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जानिए कैसे अब खून की जांच लाएगी अवासाद के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव Know how the blood test will bring revolutionary changes in the treatment of Avasad

अवसाद (Depression) एक ऐसा विकार है जिसे आमतौर पर या तो इंसान के मानसिक बर्ताव तक ही सिमित रखा जाता है या फिर उसे सीधे पागलपन से जोड़ दिया जाता है. आज भी अगर कोई मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से सलाह लेते है तो बहुत से लोग यह मानने में देर नहीं लगाते कि उसका पागलपन का इलाज चल रहा है. मनोचिकत्सक भी अवसाद के निदान (Diagnosis) के लिए मरीज के बताए हुए लक्षणों पर ही निर्भर करते हैं. लेकिन एक खास खून की जांच (Blood Test) डॉक्टरों को लोगों में अवसाद के स्तर जानने में मददगार साबित होगी. उम्मीद की जा रही है कि यह एक क्रांतिकारी खोज साबित हो सकती है.

एक नया सिस्टम

आम तौर पर मनोचिकित्सक अवसाद के शिकार किसी मरीज की शारीरिक जांच के लिए ही खून की जांच कराते हैं. वे यह पता करने के प्रसाय करते हैं कि कहीं कोई शारीरिक बीमारी तो मरीज की मनोवस्था को खराब नहीं कर रही है. लेकिन हाल ही में विकसित किए गया नया सिस्टम ऐसे ब्लड बायोमार्कर्स पर निगरानी रखते हैं जिनका संबंध मरीज की मनोदशा (Mood) विकारों से होता है. इस सिस्टम से अवसाद और बाइपोलर विकार के निदान से लेकर इलाज तक में नए बदलाव आ सकते हैं.

चिकित्सकों की निर्भरता
इस सिस्टम की पड़ताल और उससे संबंधित नतीजे मॉलीक्यूलर साइकियाट्री में प्रकाशित हुए हैं. अवसाद वैसे तो सदियों से पहचानी जाने वाली विकार या बीमारी है और करोड़ों लोग दुनिया भर मे इससे प्रभावित होते हैं. इसके परंपरागत निदान डॉक्टर मनोवैज्ञानिक और मनोचिकत्सकों के क्लीनिकल आंकलनों पर ही निर्भर होते हैं.

 

भविष्य में बहुत ही उपयोगी होगा
अभी तक खून की जांच अवसाद और उसके जैसे अन्य विकारों के निदान के दायरों में शामिल नहीं किया गया है. नया शोध यह सुझाता है कि भविष्य में डॉक्टर इन विकारों को समझने के लिए केवल मरीज के बताए लक्षणों पर निर्भर नहीं रहेंगे. वे अब स्वतंत्र रूप से अवसाद की स्तिथि का आंकलन कर सकेंगे. इस अध्ययन का कहन है कि भविष्य में यह एक व्यवहारिक विकल्प हो कर सामने आएगा.

 

 

 

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