छत्तीसगढ़

कोविड-19 से ही नहीं उसके वैक्सीन से भी डरते हैं योरोपीय देश.

कोविड-19 से ही नहीं उसके वैक्सीन से भी डरते हैं योरोपीय देश…

 

कुछ महीने पहले तक कोरोना वायरस और उसके नये म्यूटेन्ट्स से भयभीत दुनिया को एक अदद दवा और एक अदद वैक्सीन की सख़्त ज़रूरत हुआ करती थी । हर किसी को वैक्सीन की बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा थी और अब जबकि वैक्सीन लगनी शुरू भी हो चुकी है तो वैक्सीन के साइड-इफ़ेक्ट्स से भय का एक नया वातावरण तैयार हो गया है । अफवाह के पहले झोंके ने फैलाया कि इस वैक्सीन के स्तेमाल से नपुंसकता होती है फिर दूसरे झोंके ने फैलाया कि इसके स्तेमाल से रक्तवाहिकाओं में ख़ून के थक्के बन जाते हैं जिससे मृत्यु हो जाती है । अफ़वाहों का आलम यह है कि ज़र्मनी और फ़्रांस जैसे विकसित देश भी इनकी ज़द से मुक्त नहीं हैं ।

अफ़वाहों से प्रभावित होना मनुष्य के स्वभाव का एक ऐसा लक्षण है जो हवा में गाँठ लगाते हुये कई विवादों और आधारहीन संघर्षों को जन्म दे सकता है । ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनिका निर्मित कोविड-19 वैक्सीन के बारे में कई योरोपीय देशों में यह धारणा बन गयी है कि इस वैक्सीन के प्रयोग से पल्मोनरी इम्बोलिज़्म और डीप वेन थ्रॉम्बोसिस जैसे साइड इफ़ेक्ट्स हो रहे हैं । इस धारणा के कारण लगभग बारह देशों ने अपने यहाँ एस्ट्राज़ेनिका की वैक्सीन के स्तेमाल पर रोक लगा दी है । ग़नीमत है कि भारत की स्वदेशी वैक्सीन्स के बारे में कोई अफ़वाह नहीं है और इन्हें सुरक्षित माना जा रहा है जो भारतीय वैज्ञानिकों की बहुत बड़ी उपलब्धि है । दुनिया भर ने भारतीय वैज्ञानिकों पर भरोसा जताते हुये वैक्सीन के ऑर्डर्स दिये हैं, यही कारण है कि भारत अभी तक दुनिया भर के कई देशों को वैक्सीन के कुल साठ मिलियन डोज़ दे चुका है ।

एस्ट्राजेनिका निर्मित कोविड-19 वैक्सीन के विभिन्न आयु समूहों एवं लिंग वाले 10 मिलियन से अधिक लोगों पर किये गये अध्ययन में पल्मोनरी इम्बोलिज़्म या डीप वेन थ्रॉम्बोसिस जैसे जोख़िम बढ़ाने वाले कोई भी लक्षण नहीं पाये गये हैं । ट्रायल की विश्वसनीयता की पुष्टि के लिये विभिन्न बैच में बनी वैक्सीन के डोज़ेस को कई देशों में अलग-अलग समुदायों के मनुष्यों में स्तेमाल किया गया और परिणामों की गहन जाँच में इन्हें निरापद पाया गया । इसके बाद भी पल्मोनरी इम्बोलिज़्म या डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के कॉम्प्लीकेशंस से भयभीत ज़र्मनी, इटली, फ़्रांस, स्पेन, डेनमार्क, नार्वे, नीदरलैण्ड्स, आयरलैण्ड, लक्समबर्ग, साइप्रस, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, बुल्गारिया रोमानिया, आइसलईण्ड और ऑस्ट्रिया की देखादेखी अब मेक्सिको, द डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो, नाइज़ीरिया, इण्डोनेशिया और थाइलैण्ड ने भी इस वैक्सीन का स्तेमाल अपने देश में फ़िलहाल रोक दिया है ।

कैसे फैली अफवाह!
यह संयोग की बात है कि किसी हृदयरोगी को कोविड-19 वैक्सीन का डोज़ दिया गया और कुछ घण्टों बाद उसकी मृत्यु हो गयी । पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि इस तरह की घटनाओं में हर एक की मृत्यु का तात्कालिक कारण अलग-अलग था जिसमें पल्मोनरी इम्बोलिज़्म भी सम्मिलित है ।
यह संयोग की बात है कि जिस ट्रेन में कोई यात्रा कर रहा था उसकी एक कोच में आग लग गयी और यात्री की जलने से मृत्यु हो गयी । यात्री की मृत्यु के लिये किसे उत्तरदायी माना जायेगा, ट्रेन यात्रा को, या कोच में आग लगने को, या उन आतंकवादियों को जिन्होंने जानबूझकर आग लगायी या रेलवे प्रशासन को?

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