भिलाई-चरोदा नगर निगम में परिसीमन की कवायद शुरू
वार्ड बढने की उम्मीद नही, इस बार भी यथावत रह सकते हैं चालिस ही वार्ड
आबादी और भौगोलिक आधार पर होगा परिसीमन
कलेक्टर ने आयुक्त राठौर और पोयम सिंह को दी है इसकी जिम्मेदारी
भिलार्ई। भिलाई-चरोदा नगर निगम का चुनाव आगामी दिसंबर 2021 में होगा लेकिन इसकी तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है, इसके लिए डेढ़ साल पहले ही वार्डों के नये सिरे से परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कलेक्टर ने इसकी जिम्मेदारी निगम आयुक्त कीर्तिमान सिंह राठौर एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पाटन पोयम सिंह को दी है। इन अधिकारियों ने आबादी के आंकड़े और वार्डों के नक्शे के साथ प्रारंभिक कवायद शुरू कर दिया गया है। जिस प्रकार से संकेत मिल रहा है उससे ऐसा लग रहा है कि इस बार भी इस निगम में 40 ही वार्ड रहेगे। वार्डों के बढने की संभावना इस बार भी नही है। इसके अलावा आबादी और भौगोलिक आधार पर वार्डोँ का परिसीमन किया जाने की जानकारी मिल रही है। निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की माने तो वार्डों के नये परिसीमन का प्रारंभिक खाका लगभग 10 अगस्त तक तैयार हो जाएगा। इसके बाद ही निगम के 40 वार्डों की नई तस्वीर स्पष्ट हो सकती है।
भिलाई निगम में इस बार भी परिसीमन के बाद जिस प्रकार वाद विवाद शुरू हो गया है, उसके देखते हुए भिलाई तीन चरोदा निगम में भी वार्डोँ के परिसीमन के बाद हलचल मच सकती है। वेसे भी परिसीमन के बाद दावा आपत्ति के लिए समय दिया जायेगा। लेकिन परिसीमन की कवायद यहां भी शुरू होने से अभी से राजनीति में हलचल मच गई है। यहां के मौजदा निर्वाचित परिषद का कार्यकाल पूरा होने से डेढ़ साल पहले ही भिलाई-चरोदा निगम में वार्डों का परिसीमन होने से स्थानीय राजनीति में चुनावी गरमाहट का अहसास होने लगा है।
उल्लेखनीय है कि भिलाई-चरोदा नगर निगम का गठन जुलाई 2015 में हुआ और इसके महापौर पद को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित करते हुए प्रथम परिषद के निर्वाचन हेतु दिसंबर 2016 में चुनाव कराया गया। आगामी चुनाव के लिए महापौर पद का आरक्षण तय करते हुए अनुसूचित जाति महिला पुरुष मुक्त रखा गया है। परिसीमन के नियम कायदों के जानकारों की माने तो निकाय के बिना किसी विभाजन के महापौर पद का आरक्षण तय हो जाने के बाद वार्डों की संख्या बढ़ाई अथवा घटाई नहीं जा सकती। इसी नियम के तहत भिलाई-चरोदा में नये परिसीमन के बावजूद वार्डों की संख्या यथावत 40 बनाए रखने का संकेत है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि भिलाई-चरोदा निगम क्षेत्र की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर लगभग एक लाख है। इस आबादी को पूरे 40 वार्डों में बराबर-बराबर विभाजित किया जाना परिसीमन का नियम है। इस लिहाज से प्रत्येक वार्ड में ढाई हजार की आबादी को रखा जाना चाहिए। लेकिन निगम क्षेत्र के कुछ ग्रामीण वार्ड ऐसे हैं जिनमें आबादी कहीं ढाई हजार से बहुत अधिक और कहीं बहुत ही कम है। जबकि परिसीमन के कायदों के अनुसार भौगोलिक दृष्टिकोण से 10 प्रतिशत आबादी के आंकड़े को कम या अधिक किया जा सकता है। इस स्थिति में भिलाई-3 व चरोदा जैसे शहरी क्षेत्र के वार्डों की सीमा बदलने की संभावना नये परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ उभरने लगी है।
जातिगत आरक्षण से मुक्त हो सकते हैं कई वार्ड
नये परिसीमन के चलते कुछ वार्डों की चौहदी बदलने का असर आरक्षण को प्रभावित कर सकता है। इसके चलते कुछ वार्ड जातिगत आधार पर होने वाले आरक्षण से मुक्त हो सकते हैं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग को नियमानुसार प्रतिनिधित्व देन के लिए इन वर्गों की जातिगत जनसंख्या के अनुरुप वार्डों का आरक्षण किया जाता है। अब जब कुल 40 वार्डों को यथावत रखते हुए आबादी की विसंगति को दूर करते हुए परिसीमन किया जा रहा है तो जातिगत आधार पर आरक्षित वर्तमान में से कुछ वार्ड से सामान्य व अविप को चुनाव लडऩे की पात्रता हासिल हो सकती है।