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अब हर ग्राम पंचायत में तैयार होगी अपनी नर्सरी, पंचायती राज विभाग नियमावली में होगा संशोधन

सबका संदेश न्यूज़-  प्रत्येक वर्ष होने वाले पौधरोपण के लिए प्रदेश की प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप पौध उगाने के लिए 50,000 पौध की क्षमता की पौधशाला तैयार की जाएगी। ये पौधे ग्राम पंचायत क्षेत्र में लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए पंचायती राज नियमावली में आवश्यक संशोधन करने के लिए पंचायती राज विभाग को निर्देश दिए हैं। उम्मीद है कि जल्द ही पंचायती राज विभाग नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव बना कर कैबिनेट की अनुमति के लिए भेजेगा।

उत्तर प्रदेश में वन आवरण बढ़ाने और स्वयं सहायता समूहों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से तैयार की जाने वाली नर्सरी में पौध उगाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जाएगी। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग महिलाओं को पौधशाला स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान कर प्रोत्साहित करेगा। समूह की महिलाएं निजी या फिर किराए की भूमि पर ग्राम पंचायत स्थानीय आवश्यकता के मुताबिक 50 हजार पौध की पौधशाला स्थापित करेंगी। पौधों की प्रजातियों और बीज के चयन के लिए भी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारी सहयोग करेंगे। वर्षा कॉल में पौधरोपण के लिए ग्राम पंचायतें मनरेगा के अंतर्गत पौध की खरीद कर ग्राम पंचायत के सार्वजनिक स्थल, चारागाह की भूमि, सड़कों के किनारे और किसानों की जमीनों पर लगाएंगी। पंचायती राज विभाग के विशेष सचिव सोबरन सिंह ने बताया 17 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक का कार्यवृत्त मिला है। प्रमुख सचिव स्तर पर बैठक कर आवश्यक प्रक्रिया अपनाई जाएगी

महिला स्वयं सहायता समूहों की आय में होगा इजाफा

वन विभाग एक पौध के लिए कम से कम 7 रुपये शुल्क वसूल करता है। महिला स्वयं सहायता समूह 50 हजार पौध यदि ग्राम पंचायतें और किसान 7 रुपये मूल्य पर खरीदे तो उन्हें 3,50,000 रुपये मिलेंगे। 50 हजार पौधे उगाने पर एक से 1.50 लाख रुपये खर्च होंगे। ऐसे में समूह से जुड़ी महिलाओं को 2 से 2.50 लाख रुपये का मुनाफा होगा। इस योजना के क्रियान्वयन में पंचायती राज विभाग, ग्राम विकास विभाग एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग शामिल होंगे।

किसानों को अपनी पसंद के मिलेंगे पौधे

ग्राम पौधशाला में उन्हीं पौधों को उगाया जाएगा, जिनकी स्थानीय किसानों को आवश्यकता होगी। ऐसे में किसान न केवल पौध स्वयं भी खरीद करेंगे बल्कि उनका संरक्षण भी करेंगे। चारागाह की जमीनों के लिए चारा प्रजातियों के पौध तैयार किए जाएंगे।

 

 

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