छत्तीसगढ़

विश्वव्यापी हुआ ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ भारत सहित विश्व के 225 देशों में बह रही हैं सच्चे प्रेम की गंगा। – युवा सेवा संघ बेमेतरा सोनू साहू

छत्तीसगढ़ बेमेतरा :- 14 फरवरी को अपने-माता का पूजन करें ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने को अपने सद्गुरु देव की पावन प्रेरणा से युवा सेवा संघ के अध्यक्ष सोनू साहू ने सभी देशवासियों से किया प्रार्थना। और सोनू साहू ने बताया पूर्व 14 वर्षो से पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू द्वारा विश्व मानव के कल्याण के लिए किया गया ब्रह्मसंकल्प: 14 फरवरी ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ को अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनायेंगे। ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ में पंच महाभूत, देवी-देवता, मेरे साधक और मुसलमान, हिंदू, ईसाई, पारसी सभी जुड़ जायें – ऐसा संकल्प मैं आकाश में फैला रहा हूं। देवता सुन लें, यक्ष सुन लें, गंधर्व सुन लें,पितर सुन लें कि भारत और विश्व में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का कार्यक्रम मैं व्यापक करना चाहता हू। और सभी लोग अपने माता-पिता का सत्कार करें ऐसा मैं एक अभियान चलाना चाहता हू। आप सभी इसमें प्रसन्न होंगे और सहभागी होंगे। आज ब्रह्मसंकल्प हुआ साकार 225 देशों में बही प्रेम की गंगा लोक लाडले पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा से मनाये गये ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ ने भारत सहित लगभग 225 देशों को भारतीय संस्कृति की सुवास से महकाया। गत वर्ष 14 फरवरी को विश्वभर में करोड़ों लोगों ने व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से इसे मनाया। इसी कड़ी में बापूजी द्वारा प्रेरित श्री योगवेदांत सेवा समिति, युवा सेवा संघ, बाल संस्कार केंद्र, महिला उत्थान मंडल इन सभी विभागों द्वारा अब तक जिला में 500 से अधिक जगहों में हुआ मातृ-पितृ पूजन।उन्होंने बताया की संत श्री आशाराम जी बापू कहते है कि वेलेंटाइन डे’ के दिन लड़के-लड़कियाँ एक दूसरे को फूल देकर ‘आई लव यू’ बोलते हैं । 28 विकसित देशों में हर साल 13 से 19 साल तक की 12,50,000 लड़कियाँ गर्भवती हो जाती हैं । उनमें से लगभग 5 लाख तो गर्भपात कराती हैं और 7,50,000 बच्चियाँ माँ बन के या तो सरकारी नर्सिंग होम, सरकार एवं माँ-बाप पर बोझ बन जाती हैं या तो फिर वेश्या का धंधा आदि करती हैं । तो यह गंदगी अब हमारे देश में आ गयी है । ‘वेलेंटाइन डे’ पर 5 महानगरों में सैकड़ों करोड़ की दारू बिकी जिसे निर्दोष बच्चे-बच्चियों ने पिया। सैकड़ों लड़के-लड़कियाँ भाग जाते हैं 14 फरवरी को। यदि लड़का दारू पीकर पड़ा रहे तो उसकी माँ कितनी दुःखी होगी ! स्कूल में जाने वाली लड़की दारू पिये तो उस लड़की से उसकी माँ क्या उम्मीद कर सकती है और क्या उम्मीद कर सकता है वह जो उससे विवाह करेगा । यह बड़ा गम्भीर विषय है ! तो मेरा हृदय पीड़ित हो गया।इसीलिए मैंने भगवान को प्रार्थना की और भगवान ने मुझे प्रेरित कर दिया। मैंने 14 फरवरी को ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने का आह्वान किया । बच्चे-बच्चियाँ ‘प्रेम दिवस’ मनायें लेकिन अपने माँ-बाप को प्रेम करें। माँ-बाप ऐसे ही मेहरबान होते हैं लेकिन उन मेहरबान माता-पिता को जब आप तिलक करोगे, बेटा पिता को तिलक करे व चरण धोये और बेटी माता को तिलक करे व चरण धोये, दोनों को हार पहनायें और उनकी प्रदक्षिणा करें तो माँ-बाप तो मेहरबान होंगे लेकिन माँ-बाप का जो अंतरात्मा है वह भी बरस जायेगा और मेरे बच्चे-बच्चियों की जिंदगी सँवर जायेगी । मैंने फिर ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ शुरू किया । गणपतिजी का पूजन करो, भगवान सद्बुद्धि देंगे; माँ-बाप की भी जिंदगी सँवरेगी और बच्चे-बच्चियों की भी जिंदगी सँवरेगी। ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह पर ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाओ, मैं यही भिक्षा माँगता हूँ आप लोगों से बस ! करोड़ों माताओं व पिताओं के दिल की दुआ ले लो । हजारों-लाखों बच्चों की नष्ट होती जिंदगी को बचा लो, बस । मुझे आपका रुपया-पैसा कुछ नहीं चाहिए । आप मेरी ‘जय’ बोलो तो मुझे अच्छा नहीं लगता । फूल की पंखुड़ी भी आपकी मुझे नहीं चाहिए लेकिन आपका स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन हो, यह मैं चाहता हूँ । मैं यह नहीं चाहता कि मेरे को कोई यश दो, भले सभी सरकारों को यश जाय लेकिन बच्चों की जिंदगी तबाही से बचे और उनके माँ-बाप बुढ़ापे में कराहने से बचें । जो छोरे अपने को नहीं सँभाल पाते हैं वे बूढे माँ-बाप की क्या सेवा करेंगे ! विदेशों की तरह नर्सिंग होम में रख देंगे । हमारे यहाँ भी माँ-बाप के लिए वृद्धाश्रमों की जरूरत पड़ रही है, शर्म की बात है ! नहीं… नहीं… बच्चों की देखभाल माँ-बाप करें और माँ-बाप की देखभाल बच्चे करें, यह हमारी भारतीय संस्कृति है ।
चाहे ईसाई के बच्चे हों, वे भी उन्नत हों और ईसाई, मुसलमान, पारसी, यहूदी… सभी के माता-पिता संतुष्ट रहें । किसके माता-पिता चाहेंगे कि हमारे बेटे-बेटियाँ विद्यार्थीकाल में एक-दूसरे को फूल दें, ‘आई लव यू, लव यू…’ करके कुकर्म करें और यादशक्ति गँवा दें ! किसी के भी माँ-बाप ऐसा नहीं चाहेंगे । इसीलिए मैंने यह अभियान शुरू किया है और यह अभियान जिनको अच्छा नहीं लगता है वे कुछ-का-कुछ करवाकर मेरे को बदनाम करना चाहते हैं । यह मेरी बदनामी नहीं है, मानवता की बदनामी है भैया ! मैं हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ, मेरी बदनामी आप खूब करो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है । बस, एक मानवता के उत्थान में आप अड़चन मत बनो । आप तो सहभागी हो जाओ । सभी धर्मों को लाभान्वित कर रहा है मातृ-पितृ पूजन दिवस – सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
भारत ‘हिन्दू भवन्तु सुखिनः नहीं कहता है, ‘सर्वे कहता है । ‘सर्वे’ में ईसाई, पारसी सब आ गये । अभी मैं ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के लिए सिर्फ हिन्दुओं को नहीं आवाहन करता हूँ कि ‘हिन्दू बच्चे मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाओ’ – ऐसा नहीं सभी मनाओ। कोई ईसाई नहीं चाहता कि मेरी कन्या विद्यालय जाते-जाते गर्भवती हो जाय । कोई मुसलमान या यहूदी, पारसी भी नहीं चाहता है तो हिन्दू कैसे चाहेगा कि मेरी कन्या विद्यालय में जाय और हवस की शिकार बन जाय । तो सभी मुसलमानों का, सभी ईसाइयों, यहूदियों, पारसियों तथा हिन्दुओं का भविष्य मंगलमय हो और उनके बच्चों का जीवन मंगलमय हो इसीलिए मैंने मातृ पितृ पूजन दिवस अभियान छेड़ा है । ईसाई अपने माँ-बाप का पूजन करो , मुसलमान अपने अम्मा-अब्बाजान का पूजन सत्कार करो लेकिन ‘आई लव यू’, ‘तू नहीं तो और सही’ – यह लोफरों का रास्ता छोड़ो, नेक इन्सान बनो । आपके अब्बा-दादा ऐसे थे क्या ? बुद्ध ने ‘वेलेंटाइन डे’ मनाया होता तो ‘भगवान बुद्ध नहीं होते । हमने ऐसा किया होता तो हम ‘आशाराम बापू’ नहीं बनते । नरेन्द्रजी ने ऐसा किया होता तो ‘स्वामी विवेकानंद’ नहीं बनते।अतः मैं तो चाहूँगा कि भारत के युवक-युवतियाँ तो माँ-बाप का आदर-पूजन करें लेकिन जो बेचारे विदेशी भटक गये हैं वे भी अपने माता-पिता का आदर करें । हम पड़ोस की बहन फूल देकर बुरी नजर से देखें, पड़ोस की बहन हमको बुरी नजर से देखें काहें को ऐसा करना पड़ोस की बहन का भला हो, पड़ोस के भाइयों का भला हो । माता-पिता का मंगल हो, बच्चे-बच्चियों का मंगल हो ! ईसाई भी सुखी रहें, मुसलमान भी सुखी रहें, पारसी व यहूदी भी सुखी रहें।सभी देशवासियों का,विश्ववासियों का, सभी का मंगल हो ! प्राणिमात्र सुखी रहें ।

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