मानसिक बीमार व्यक्ति जानकारी के अभाव में, उपेक्षा अथवा साधनों के अभाव में उपचार प्राप्त करने से वंचित रह जाते है।

इन्हें भी वह सब अधिकार प्राप्त हैं जो एक सामान्य व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।
दुर्ग / 23 फरवरी 2021/ राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से अशक्त व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण नालसा की स्कीम के तहत प्रदान की जाने वाली विधिक सेवाओं के प्रति जागरूकता लाने हेतु जिला अस्पताल में मानसिक रोगियों के निरीक्षण कर सचिव राहुल शर्मा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा बताया गया कि नालसा मानसिक रोगी और मानसिक अशक्तताग्रस्त व्यक्तियों को प्रभावशाली विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विधिक सेवाएं योजना बनाई है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ तथा मानसिक अशक्ता से ग्रस्त व्यक्ति कलंकित लोग नहीं है। उनके साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा। जैसा किसी अन्य व्यक्ति से जिसे उसके हक के सभी अधिकारों को प्रवृत करने में सहायता मिलती है। जैसा कि उन्हें विधि द्वारा आश्वासित किया गया है मानसिक बीमार व्यक्ति को उपचार प्राप्त करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुछेद-21 से उत्पन्न उपचार एवं उचित स्वथ्य की देखरेख का अधिकार सभी मानसिक बीमार व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होता है। मानसिक बीमार व्यक्तियों पर जानकारी के अभाव के कारण या अंधविश्वास अथवा साधनों के अभाव अथवा कलंक इत्यादि से उपजे अवैध परिरोध के कारण उपचार प्राप्त करने में वंचित रह जाते हैं। विधिक सेवा संस्थान इस संबंध में जारी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगी और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षित किया जाएगा कि मनोपचार उपचार योग्य है। मनोरोगी का इलाज संभव है। इसके अतिरिक्त इस बाबत प्रचार-प्रसार किया जाएगा कि मनोरोगियों के साथ भी अन्य लोगों के साथ सामान्य व्यवहार एवं सहानुभूति पूर्वक बर्ताव किया जाना आवश्यक है। जागरूकता शिविर में मानसिक अशक्तता के विषय में भ्रम एवं भ्रांतियां दूर करने का प्रयास किया जाएगा। ऐसे मनोरोगी व्यक्तियों के परिवार के सदस्य एवं नातेदार को मानसिक रोगियों एवं मानसिक रूप से अशस्त व्यतिकयों से संबंधित सम्पत्ति एवं उनके अन्य विधिक अधिकार के संबंध में शिक्षित किए जाने का प्रयास किया जाएगा। मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 1987 की धारा-19 के अंतर्गत प्रावधान है कि किसी मानव रोगी को मनोचिकित्सालय एवं मनोचिकित्सा नर्सिंग होम में भर्ती इलाज कराने के लिए आवेदन मनोरोगी के नातेदार अथवा उनके नजदीकी मित्र के द्वारा किया जा सकता है। साथ ही बताया गया कि धारा-20 एवं धारा-21 के अंतर्गत आवेदन प्राप्ति उपरांत मनोरोगी के इलाज एवं व्यक्तिगत सुरक्षा संरक्षण के लिए मनोचिकित्सालय में भर्ती किए जाने का प्रावधान है। इसी प्रकार धारा-23 और धारा-25 के अंतर्गत इस संबंध में पुलिस के अधिकार एवं दायित्व का उल्लेख किया गया है। प्रशासन ने बताया कि धारा-53 के प्रावधान अनुसार मनोरोगी व्यक्ति का संरक्षक नियुक्ति किए जाने का प्रावधान है। धारा-54 के प्रावधान अनुसार जहां मनोरोग व्यक्ति अपने निजी संपत्ति की देखभाल करने में सक्षम नहीं है। वहां जिला न्यायालय के द्वारा ऐसे मनोरोगी की संपत्ति का संरक्षण नियुक्ति किए जाने के आदेश दिए जाने का प्रावधान है। जिला प्रशासन के द्वारा संरक्षक नियुक्त किया जाएगा। धारा-56 के प्रावधान के अनुसार संपत्ति का प्रबंध होने पर व्यक्ति इस बात का बंद पत्र निष्पादित करेगा कि वह मनोरोगी की संपत्ति को सुरक्षित रखेगा। देश में ऐसे कई कानून है। जिनमें से मानसिक रोगियों को सुरक्षा प्रदान की गई है लेकिन जानकारी के अभाव में वे आज भी दर-दर भटकते रहते हैं। कभी समाज की अवहेलना का शिकार बनते हैं तो कभी अपनों की।