छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

कम वजन वाले नवजात शिशु के लिए कंगारू मदर केअर उपयोगी, Kangaroo Mother Care useful for low weight newborn

रिसर्च में विशेषज्ञों ने किया प्रमाणित, स्किन टू स्किन टच बच्चों के लिए उपयोगी, श्वांस और हृदय गति स्थिर होती है
नवजात शिशु की रक्षा के लिए गोल्डन टाइम में बरती गई सावधानी का सर्वाधिक महत्व
नवजात शिशु को निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाने बरते जाने वाले उपायों के संबंध में जिला अस्पताल में रखी गई 2 दिवसीय कार्यशाला
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सोसाइटी द्वारा जिला अस्पताल में आयोजित किया गया कार्यक्रम
दुर्ग / 13 फरवरी 2021/नवजात शिशु जब इस धरती में आता है तो उसके द्वारा ली गई पहली सांस सबसे अहम होती है। शिशु सुरक्षा के लिए यह गोल्डन टाइम होता है। इस समय पूरी तरह मेडिकल प्रोटोकॉल के मुताबिक शिशु को सहेजा जाए तो शिशु मृत्यु दर में निरंतर कमी के लक्ष्य हासिल किए जाने में मदद मिलेगी। इस समय मदर कंगारू केअर काफी उपयोगी होता है। इस संबंध में चिकित्सा अधिकारियों को एवं स्वास्थ्यकर्मियों को विस्तृत प्रशिक्षण 2 दिवसीय कार्यशाला में जिला अस्पताल परिसर में दिया गया। कार्यशाला का शीर्षक सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रीलाइज निमोनिया रखा गया था। कार्यकम का आयोजन डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सोसाइटी और नेशनल हेल्थ मिशन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक की ओर से किया गया था। कार्यशाला को संबोधित करते हुए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग ऑफिसर डॉ सुगम सावंत ने कहा कि गोल्डन टाइम बेहद अहम होता है। पूरी सावधानी बरतें तो शिशु सुरक्षा के लिए ये पर्याप्त होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप निमोनिया से शिशु मृत्यु की दर को 1000 में 5 से कम कर वर्ष 2025 तक 1000 में 3 तक लाना है। कार्यशाला में पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सालय एवं रिसर्च सेंटर की सीनियर पीडियाट्रिक कंसलटेंट डॉ माला चैधरी ने विस्तार से हेल्थ वर्कर्स को इस बारे में बताया। उन्होंने गोल्डन टाइम से जुड़ी विभिन्न परिस्थितियों को प्रायोगिक रूप से बताया। उन्होंने मदर कंगारू केअर के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से इसे बताया। उन्होंने कहा कि स्किन टू स्किन टच की वजह से नवजात शिशु का वजन बढ़ता है। श्वांस और हृदय की गति स्थिर होती है। इसे परिवार का कोई भी सदस्य प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि फीडिंग में किस तरह से सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने निमोनिया से बचाने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में जानकारी दी। जिला अस्पताल से शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सीमा जैन ने भी अपनी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि जन्म के तुरंत बाद शिशु की किस तरह से केयरिंग करनी है। इस बारे में प्रसूता माँ की काउंसिलिंग भी करें। जितनी बेहतर काउंसिलिंग होगी, उतने ही बेहतर नतीजे आएंगे। जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एच के साहू ने भी कार्यशाला में नवजात शिशु के स्वास्थय संबंधी बारीकियों के बारे में बताया। इस मौके पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रजनीश मल्होत्रा सहित अन्य चिकित्सक भी उपस्थित रहे। हेल्थ वर्कर्स ने कार्यशाला में अपनी जिज्ञासा भी रखी जिनका समाधान विशेषज्ञों ने किया ।

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