कर्म ऐसे हो भगवान कहीं भी जन्म ले आपका हो जाए।।

।। कर्म ऐसे हो भगवान कहीं भी जन्म ले आपका हो जाए।।
।। कु. कीर्ति किशोरी ।।
।।कुंडा न्यूज़ ।।
समीपस्थ ग्राम पंचायत भगतपुर में विगत 14 मार्च से आयोजित अखंड नवधा रामायण एवं प्रवचन के सप्तम दिवस में बाल विदुषी झांसी उत्तर प्रदेश से पधारी हुई प्रवाचीका कु. कीर्ति किशोरी (मानस साक्षी) ने अपने प्रवचन में बताया कि हम सभी का कर्म ऐसे होने चाहिए जिससे भगवान चाहे कहीं भी जन्म ले चाहे वह सतयुग, त्रेता, द्वापर अथवा कलयुग हो हमारे कर्म ऐसे होने चाहिए कि भगवान इस लौकिक जीवन के अंतिम सांसों में भगवान हमारे समक्ष हो अथवा हम भगवान के पास रहें। श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने बताया कि राजा दशरथ जब देवासुर संग्राम में युद्ध करने गए थे और मूर्छा को प्राप्त हो गए तब पक्षीराज ने अपने पंखों से हवा कर उनका मूर्छा दूर किया, तब से गिद्धराज और राजा दशरथ के बीच मैत्री हो गई थी उन्होंने उनसे वरदान में यही मांगा था कि आपका जेष्ठ पुत्र मेरा अंतिम संस्कार करें। इसी तरह से जटायु मांसाहारी होते हुए भी उसका कर्म शुद्ध सात्विक रहा वह भारतीय संस्कृति के संरक्षक के नाम से जाने जाते हैं, सीता मैया को जिस समय पाश्चात्य संस्कृति के पोषक रावण हरण कर ले जा रहा था तब भी अपने प्राणों की आहुति देकर गिद्धराज जटायु ने सीता का ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का संरक्षण किया था। जिसके फलस्वरूप जटायु को जीवन के अंतिम समय में भगवान का दर्शन होता है। भगवान उन्हें अपने हाथों से स्पर्श करते हैं एवं अपनी गोदी में लिटाते हैं । भारत के एक मांसाहारी पक्षी मे भारतीय संस्कृति कूट-कूट कर एक तरफ भरा दिखाई देता है इससे हमको यही शिक्षा लेनी चाहिए कि हम जहां भी रहे, जिस हालात में रहे, जिस तन में रहे, हमारे कर्म ऐसे होने चाहिए जिससे अंतिम समय में भगवान हमारे करीब हो। जिससे हमारा इस लोक और परलोक दोनों सवर जाए, यहीं पर देखेंगे एक ओर राजा दशरथ जो चक्रवर्ती महाराज, जो देवासुर संग्राम में कई कई बार असुरों को पराजित कर देवताओं को जीताकर उनके सिहासन उन्हें वापस किया। जिन्होंने स्वयं भगवान को जन्म दिया। लेकिन उन्हें भी अंतिम समय में भगवान का सानिध्य नहीं मिलता। कुं. कीर्ति किशोरी झांसी (मानस साक्षी)ने बताया कि समय या कालगणना मायने नहीं रखता , मायने रखता है संस्कार और कर्म।
हमारे कर्म ऐसे होने चाहिए जिससे हमारा इस लोक और परलोक सुधर जाए आज की संस्कृति को गिद्धराज जटायु से कुछ तो संस्कार की सीख लेने की आवश्यकता है। अखंड नवधा रामायण एवं प्रवचन ग्राम भगतपुर के सप्तम दिवस में झांसी उत्तर प्रदेश से मानस साक्षी के रूप में उपाधि से विभूषित कु. कीर्ति किशोरी जी बड़े ही सुमधुर श्री राम कथा कह रही है। जहां पर ग्राम आचार्य पं. राधेलाल तिवारी, पं. विकास शर्मा, पं.विनय शर्मा, पंडित संजय शर्मा है तथा कार्यक्रम के सफल संचालन डॉ. ईश्वरी चंद्रवंशी,श्रोतागणों में अमित चंद्रवंशी जनपद सदस्य, लक्ष्मण चंद्रवंशी विधायक प्रतिनिधि इंद्राणी चंद्रवंशी जनपद सदस्य कवर्धा रामफल चंद्रवंशी, गौतम साहू धनेली, रोहित चंद्रवंशी,बलराम चंद्रवंशी, लक्ष्मण चंद्रवंशी, रामफल चंद्रवंशी, भुवन चंद्रवंशी, सुरेश चंद्रवंशी, रामप्रसाद चंद्रवंशी, मिथिलेश चंद्रवंशी, हंतु चंद्रवंशी, दिलीप चंद्रवंशी, गंगाधर चंद्रवंशी, कलीराम चंद्रवंशी भगतपुर से एवम् गुहिरा चंद्राकर घोरपेंड्री, बल्लू चंद्राकर घोरपेंड्री, ओमयदु पीपर, नारायण चंद्रवंशी मोहतरा, मधु शर्मा कोलेगांव के साथ ही साथ भगतपुर एवं आसपास के क्षेत्रों से बहुतायत मात्रा में श्रद्धालुगण एवं मातृशक्ति उपस्थित होकर कथा श्रवण कर रही है।
इस आयोजन से भगतपुर के साथ ही साथ पीपरमाटी, करीमाटी, मोहतरा, धनेली, रूसे, घोरपेंड्री, कोलेगांव आदि गांवो में भक्तिमय, श्रद्धामय वातावरण बना हुआ है। श्रीरामचरितमानस के संचालक ने बताया कि आगामी दो दिवस के लिए कु. कीर्ति किशोरी जी मानस विदुषी झांसी उत्तर प्रदेश के मधुरमय कथा का आयोजन होता रहेगा ।।