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घाटे का सौदा: भारत से कपास आयात के यू-टर्न पर पाकिस्तान में नाराजगी

पाकिस्तान सरकार द्वारा भारतीय कपास के आयात की अनुमति नहीं दिए जाने को लेकर पाकिस्तानी कपड़ा क्षेत्र हताश है। वह सरकार से इस बात को लेकर नाराज है कि उसने भारत से कपास न खरीदकर देश के कपड़ा निर्यात को सबसे बड़ी चोट पहुंचाने की कोशिश की है। पाकिस्तानी टेक्सटाइल उद्योग ने इस यूटर्न का विरोध करना शुरू कर दिया है।बता दें कि पाकिस्तान में फिलहाल अमेरिका, ब्राजील और उज्बेकिस्तान से कपास आयात हो रहा है जो न सिर्फ महंगा है बल्कि उसे पाक तक पहुंचने में दो माह तक लग जाते हैं। जबकि भारत से यही कपास कम दामों पर महज दो से तीन दिन में पहुंच जाता है।विदेशी खरीददारों को भी नकारात्मक संदेश देगा क्योंकि पूरे देश में सूती धागा उपलब्ध नहीं है। बता दें कि ईसीसी ने भारत से चीनी, कपास और सूती धागे के आयात को आयात की मंजूरी दी थी। बुधवार को पाक वित्तमंत्री ने इस बाबत घोषणा भी की लेकिन अगले ही दिन इस पर यूटर्न ले लिया। पाक टेक्सटाइल उद्योग ने इस यूटर्न को देश के लिए भारी घाटे का सौदा साबित होने वाला बताया।भारत से आयात वक्त की जरूरत
पाकिस्तान एप्रेल फोरम के चेयरमैन जावेद बिलवानी ने कहा कि इमरान सरकार का यूटर्न पाकिस्तानी कपड़ा उद्योग के लिए खतरनाक साबित होगा क्योंकि भारत से कपास आयात पाक के व्यापक हित में है। उन्होंने सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के सलाहकार अब्दुल रज्जाक दाउद के उस फैसले का भी स्वागत किया जिसमें कहा है कि भारत से कपास आयात वक्त की वास्तविक जरूरत है।

भारत से आयात का दबाव जारी
पाकिस्तान का कपड़ा निर्यात क्षेत्र लगातार ड्यूटी फ्री कपास की मांग कर रहा है और ड्यूटी फ्री कपास पाकिस्तान को भारत से ही सस्ता मिल सकता है। किसी और देश से इसे खरीदने पर उसे पाकिस्तान तक लाने की लागत ही इतनी बढ़ जाती है, कि वो घाटे का सौदा साबित होने लगता है। लिहाजा, पाकिस्तान का कपड़ा उद्योग इस यूटर्न के बाद सरकार पर लगातार भारत से कपास आयात का दबाव बना रहा है।

 

 

 

सूती धागे की उपलब्धता तय करे सरकार
पाकिस्तानी कपड़ा उद्योग ने सरकार से कहा है कि वह देश में सूती धागे की उपलब्धता सुनिश्चित करे क्योंकि यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश का कपड़ा निर्यात औंधे मुंह गिर जाएगा। मौजूदा साल में देश को कपास उत्पादन में 40 प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ा और अगर 2014-2015 में इसकी तुलना 15 मिलियन गांठ के साथ की गई, तो इस साल यह गिरावट 50 प्रतिशत थी।

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