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बागपत में धूमधाम से मनाया जा रहा है क्रिस्मस टाईड़ उत्सव Christmas Tide festival is being celebrated with great pomp in Baghpat

बागपत में धूमधाम से मनाया जा रहा है क्रिस्मस टाईड़ उत्सव

– बागपत के रटौल, ललियाना, बाघु, बागपत, बड़ौत, खेकड़ा के प्राचीन चर्चो में मानवकल्याण के लिए हो रही है प्रार्थना सभाएं

– परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह के जन्मदिन की खुशी के अवसर पर मनाया जाता है क्रिस्मस टाईड़ उत्सव

बागपत, उत्तर प्रदेश

ईसाईयों के सबसे प्रमुख उत्सव क्रिस्मस टाईड़ की शुरूआत हो चुकी है। प्रभु यीशु के जन्मदिवस 25 दिसम्बर अर्थात क्रिस्मस डे से शुरू होने वाला यह पवित्र उत्सव 12 दिनों तक बड़े ही हर्षोल्लास के साथ विश्वभर में मनाया जाता है। वर्तमान में लगभग हर धर्म के लोग इस पवित्र उत्सव को मिलजुलकर मनाते है। बागपत के रटौल, ललियाना, बाघु, बागपत, बड़ौत, खेकड़ा के प्राचीन चर्चो में मानवजाति के कल्याण के लिए प्रार्थना सभाएं की जा रही है। लोगों द्वारा चर्चो और अपने घरों पर रंगबिरंगी रोशनियां की गयी है। इस अवसर पर लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदो की सहायता कर रहे है। रटौल स्थित चर्च के फादर पीटर प्रकाश ने बताया कि 24 दिसम्बर को आधी रात के बाद प्रभु यीशु का जन्म एक अस्तबल में हुआ था, जिसकी जानकारी परमेश्वर के दूतों द्वारा लोगों को दी गयी। दूतों ने उन लोगों को बताया कि यह परमेश्वर के पुत्र है, जिन्होने मानवजाति के कल्याण के लिए जन्म लिया है। ललियाना चर्च के फादर एलबर्ट ने बताया कि प्रभु यीशु ने अपना पूरा जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित किया और परमेश्वर के उपदेशों को लोगों तक पहुॅचाया, जिससे मानवजाति का कल्याण हो सके। उन्होंने लोगों की बिमारियों, परेशानियों और शंकाओं आदि का निवारण किया, जिससे उनकी प्रसिद्धि चारो और फैलती चली गयी। जिस कारण कुछ असामाजिक लोग उनसे ईर्ष्या करने लगे। बाधु स्थित चर्च के फादर सहाय सुदागर ने बताया कि प्रभु यीशु त्याग और सहनशीलता की एक ऐसी अदभुत प्रतिमूर्ति थे, जो सिर्फ और सिर्फ परमेश्वर के पुत्र में ही हो सकती है। बताया कि वह सभी की भलाई चाहते थे। जिस समय उनके विरोधियों द्वारा उनको क्रूस पर लटकाया जा रहा था, उस समय असहनीय पीड़ा होने के बाबजूद भी उन्होंने परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना की कि हे पिता इन लोगों को क्षमा कर दीजिए, क्योंकि यह लोग अज्ञानी है। कहा कि प्रभु यीशु की महान शिक्षाओं को हमें जन-जन तक पहुॅचाना चाहिये, जिससे विश्व का कल्याण हो सके। रटौल निवासी एम अकबर, नारायण राम सहित अनेकों लोगों ने प्रभु यीशु और परमपिता परमेश्वर से विश्वकल्याण और विश्वशांति के लिए प्रार्थना की।

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