
कोंडागांव। छत्तीसगढ़ मलखंब संघ बिलासपुर की मेजबानी में 32वीं राष्ट्रीय सब जूनियर मलखंब प्रतियोगिता में अबूझमाड़ के खिलाड़ियों ने 40 साल से प्रथम रही महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश की टीमों को मात देकर राष्ट्रीय सब जूनियर मलखंब का खिताब अपने नाम किया था।
बता दे टीम का खिलाड़ी राजेश कोर्राम पिता रामाराम कोर्राम, मूल निवासी ग्राम आसनार, विकासखंड ओरक्षा, जिला नारायणपुर अबूझमाड़ जनजाती का है। किंतु वर्तमान में नक्सली क्षेत्र के अत्याचारों से तंग आकर प्राणरक्षा हेतु अपने माता, पिता एवं बहनों के साथ नारायणपुर में मजदूरी करके तंगहाली में परिवार का जीवन गुजर रहा है। राजेश कोर्राम पोटाकेबिन देवगांव में अध्ययन के साथ साथ मलखंब का अभ्यास भी कर रहा है। राजेश 32वीं जूनियर राष्ट्रीय मलखंब प्रतियोगिता भाग लेते हुए छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वर्ण पदक विजेता मलखंब खिलाड़ी होने का गौरव प्राप्त कर चुका है। किंतु वर्तमान में गरीबी उसके भविष्य के लिए सबसे बड़ी बाधा बन रही है। अपने परिवार एवं स्वयं की गरीब को देखते हुए एक भूखंड तथा के आवास निर्माण हेतु आर्थिक मदद हेतु प्रशासन से आग्रह कर रहा है।
इस जानकारी को केशकाल के सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णदत्त उपाध्यक्ष ने सोशल मीडिया में शेयर किया था, जिसे देखकर यासीन मेमन पार्षद केशकाल ने ₹5000, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी नितेश शर्मा ने ₹5000 उनके बैंक खाते में जमा किये और अन्य लोगों से भी यह बात कही। बैंक खाते का विवरण इस प्रकार है, राजेश कोर्राम, खाता न. 6553022120007816, आईएफएससी कोड -UBIN0565539, मो.- 8250844044 में आप भी अपना सहयोग दे सकते हैं।
उक्त बातों की जानकारी मिलते ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़ के प्रभारी महामंत्री रवि घोस, प्रदेश सचिव अमीन मेमन ने कलेक्टर से बात करके अटल आवास और युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल से बात करके राज्य सरकार की तरफ से हर संभव सहायता दिलाने का भरोसा दिया गया है।
40 साल से प्रथम रही महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश टीम को दी थी मात
राजेश कोर्राम की टीम ने प्रथम स्थान पर रही महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की टीम से अधिक अंक अर्जित कर राष्ट्रीय सब जूनियर मलखंब में छत्तीसगढ़ को 2 स्वर्ण पदक दिलाते हुए छत्तीसगढ़ के प्रथम मलखंब विजेता होने का गौरव प्राप्त किया तथा 40 साल प्रथम रही टीम को टक्कर देकर इतिहास कायम किया। इस कार्य से प्रभावित होकर सरकार के द्वारा ₹10,000 प्रतिमाह 2020 में छात्रवृत्ति के रूप में देने की बात भी कहीं गई थी। पर राजेश आज सरकार से आस लगाकर बैठा है कि उसे और उसके परिवार को शायद कुछ मदद मिल जाये।
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