था. सांथ ही किसी भी मरीज में कोविड के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर मरीज को जिथ्रोमाइसिन समेत अन्य टेबलेट देकर इलाज करते हैं.

उन्होंने क्लीनिक में बहुत से पेशेंट आने की वजह से रोज किट खत्म होने की बात कही. इसके बाद प्राइवेट क्लीनिक में किट रखने की अनुमति नहीं होने की बात कहने लगे. सवाल यह है कि प्राइवेट क्लीनिक में कोविड जांच करने की अनुमति ही नहीं है, तो इन्हें किट कहाँ से मिल रहा है. इस मामले में एसडीएम चित्रकान्त चार्ली ठाकुर ने जांच करवाते हुए कोरोना काल में राज्य शासन के सभी नियमो का पालन करने निर्देश देने की बात कही है.

 

 

 

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