दंतेवाड़ा में पत्रकारिता दोधारी तलवार पर- सच दिखाने की कीमत एफआईआर
दंतेवाड़ा में पत्रकारिता दोधारी तलवार पर- सच दिखाने की कीमत एफआईआर
दंतेवाड़ा- दंतेवाड़ा ही नही समूचे बस्तर में पत्रकारिता करना बेहद ही कठिन हमेशा से रहा है। कभी क्षेत्रीय भूगौलिक स्थिति की वजह से कभी भ्रष्टाचार की पोल खोलने की मुहिम पर पत्रकार के सामने भ्रष्ट तंत्र रोड़ा बनकर मुश्किले खड़ी करने लगता है। हाल में ही एक
ताजा मामला किरन्दुल शहर में काम रहे पत्रकार अनिल भदौरिया के साथ घटित हुआ, जब वे कुआकोंडा ब्लाक के ग्राम पंचायत कोडेनार में पंचायत में बरती जा रही गड़बड़ियों के खिलाफ खबरे चलाते हुये पंचायत के लिए आरटीआई लगा दी। जिसकी बौखलाहट से पंचायत की महिला सरपंच ने पत्रकार के खिलाफ 10 लाख रुपये मांगने का आरोप लगाते हुये किरन्दुल थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी, ताकि पंचायत में हुई गड़बड़ियों पर पर्दा डाला जा सके।
जानकारी के मुताबिक पत्रकार ने सूचना के अधिकार के तहत शौचालय निर्माण और राशनकार्ड धारको की जानकारी पंचायत से मांगी थी, समय पर जब जानकारी नही दी गयी तो द्वतीय अपील जिला पंचायत में की गई। इधर ग्राम पंचायत कोडेनार में पंचायत प्रतिनिधियों पर प्रशासन ने जब आरटीआई कार्यकर्ता को जानकारी देने के लिए पत्राचार किया तो पंचायत की महिला सरपंच मीना मंडावी ने पत्रकार के ही खिलाफ 10 लाख रुपये मांगने और खबरों से छबि धूमिल करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवा दिया।
जानकारी के मुताबिक उक्त पंचायत सरपंच सत्ताधारी पार्टी से जुड़ी हुई है, जिसके चलते किरंदुल पुलिस ने भी आनन फानन में पत्रकार के खिलाफ एक तरफा महज आरोप पत्र को आधार मानते हुए मामला दर्ज कर लिया। इधर इस तरह बेबुनियाद आरोप लगाने से दंतेवाड़ा श्रमजीवी पत्रकार संघ इस मामले की निंदा करते हुए दंतेवाड़ा कलेक्टर से मुलाकात भी जल्द करने वाला है।
सबसे बड़ी बात यह है, पत्रकारिता जन आवाज है। जब हम किसी मुद्दे को उठाते हैं तो जनता के बीच सरकार का विकास प्रशासन का काम दिखाते हैं। लेकिन अगर कही सरकारी मशीनरी, योजनाओ में गड़बड़ी हो रही हैं तो उसे भी पत्रकार ही लिखेगा। अगर वह उसे नही दिखाता है। तो आप तक सच कैसे पहुँचेगा।