दुनिया की सबसे खतरनाक मछली, इसके एक बूंद जहर से बर्बाद हो सकता है पूरा शहर most poisonous fish of the world | knowledge – News in Hindi


लगभग 40 सेंटीमीटर लंबी और 2 किलोग्राम वजनी इस मछली के 13 स्पाइन्स होते हैं (Photo-pixabay)
गहरे समुद्र में रहने वाली ये मछली दुनिया का सबसे जहरीला जीव है. इसके जहर का बूंदभर भी अगर किसी शहर के पानी के स्त्रोत में मिल जाए तो लगभग पूरी आबादी खतरे में आ सकती है.
स्टोनफिश समुद्र में काफी धीमी गति से तैरने वाली मछली है लेकिन शिकार पकड़ने की इसकी रफ्तार एकदम अलग है. ये सिर्फ 15 सेकंड में अपने शिकार का काम तमाम कर देती है. धूसर रंग की ये मछली आमतौर पर पत्थरों के पीछे छिपी रहती है ताकि कोई उसे देख न सके. रंग के अलावा मछली का पूरा शरीर ऐसा है जो समुद्र के वातावरण से मेल खाता है. छोटी दिखाई देने वाली ये स्टोन फिश खारे पानी की सबसे खतरनाक मछली मानी जाती है. इसकी वजह है इसका जहर और शिकार करने का तरीका.

ये जहर मछिलयों या समुद्री जीवों के लिए ही नहीं, बल्कि इंसानों के लिए भी समान रूप से खतरनाक होता है (Photo-pixabay)
पत्थर से घुली-मिली स्टोन फिश को दूसरी छोटी मछलियां आसानी से देख नहीं पाती हैं. जैसे ही वे कोई वनस्पति खाने के लिए पत्थर के पास आती हैं, ये उनपर हमला कर देती है और उनमें अपना जहर डाल देती है. ये मुंह से जहर नहीं छोड़ती, बल्कि मछलियों के तैरने में मदद करने वाले फिन्स में ही जहर भरा होता है. इनमें कुल 13 फिन्स होते हैं, जिनके आखिरी सिरे पर जहर होता है. ये जहर मछिलयों या समुद्री जीवों के लिए ही नहीं, बल्कि इंसानों के लिए भी समान रूप से खतरनाक होता है. अगर गलती से किसी इंसान से इनकी मुठभेड़ हो जाए तो ये तुरंत अपना विष छोड़ती हैं और एकाध मिनट के भीतर ही मौत हो सकती है.इन कुछ सेकंड्स में कई लक्षण दिखते हैं. जैसे काटने की जगह पर बहुत ज्यादा दर्द और जलन. वहां पर सूजन आ जाती है जो तुंरत ही पूरे शरीर पर दिखने लगती है. शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने लगती है और सांस रुकने से व्यक्ति की मौत हो जाती है.

साल 1950 में इसके लिए एंटी-वेनम तैयार किया गया ताकि गोताखोरों की जान बचाई जा सके (Photo-pixabay)
मछली से जहर से बचाने के लिए शख्स को तुरंत ही एंटीडोट देना होता है. यही वजह है कि साल 1950 में इसके लिए एंटी-वेनम तैयार किया गया. जिस समुद्र में स्टोन फिश के होने की संभावना ज्यादा होती है, वहां गोताखोर एंटी-वेनम के साथ ही जाते हैं. हालांकि खुद को खतरे में पाते ही ये इतनी तेजी से अपना जहर छोड़ती है कि ज्यादातर लोग इसके लिए तैयार ही नहीं होते हैं और असावधानी में मारे जाते हैं. ये भी माना जाता है कि अगर इसके जहर की एक बूंद भी पानी से भरे किसी स्त्रोत में डाल दी जाए, जहां से आबादी को पानी की आपूर्ति होती है, तो पूरा पानी ही जहरीला हो जाता है और समय रहते दवा न मिले तो हजारों जानें ले सकता है.
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स्टोन जैसी सख्त खोल वाली इस मछली की एक और खासियत इसे दूसरी मछलियों से अलग बनाती है. ये पानी से बाहर चौबीस घंटों तक जिंदा रह सकती है. दरअसल ये अपनी स्किन से भी ऑक्सीजन ले पाती है, और यही खासियत इसे जिंदा रखती है. कई बार समुद्री तूफान में मछलियां पानी से काफी दूर जा गिरती हैं. ऐसे में इसी वजह से ये 24 घंटों तक बच जाती हैं, हालांकि इस बीच इन्हें पानी में न छोड़ा जाए तो इनकी मौत हो जाती है.
First published: June 19, 2020, 1:17 PM IST