छत्तीसगढ़

पारेख ने अपने पैतृक व्यावसाय पशुपालन को बनाया आजीविका का साधन

पारेख ने अपने पैतृक व्यावसाय पशुपालन को बनाया आजीविका का साधन

प्रतिदिन 80 लीटर दूध बेचकर 30 हजार रूपये की कर रहें आमदनी

 

नारायणपुर, 16 सितम्बर 2021- देश के युवा जहां एक ओर सिर्फ सरकारी नौकरी के पीछे भाग रहे है, वहीं कुछ ऐसे भी युवा हैं, जो स्वयं रोजगार निर्मित दूसरों को रोजगार उपलब्ध करा रहे है और एक सफल व्यावसायी बन रहे है। ऐसी ही कहानी नारायणपुर जिले के समीप स्थित गांव करलखा के पशुपालक पारेख कुमार यादव की है, जिसने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अपने पैतृक व्यावसाय पशुपालन को अपनी आजीविका का साधन बनाया। नारायणपुर जिले में दुग्ध की कमी ने उन्हें इस व्यावसाय की ओर आकर्षित किया और इसे एक अवसर मानते हुए, उसने वर्श 2011-12 से दूध बेचना प्रारंभ किया। एक सफल व्यावसायी के रूप में कार्य करते हुए पारेख अपने दूध के व्यावसाय के विस्तार के लिए निरंतर प्रयास करते रहे। पारेख बताते हैं कि उनके पिता किसान है, घर में मवेशियों की आवश्यकता को देखते हुए पहले बैल आदि रखकर खेती का कार्य किया करते थे। धीर-धीरे दूध हेतु कुछ गायों को रखना प्रारंभ किया। किन्तु उन्नत नस्ल न होने के कारण पर्याप्त मात्रा में दुग्ध उत्पादन नहीं होता था।
पारेख कुमार ने बताया कि उसके पास उन्नत नस्ल की साहीवाल, गिर और एचएफ नस्ल की 9 गायें है और 5 बछड़े है। इन गायों से प्रतिदिन लगभग 80 लीटर दूध का उत्पादन होता है। जिसे नारायणपुर में डोर-टू-डोर 50 रूपये प्रति लीटर के दर से विक्रय करते है। पारेख अपने व्यावसाय को उन्नत बनाने में जुटे हैं तथा दुग्ध बेचकर प्राप्त आय से उन्होंने साढ़े तीन लाख रूपये की लागत से गायों के लिए षेड निर्माण करवाया है। जिससे पशुओं को किसी भी मौसम में परेशानी न हो। वर्तमान में डेयरी में 1 सहयोगी भी कार्यरत हैं, जिन्हें डेयरी के माध्यम से रोजगार मिला है। पारेश दूध व्यावसाय से प्रतिमाह 30 हजार प्रतिमाह आय प्राप्त कर रहे हैं तथा क्षेत्र के लोगों को भी पर्याप्त दुग्ध आपूर्ति हो रही है। उन्होंने बताया कि उसके पास 4 एकड़ खेत भी है, जिसमें गाय से मिलने वाले गोबर का उपयोग खेत में खाद के रूप में करते हैं, जिससे कृषि उत्पादकता भी बढ़ी है। वहीं कुछ हिस्से में उसने गायों के लिए हरा चारा लगा रखा है। बेहरत प्रबंधन के साथ ही पारेख व्यवसायिक दृष्टिकोण भी रखते है। पारेख का कहना है कि डेयरी फार्म को और विस्तार कर लोगों को शुद्ध दुग्ध के साथ-साथ रोजगार भी मुहैया करायेंगे। पारेख युवाओं को डेयरी उद्यम के क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए कार्य करने की अपील भी कर रहे हैं।

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