छत्तीसगढ़

कृषि विधेयक का विरोध करते हुए विधायक आशीष छाबड़ा ने कृषि उत्पादों का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग की

कृषि विधेयक का विरोध करते हुए विधायक आशीष छाबड़ा ने कृषि उत्पादों का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग की

सबका संदेश न्यूज़ रिपोर्टर बेमेतरा देव यादव

बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एव सुविधा) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण ) कीमत आश्वासन समझौता और किसी सेवा पर करार विधेयक 2020 को किसानों के ऊपर कुठाराघात बताते हुए विरोध व्यक्त किया है

विधायक आशीष छाबड़ा ने केंद्र सरकार के नियत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार अगर किसानों की इतनी हितैषी है तो जिस अनुपात में वर्तमान छत्तीसगढ़ शासन सरकार किसानों के धान को 2500 क्विंटल में धान खरीद रही है ऐसा ही केंद्र सरकार धान के समर्थन मूल्य को 2500 में खरीदे जाने की घोषणा क्यों नहीं करती

साथ ही अन्य फसलों पर भी किये गये समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी को कम बताते हुए समर्थन मूल्य बढ़ाये जाने की बात कही वर्तमान भा.ज.पा. नित सरकार देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में ले जाने की तैयारी कर रही है,जिसके परिपेक्ष्य में कृषि सबंधि दोनों विधेयको को राज्यसभा में पारित करायी है,तथा इन विधेयकों के पारित हो जाने पश्चात अपने चहेते अडानी तथा अंबानी परिवार के गोद मे किसानों की मेहनत से उत्पादित अनाजो को भी रखने की तैयारी कर रही है,कृषि विधेयक से कारपोरेट घरानों को कृषि भूमि उपलब्ध कराने का एक साधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है,केन्द्र की सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) को कानूनी जिम्मेदारी देने से दूर भाग रही है ।
विधायक आशीष छाबड़ा ने कहा कि पूरे देश में बने मंडियों के ढांचे को यह सरकार समाप्त करने का षडयंत्र कर रही है,जिससे किसान मजबूरी में अपनी अपनी उपज को औने-पौने दामो पर बेचने को मजबूर हो इस विधेयक में किसानों को किसी भी प्रकार की सुरक्षा प्रदान नही की गई है,बड़ी कंपनी अपनी मन मर्जी से किसानों के साथ समझौता करेगी स्वाभाविक है कंपनी अपना मुनाफा देखेगी औऱ ऐसे में किसानों के साथ धोखा करेगी इस कानून के अनुसार किसानों से सविंदा करके कंपनी किसानों कोआवश्यक कृषि उपकरण मुहैया करायेगी कहा गया है स्वाभाविक रूप से जब कोई आपके ऊपर खर्च करेगा सो वह वसूली भी आप से ही करेगा (अर्थात किसानों से) तथा किसानों के साथ उनका व्यवहार भी मालिक और नौकर की तरह ही होगा
धीरे धीरे से यही कम्पनियां किसानों से उनकी भूमि भी हथिया लेगी सरकार की यह मंशा भी इस बिल में झलक रही है,वह बड़े कारपोरेटर घरानों के साथ मिल कर किसानों की जमीन हड़प कर जाने को उतारू हो गई है,विधायक आशीष छाबड़ा ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह खुद तो किसानों के साथ अन्याय कर रही है,साथ ही जो राज्य किसानों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़े है उन्हें अच्छा समर्थन मूल्य सहित बोनस प्रदान कर रहे है उसे केन्द्र सरकार खत्म कर देना चाहती है

विधायक आशीष छाबड़ा ने केन्द्र सरकार को चेतावनी देते हुये कहा कि पूर्व में जिस तरह से नोटबदी के पंक्ष में दलील देकर मोदी सरकार ने गरीबो और मजदूर वर्ग की कमर तोड़ी तथा एक वर्ग विशेष ने नोटबंदी को राष्ट्र के पक्ष में कहकर प्रचारित किया और नोटबंदी का परिणाम आज सबके सामने है,देश की जी.डी.पी.गर्त में गोते लगा रही है ठीक इसी प्रकार वर्तमान कृषि सुधार विधेयक की स्थिति है, कुछ लोग इसे बड़े घरानों के हाथों में सौप कर किसानों की हीत में बता रहे है,किंतु यह विधेयक लागु होने पर किसानों के हाथों से जमीन (कृषि भूमि)निकल जाने पर समझ आयेगा की भा.ज.पा. सरकार ने किसानों के साथ छल-कपट किया है,सरकार अगर किसानों की इतनि ही हितैषी है तो गेंहू,गन्ना,दलहन,तिलहन की फसलों के समर्थन मूल्य में किसानों की उपज लागत के आधार पर बढ़ोत्तरी करे आज वर्तमान समय मे किसान को खेती की लागत के बराबर का भी मूल्य नही मिल पा रहा है,ऐसे ऐसे यह कृषि सुधार विधेयक मध्यम एव सीमांत कृषकों के पीठ में कुठाराघात है,किसान को अपनी फसल बेचने शहर-शहर घूमना पड़ेगा जिससे किसान को ट्रांसपोर्टिंग खर्च भी नही मिल सकेगा वर्तमान समय में केन्द्र सरकार द्वारा जिस तरह से सर्वाजनिक उपक्रमो को बेचने का कार्य किया जा रहा है वह किसानों की कृषि भूमि को भी इस बिल के माध्यम से कारपोरेट घरानों को थमाने के राह में कदम बढ़ा रही है

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