छत्तीसगढ़ चेम्बर आफ कामर्स का चुनाव रद्दीकरण* *राजनीतिक दलों द्वारा व्यापारिक हितों का अपहरण
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*छत्तीसगढ़ चेम्बर आफ कामर्स का चुनाव रद्दीकरण*
*राजनीतिक दलों द्वारा व्यापारिक हितों का अपहरण*
छत्तीसगढ़/रायपुर :
आज 11 मार्च से छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों के लिए चुनाव प्रक्रिया के तहत मतदान प्रारंभ हुआ है, यह चुनाव व्यापारी हित में स्थगित किया जाना चाहिए……
पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि व्यापारी वर्ग के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के चुनाव के लिए, जैसे राजनीतिक पार्टियों में दिखावा किया जाता है झूठे वीडियो बनाए जाते हैं, झूठे वादे किए जाते हैं, धन का दुरुपयोग किया जाता है, यह सब किया जा रहा है।
यह हम नहीं कह रहे हैं रायपुर भिलाई दुर्ग राजनांदगांव बलोदा बाजार बालोद धमतरी कांकेर के व्यापारियों से चर्चा करने के बाद यह बात और यह दर्द सामने आया है, यह भी कटु सत्य है कि छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के संरक्षक मंडल के सदस्य शायद मौन धारण कर लिए हैं और कुछ बोलना उचित नहीं समझ रहे हैं।
संरक्षक सदस्यों को भी पीड़ा है, जिस तरीके से जबरदस्ती लोगों के बाइट लेकर सोशल मीडिया में उसका प्रचार प्रसार किया जा रहा है, इन सब बातों से तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह व्यापारियों के प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं है, इसमें कहीं ना कहीं राजनीतिक पार्टियों के अंश प्रवेश कर चुके हैं और वह यह सब तरीका अपनाये जा रहे हैं।
व्यापारियों का यह मानना है कि राजनीतिक पार्टियों में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले लोगों को व्यापारी के प्रतिनिधि के नाम से पदाधिकारियों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, यह अनुभव बहुत बुरा रहा है। व्यापारियों की समस्याओं को लेकर कभी भी ठोस निर्णय नहीं लिया गया, आंदोलन नहीं किया गया अपने राजनीतिक पार्टियों के आकाओं के इशारे पर समर्थन और विरोध की नीति तय की गयी, यह व्यापारीगण सब समझ रहे हैं, उनकी पीड़ा प्रकट हुई है और कहना है कि वर्तमान चल रहे छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के व्यापारियों के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों के चुनाव स्थगित कर दिया जाना चाहिए और संरक्षक मंडल के सदस्यों को एक तदर्थ सर्वानुमति से पदाधिकारियों की टीम घोषित करनी चाहिए। जिसमें राजनैतिक विचारधारा वाले लोगों का समावेश ना हो, सिवाय व्यापारी हित में काम करने वाले और सक्रिय रूप से व्यापार में काम करने वाले हों, ऐसे लोगों का ही मनोनयन होना चाहिए, हमारी भावना किसी को ठेस पहुंचाने की नहीं है, लेकिन जो चल रहा है उसमें व्यापार करने वाले लोगों में नाराजगी है।
जिस तरीके से मतदान के लिए राजनीतिक पार्टियां वाहन की और भोजन की व्यवस्था करती है, पहली बार देखने को मिल रहा है कि छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी धन का दुरुपयोग कर वाहनों की व्यवस्था कर रहे हैं, इसकी भी अंदर खाने शुद्ध रूप से व्यापार करने वाले लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है। राजनीतिक पार्टियों के लोग जिलों के व्यापारियों को मोबाइल करके लोगों के पक्ष में मतदान करने के लिए दबाव डाल रहे हैं, यह भी उचित नहीं है। यह सब पहली बार देखने को मिल रहा है, अगर इस तरीके से राजनीतिक पार्टियां पर्दे के पीछे छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के चुनाव में भाग ले रही है, तो फिर यह कमेटी जो निर्वाचित होगी, वह निष्पक्ष नहीं होगी, कहीं ना कहीं उसकी किसी न् किसी पार्टी के विचारधारा की ओर उसका झुकाव रहेगा, जो कि व्यापारी हित में नहीं होगा। चुनाव के वक्त जिस तरह राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं के जाति के हिसाब से वोटों का ध्रुवीकरण करती हैं, उसी तरह से व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए बना संगठन छत्तीसगढ़ चैम्बर आफ कॉमर्स के चुनाव में भी जातिवादी संस्कार का प्रवेश हो चुका है, यह संस्कृति भविष्य में व्यापारिक और व्यवसायिक हितों की रक्षा के लिये कतई उचित नहीं है।
व्यापारी आज बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं, उन्हें राज्य सरकार और केंद्र सरकार से संरक्षण चाहिए, वह कहां मिलेगा, संघर्ष कैसे होगा? यह सब चिंतन मनन का विषय है।