खास खबरछत्तीसगढ़

बोलने से पहले सुनना, समझना – ज्योतिष

*बोलने से पहले सुनना, समझना – ज्योतिष*
सुनना, समझना, कमाना और जीना अवश्य सीखें
लोग सुबह से रात्रि तक बोलते रहते हैं। वे कुछ भी बोलते हैं। परंतु यह नहीं मालूम, कि कब कहां क्या और कितना बोलना चाहिए? जब बिना जाने बोलते हैं, तो बहुत सी गलतियां भी करते हैं। तो कैसे बोलना चाहिए? कहाँ, क्या और कितना बोलना चाहिए? इस बात को समझने के लिए पहले सुनना सीखें। आप वही तो बोलेंगे, तो आप जानते हैं! आप क्या जानते हैं? जो आप सुनेंगे, वही जानेंगे। इसलिए सही बोलने के लिए, पहले सुनना सीखना होगा। तो ठीक प्रकार से सुनें। पूरे ध्यान से सुनें। पहले वक्ता का अभिप्राय समझें, और फिर प्रसंग के अनुसार प्रमाण पूर्वक नपी तुली बात बोलें, जिसका दूसरे लोगों पर कोई गलत प्रभाव न पड़े। इसको कहते हैं सही बोलना। इसलिये बोलने से पहले सुनना सीखें।
अब कुछ लोग ऐसे हैं, जो लेख लिखते हैं, पुस्तकें लिखते हैं। उन्हें बड़ा शौक होता है, लेखक बनने का। अपनी प्रसिद्धि कराने का, अपनी प्रशंसा सुनने का। अपना शौक पूरा करने के लिए वे कुछ भी लिखते रहते हैं। ऐसे लोग न वैदिक शास्त्रों को पढ़ते, न सही सिद्धांत को समझते, सिर्फ अपना शौक पूरा करने के लिए भ्रांतिपूर्ण बातें लिखते रहते हैं। यह बड़ा अपराध है। यदि आप लिखना चाहते हैं, तो उससे पहले सत्य को समझना होगा। अच्छी प्रकार से वैदिक शास्त्रों का अध्ययन करके सत्य को समझा जा सकता है। उसके बाद ही कुछ लिखना चाहिए। अन्यथा गलत बातें लिख लिखकर भ्रांतियाँ फैलाने के अपराध में आपको खतरनाक दंड भोगना पड़ेगा। इसलिए लिखने से पहले समझना सीखें।
कुछ लोगों को पैसे खर्च करने का बड़ा शौक होता है। उन्हें रोज नई-नई वस्तुएँ चाहिएँ। नए नए फैशन की, नए-नए डिजाइन की वस्तुएँ चाहिएँ। ठीक है, पैसे होते भी खर्च करने के लिए हैं, सुख प्राप्त करने के लिए ही पैसे होते हैं। परंतु पैसे खर्च करने से पहले, आपकी जेब में पैसे होने भी तो चाहियें! जेब में पैसे होंगे, तभी तो खर्च करेंगे! जब जेब मैं पैसे हैं ही नहीं, तो खर्च कैसे करेंगे? उधार लेना तो अच्छा नहीं है। वेदो में कहा है, जो व्यक्ति पैसे उधार लेता है, उसको रात को अच्छी गहरी नींद नहीं आती। वह सदा चिंता और तनाव से ग्रस्त रहता है। इसलिए पैसे खर्च करने से पहले आपको कमाना सीखना होगा। पहले ईमानदारी बुद्धिमत्ता और मेहनत से धन कमाएँ, और फिर खर्च करें। *इसलिए खर्च करने से पहले कमाना सीखें।
संसार में प्रायः लोग ऐसे हैं, जो पूरा जीवन टाइमपास ही करते रहते हैं। कोई जीवन का विशेष लक्ष्य नहीं होता। सिर्फ दुनियाँ की नकल करते हैं। जैसे कि, लोग स्कूल जाते हैं, कॉलेज जाते हैं, पढ़ाई करते हैं, डिग्री लेते हैं, पैसे कमाते हैं, शादी करते हैं, बच्चे पालते हैं, खा पीकर सो जाते हैं। लेकिन जीवन का असली उद्देश्य क्या है? वह समझ में नहीं आता। जब बुढ़ापे में जीवन का उद्देश्य समझ में आता है, तब तक शरीर में शक्ति लगभग समाप्त हो चुकी होती है। तब लोग पश्चाताप करते हैं कि हमने यूं ही सारा जीवन खो दिया। जीने का सही तरीका तो अब बुढ़ापे में समझ में आया है। परंतु अब कुछ विशेष काम कर नहीं सकते, क्योंकि शरीर में शक्ति रही नहीं। इसलिए पश्चाताप करते करते ही संसार से चले जाते हैं। और अगले जन्म में फिर वही चक्र चलता है जो इस जन्म में बचपन से बुढ़ापे तक चला। इसलिए यह भी सीखना होगा कि ठीक ढंग से कैसे जिएँ, अर्थात अपने जीवन का सदुपयोग कैसे करें। इसलिए मरने से पहले जीना सीखें तभी जीवन सार्थक होगा। ज्योतिष कुमार (सबका संदेश डॉट कॉम)

Related Articles

Back to top button