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कोका कोला और थम्स अप पर लगवाना चाहता था बैन, खुद पर ही लग गया 5 लाख का जुर्माना – Supreme court Dismisses PIL Seeking Ban on Coca Cola and Thumbs Up, 5 Lakh Fine on Petitioner | nation – News in Hindi

कोका कोला और थम्स अप पर लगाना चाहता था बैन, खुद पर ही लग गया 5 लाख का जुर्माना

कोका कोला को बैन करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कहा इस तरह याचिका (Petition), जनहित याचिका दाखिल करने के अधिकार का दुरुपयोग करना है. कोर्ट ने कहा कि इस विषय पर याचिकाकर्ता के पास कोई तकनीकी जानकारी नहीं है, इसके बावजूद उसने याचिका दाखिल की.

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दाखिल कर कोका कोला (Coca Cola) और थम्स अप (Thumbs Up) पर रोक लगाने की मांग करना एक याचिकाकर्ता (Petitioner) को ही भारी पड़ गया. सुप्रीम कोर्ट ने न केवल याचिकाकर्ता की याचिका (Petition) खारिज कर दी बल्कि उस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया. कोर्ट ने कहा इस तरह याचिका, जनहित याचिका दाखिल करने के अधिकार का दुरुपयोग करना है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस विषय पर याचिकाकर्ता के पास कोई तकनीकी जानकारी नहीं है, इसके बावजूद उसने याचिका दाखिल की. याचिकाकर्ता को कोर्ट ने 5 लाख रुपये एक महीने के अंदर जमा करने के आदेश ​दिए गए हैं.

ये मामला जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, हेमंत गुप्ता और अज रस्तोगी की बेंच का है. याचिका में कहा गया था​ कि कोका कोला, थम्स अप और सॉफ्ट ड्रिंक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं इसलिए इन्हें पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए और इनकी ब्रिकी पर रोक लगानी चाहिए. याचिका में कहा गया कि भविष्य में वैज्ञानिकों की मंजूरी मिलने के बाद ही इनकी बिक्री के लिए लाइसेंस दिया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता उमेद सिंह चावड़ा ने खुद को समाज सेवक बताते हुए यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता ने जो बाते हलफनामे में कहीं है उसका कोई ठोस आधार उनके पास नहीं है. इससे यही लगता है कि याचिकाकर्ता को इस विषय के बारे में कोई तकनीकी जानकारी नहीं है.

इसे भी पढ़ें :- क्या कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान की पूरी सैलरी मिलेगी? सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसलाकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई दलील का कोई औचित्य या स्पष्टीकरण नहीं है. उन्होंने कहा ​कि याचिकाकर्ता ने केवल इन्हीं दो ब्रांडों को ही क्यों चुना. कोर्ट ने कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अनुच्छेद 32 के तहत एक जनहित याचिका में अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल इस तरह नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया.

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