राजा खड़गराज सिंह ने भाजपा से इस्तीफा दिया
सहसपुर लोहारा – सहसपुर लोहारा क्षेत्र के 84 गांवों के ज़मीदार एवं सहसपुर लोहारा के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष राजा खड़गराज सिंह ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया । उन्होंने अपने इस्तीफा का प्रमुख वजह पार्टी के सिद्धांतों , विचारों और कार्यप्रणाली से खुद के विचार और सोच का मेल नही खाने को बताया । पर उनके विश्वस्त लोगो की माने तो पार्टी में उनके लोकप्रियता और रुतबे के हिसाब से सम्मान ना मिलने को वजह बताया जा रहा है। सहसपुर लोहारा क्षेत्र से राजतंत्र को गये भले ही 70 वर्ष से अधिक हो गये पर आज भी लोहारा राजपरिवार के प्रति लोगो में खासा सम्मान ,श्रद्धा और स्नेह यहां के लोग रखते है। अपनी दानशीलता , दया भाव , अपनी बात में अटल रहना और अपने स्वभिमान से कभी समझौता ना करना ये बात इस राजपरिवार को जनजन के दिलो में स्थान दिलाती है । राजा यशवंत राज सिंह की मृत्यु के पश्चात उनके बेटे राजा खड़गराज राज सिंह ने महल के दरवाजे आमजन के लिये खोल दिये और लोग इस कोमल स्वभाव और मिलनसार राजा से अपनी हर समस्या बेझिझक बताने लग गये । और जब नगर पंचायत का चुनाव आया तो लोगो के दबाव और समर्थन की वजह से वो चुनाव लड़ने को तैयार हो गये हालांकि की वो निर्दलीय चुनाव लड़ने की ईच्छा रखते थे । पर भाजपा की सत्ता होने की वजह से उन्हें उनके समर्थकों ने भाजपा से चुनाव लड़ने के लिये मना लिया तब भाजपा ने महल में पहुँच कर उन्हें नगर पंचायत अध्यक्ष का टिकट दिया । उस चुनाव में राजा खड्गराज की ऐसी आंधी चली की उन्होंने बगैर तामझाम और खर्च के कुल मतदान के 84 प्रतिशत मत प्राप्त कर कांग्रेस सहित समस्त उम्मीदवारों की जमानत जप्त कर दी । यहां तक उनकी वजह से 15 में से 13 भाजपा के पार्षद भी भारी मतों से चुनाव जीतने में कामयाब हो गये । जबकि इस नगर को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है । पर राजा के आगे पार्टी छोटी पड़ गई कांग्रेसी भी पार्टी को ताक में रखकर राजा के पक्ष में मतदान कर ये बताया कि इस नगर में और आसपास के लोगो मे राजपरिवार के प्रति कितना सम्मान है और श्रद्धा है । राजा खड़गराज के अध्यक्ष के कार्यकाल को लोग इस नगर की राजनीति के लिये और नगर विकास के लिये मील का पत्थर माना जाता है ।जहां विकास तो खूब हुए और इस विकास में नगर का हर वर्ग , हर समाज बगैर भेदभाव के शामिल था जिससे नगर के वंचित तबका जिसकी आवाज हमेशा दबाई जाती थी उसे खड़गराज रूपी आवाज मिला । उनके कार्यकाल में उनके सामर्थ और इच्छा शक्ति की वजह से सुतियापाट बाध का पानी नगर पहुँच गया था जिसमे उन्होंने अपनी जमीन और धन दोनों लगाकर नगर के लोगो और इस क्षेत्र की जनता के लिये पानी पहुँचा दी ।बस स्टैंड निर्माण , श्मशान भूमि के आधे भाग में खेल मैदान का निर्माण , उद्यान का निर्माण जैसे कई कार्य उनके कार्यकाल में किये गये । साथ ही पूरी निष्पक्षता , ईमानदारी और सबको साथ लेकर उन्होंने नगर पंचायत कार्यालय को एक जनता के विश्वास का केंद्र बनाने में कामयाबी हासिल की हालांकि उनके कार्यकाल में भाजपा की गुटीय लड़ाई की वजह से उन्हें काम करने में बहुत परेशानी आई जब उनके कार्यो में अधिकारी ही रोड़े अटकाने लगे थे जिन्हें भाजपा के नेताओ का वरदहस्त प्राप्त था उसके पश्चात भी उन्होंने नगर के हित और विकास के लिये ऐतिहासिक कार्य किये हालांकि आरक्षण बदलने की वजह से दुबारा चुनाव लड़ने से वंचित रह गये नही तो उनका मुकाबला सत्ता रहने के बाद भी कांग्रेस का उम्मीदवार नही कर पाता । इस चुनाव में भाजपा ने जो बराबरी का मुकाबला कांग्रेस को दिया तो उसके पीछे भी राजा की महत्वपूर्ण भूमिका रही पिछले सात सालों में उनकी लोकप्रियता की वजह से इस क्षेत्र में भाजपा की ताकत बड़ी थी और खासकर युवा वर्ग उनसे प्रेरणा लेकर भाजपा से बड़ी संख्या में जुड़े साथ ही खड़गराज सिंह ने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिये बहुत धुआंधार प्रचार किया था जिसका लाभ भाजपा को बहुत मिला । पर राजनीतिक लोगो की माने तो पार्टी ने उनका उपयोग तो खूब किया पर उन्हें उनके सम्मान अनुरूप स्थान देने असफल रहे । राजा खड़गराज हमेशा वंचित, गरीब , किसानों के लिये कार्य करना चाहते थे पर भाजपा के कार्यप्रणाली में इस वर्ग के लिये कोई विशेष कार्य योजना नही होने के कारण वो पार्टी में असहज महसूस कर रहे थे और वो समय समय पर पार्टी से हट कर अपने सिद्धान्त अनुरूप अपने विचार रखने से गुरेज नही करते थे। हालांकि राजा खड़गराज ने एक साधारण पत्र के माध्यम से भाजपा के जिलाध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौप दिया । पर इसे तूफान आने से पहले की शांति मानी जा रही है असली धमाका कुछ महीनों में सुनाई देगी तब भाजपा को इस धमाके से खासा नुकसान होगा इसमें कोई दो राय नही है। राजा अभी किसी पार्टी में जायेगे या अपने पिता के समान कोई दल में ना जाकर जनता की सेवा करते रहेंगे ये तो समय बतायेगा पर सत्ता गवा चुकी भाजपा के लिये राजा का पार्टी छोड़ना बहुत बड़े नुकसान के समान है जिसकी भरपाई करने के लिये भाजपा को बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी