9 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा विशालकाल उल्कापिंड

यूं तो हमारी धरती के पास से कई छोटे-छोटे आकाशीय कण या उल्कापिंड गुजरते रहते हैं, लेकिन विशालकाय उल्कापिंडों पर खगोलीय वैज्ञानिक लगातार नजर बनाकर रखते हैं। अब हाल ही में धरती के पास से एक विशालकाल ऐस्टरॉइड गुजरने वाला है, जिसका आकार एक फुटबॉल के मैदान के बराबर है। नासा सहित दुनिया की अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के वैज्ञानिक लगातार इस विशालकाय ऐस्टरॉइड पर नजर बनाए हुए है। इस ऐस्टरॉइड को इस साल का अभी तक सबसे बड़ा ऐस्टरॉइड बताया जा रहा है, जो धरती के पास से गुजरने वाला है।
इसके बारे में सबसे पहले वैज्ञानिकों ने मार्च महीने में पता लगाया था।
– 2021 AF8 काफी छोटा है लेकिन फिर भी यह काफी खतरनाक है।
– 2021 AF8 ऐस्टरॉइड 9 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी के पास से गुजरेगा।
धरती से 34 लाख किमी दूर से गुजरेगा उल्कापिंड
खगोल वैज्ञानिकों ने बताया कि यह ऐस्टरॉइड धरती से करीब 34 लाख किलोमीटर की दूरी से सुरक्षित गुजरेगा। इस ऐस्टरॉइड को नासा ने खतरनाक ऐस्टरॉइड की श्रेणी में रखा है। गौरतलब है कि NASA का Sentry सिस्टम लगातार ऐसे ही खगोलीय खतरों पर नजर रखता है। Sentry सिस्टम के शोध के मुताबिक आने वाले 100 सालों में 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं, जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी संभावना है। इस सूची में सबसे पहला और सबसे बड़ा ऐस्टरॉइड 29075 (1950 DA) है, जो 2880 तक नहीं आने वाला है। इस ऐस्टरॉइड का आकार अमेरिका की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग का भी तीन गुना ज्यादा है।
जानिए किसे कहते हैं ऐस्टरॉइड
ऐस्टरॉइड्स दरअसल अंतरिक्ष में चक्कर लगा रही ऐसी चट्टानें होती हैं, जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं और कई बार इनका मार्ग भी निश्चित नहीं होता है। हमारे सौर मंडल में अधिकतर ऐस्टरॉइड्स मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब 4.5 अरब वर्ष पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए, वे ऐस्टरॉइड्स में बदल गए।