छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

रेलवे यार्ड से लगातार हो रही कोयला चोरी के कारण ओसी सहित तीन लोगों पर गिरी गाज

कार्यवाही होने से स्थानीय महकमे में मचा हड़कंप

भिलाई। भिलाई रेलवे क्षेत्र से आरपीएफ की मिलीभगत से कोयले की होने वाली चोरी को लेकर एक बार फिर माहौल गरमा उठा है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के भिलाई ओसी को पोस्ट से हटाकर लूप लाइन में भेजा गया है। रेलवे यार्ड से होने वाली कोयले की चोरी रोकने में बरती जा रही लापरवाही के मद्देनजर उन्हें विभागीय तौर पर यह सजा मिलने की चर्चा सरगर्म है। भिलाई आरपीएफ पोस्ट में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक व एक हवलदार पर भी इस तरह की कार्यवाही हुई है।

भिलाई रेलवे क्षेत्र से आरपीएफ की मिलीभगत से कोयले की होने वाली चोरी को लेकर एक बार फिर माहौल गरमा उठा है। इस बार भिलाई आरपीएफ पोस्ट से ओसी राजेश कुमार वर्मा को मिली सजा खासा चर्चे में है। ओसी को पोस्ट से हटाकर सुरक्षा नियंत्रण कक्ष में अटैच किया गया है। जबकि यहां पदस्थ रहे सहायक उप निरीक्षक पी. राजय्या उर्फ चिन्ना को मंडल वस्त्र भंडार और हवलदार रमेश यादव को डीएससी रिजर्व में अगले आदेश तक सेवा देने का निर्देश दिया गया है। बिलासपुर रेलवे जोन व रायपुर मंडल में पदस्थ आला अधिकारियों के निर्देश पर हुई इस कार्यवाही के बाद आरपीएफ के स्थानीय महकमें में हड़कम्प सी मच गई है।

गौरतलब रहे कि भिलाई रेलवे क्षेत्र में एक्सचेंज, पीपी यार्ड और भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए कोयला आपूर्ति वाली रेल लाइन है। इनकी सुरक्षा की पूरी जवाबदारी आरपीएफ की भिलाई पोस्ट के हवाले है। बावजूद इसके कोयले की चोरी होना आम बात है। गाहे-बगाहे रेलवे के प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश कर होने वाली कोयले की चोरी में आरपीएफ की मिलीभगत होने का आरोप लगता रहा है।

बताया जाता है कि रेलवे क्षेत्र में कोयले की चोरी पर अंकुश लगाने के लिए बिलासपुर जोन व रायपुर रेल मंडल में जिम्मेदार आरपीएफ अधिकारियों ने भिलाई ओसी राजेश कुमार वर्मा को कई बार चेतावनी दी थी। बावजूद इसके चोरी नहीं थमने से वरिष्ठ अधिकारियों को कड़े कदम उठाने पड़ गए। बताते है वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रारंभिक जांच में यह पाया कि रेलवे यार्ड से होने वाली कोयले की चोरी के लिए पोस्ट इंचार्ज होने के नाते राजेश कुमार वर्मा प्रथम दृष्टया दोषी है। इसके अलावा फिल्ड में कमान संभालने वाले सहायक उपनिरीक्षक पी राजय्या और हवलदार रमेश यादव की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है। लिहाजा ओसी के साथ सहायक उपनिरीक्षक व हवलदार को भी पोस्ट से हटाकर विभागीय तौर पर लूप लाइन माने जाने वाली इकाईयों में अटैच किया गया है।

यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि जी केबिन चरोदा से भिलाई-3 के दक्षिणी छोर में बसी पुरैना होकर रेलवे के पीपी यार्ड के रास्ते भिलाई इस्पात संयत्र को कोयले की आपूर्ति हेतु रेल पटरी बिछी हुई है। इन्हीं पटरियों से आस्ट्रेलियन कोक का रैक विशाखापटनम से आकर संयंत्र में जाता है। रैक खाली होकर जब लौटती है तो प्राय: पुरैना तथा एक्सचेंज यार्ड के पास रुकती है। खाली हो जाने के बावजूद 58 वैगन वाले मालगाड़ी के रैक में काफी मात्रा में कोयला चिपककर रह जाता है। इसी कोयले की चोरी होती है। आपीएफ को जिम्मेदारी इस चोरी को रोकने की रहती है। इसके लिए तीनों पाली में आरपीएफ के जवानों की तैनाती सुनिश्चित की जाती है। फिर भी चोरी पर अंकुश नहीं लग पाने से आरपीएफ की भूमिका पर प्राय: प्रश्नचिन्ह उभरता रहा है।

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