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कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए क्या करें, क्या न करें? केंद्र ने शहरी इलाकों के लिए जारी हुई नई गाइडलाइन | Health Ministry Latest Dos And Do not To Contain COVID 19 In Urban Settlements | nation – News in Hindi

नई दिल्‍ली. कोरोना वायरस महामारी (CoronaVirus) के कारण देशभर में लॉकडाउन (Lockdown) है. लॉकडाउन का तीसरा चरण रविवार को खत्‍म हो रहा है. हालांकि लॉकडाउन को बढ़ाने का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पहले ही कर चुके हैं. इस बीच क्‍या करना है और क्‍या नहीं करना है, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने शहरी बस्तियों के लिए एक सूची जारी की है.

मंत्रालय का कहना है कि शहरी स्थानीय निकाय कुछ खास चीजों को ध्‍यान में रखकर कदम उठाएंगी तो शहरी बस्तियों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है. भीड़भाड़, तंग गलियों और कम में जगह में बसी बस्तियों में संक्रमण फैलने का खतरा ज्‍यादा है.

सरकार ‘इंसिडेंट कमांडर’ की करेगी पहचान
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय का कहना है कि इन क्षेत्रों में ज्‍यादात्‍तर श्रमिकों की आबादी होती है जो औद्योगिक इकाइयों में काम करते हैं. यहां आवास की अच्‍छी व्‍यवस्‍था नहीं होती है, पीने का साफ पानी नहीं हाता है और सफाई की व्‍यवस्‍था नहीं होती है. स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाओं में अंतर है. मंत्रालय ने कहा कि इन क्षेत्रों में महामारी के प्रसार को रोकने के लिए यहां पर एक ‘इंसिडेंट कमांडर’ की पहचान की जाएगी जो यहां पर प्‍लानिंग, ऑपरेशन, लॉजिस्टिक और फाइनेंस टीम को संभालेगा. ये कमांडर कोरोना वायरस को रोकने के उपायों पर काम करेगा. इंसिडेंट कमांडर नगर आयुक्‍त को रिपोर्ट करेगा.इस वेबसाइट से जुड़ें रहेंगे सभी वॉरियर्स

अधिकांश शहरों और कस्‍बों की तरह कोरोना संक्रमण की निगरानी प्रणाली ग्रामीण क्षेत्रों में भी व्यवस्थित नहीं है. इसलिए निगरानी प्रणाली के साथ ही कांटेक्‍ट ट्रेसिंग मैकेनिजम को भी मजबूत किया जाएगा. स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, डिस्पेंसरी और प्रशिक्षिक कार्यकर्ता covidwarriors.gov.in से जुड़े रहेंगे. जरूरत पड़ने पर उनसे शॉर्ट नोटिस पर संपर्क किया जाएगा.

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कहा क‍ि जिन क्षेत्रों में सामुदायिक स्तर की संरचनाएं नहीं हैं उन्‍हें नामित स्वास्थ्य सुविधाओं (COVID-19 देखभाल केंद्रों) में बदला जा सकता है. इन बस्तियों के पास शहरी स्थानीय निकाय द्वारा पहचान की गई मौजूदा सुविधाओं को कोविड-19 देखभाल केंद्रों के रूप में चिह्नित किया जाएगा.

मंत्रालय ने कहा कि इन इलाकों के आस-पास के एरिया में एंबुलेंस की व्‍यवस्‍था सुनिश्चित रहेगी और एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया जाएगा. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘क्‍लिनिकल असिसमेंट और प्रभावी होम क्‍वारंटाइन के माध्‍यम से हाई रिस्‍क पॉपुलेशन का बचाव किया जा सकता है. ऐसी जगहों पर अगर हम प्रबंधन पर ज्‍यादा ध्‍यान देंगे तो हम मृत्‍युदर को प्रभावित कर सकते हैं.

देश में कोविड-19 के 80 फीसदी मामले 30 निगम क्षेत्रों से
कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के लगातार बढ़ने के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारियों और उन 30 निगम क्षेत्रों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक की जिनका योगदान देश के कुल कोविड-19 मामलों में करीब 80 प्रतिशत है. इस दौरान पुराने शहर के इलाकों, शहरी झुग्गियों, प्रवासी कामगारों के शिविरों और घनी आबादी वाले इलाकों में निगरानी पर जोर दिया गया.

बैठक के दौरान ठीक होने के प्रतिशत में सुधार के लिये मरीज की समय पर पहचान और इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई)/सांस के गंभीर संक्रमण पर ध्यान देने पर जोर दिया गया. स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेष कार्याधिकारी राजेश भूषण ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही राज्यों के प्रधान स्वास्थ्य सचिवों, निगम आयुक्तों, जिलाधिकारियों व 30 निगम क्षेत्र के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की.

ये 30 निगम क्षेत्र महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब और ओडिशा के हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि बैठक के दौरान कोविड-19 से निपटने के लिए अधिकारियों और नगर निगमों द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई. बैठक के दौरान शहरी बस्तियों में कोविड-19 के प्रबंधन से जुड़े नए दिशानिर्देशों की जानकारी भी साझा की गई.

देश से 30 हजार से ज्‍यादा लोग हुए स्‍वस्‍थ्‍य
देश भर में अब तक 30,150 लोग बीमारी से ठीक हो चुके हैं और बीते 24 घंटे की बात करें तो 2,233 मरीज ठीक हुए हैं जो एक दिन में ठीक होने वालों की सबसे ज्यादा संख्या है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इससे ठीक होने की दर अब 35.09 प्रतिशत हो गई है. देश में संक्रमण के कुल मामले 85,940 हैं जिनमें से बीते 24 घंटे के दौरान 3,970 मामले सामने आए हैं.

बैठक के दौरान जिलों में कोविड-19 संक्रमण के बारे में एक प्रस्तुति भी दी गई, जिसमें उच्च जोखिम वाले कारक, पुष्टि दर, मृत्यु दर, आंकड़ों के दोगुना होने की दर, प्रति 10 लाख पर जांच आदि सूचकांक थे.

तय किए जाएं बफर जोन
निगम अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी गई कि निषिद्ध और बफर जोन तय करते समय किन कारकों को ध्यान में रखना है. मंत्रालय के बयान में कहा गया कि अधिकारियों को सलाह दी गई कि इलाका जिला प्रशासन या स्थानीय शहरी निकाय द्वारा उचित तरीके से परिभाषित होना चाहिए जिसमें स्थानीय स्तर पर तकनीकी जानकारी हो.

इसमें कहा गया कि निषिद्ध जोन और उसके आस-पास के बफर जोन को सही तरीके से रेखांकित किया जाना चाहिए जिससे कोरोना वायरस प्रसार की श्रृंखला को तोड़ा जा सके. मामलों के दोगुना होने की उच्च दर, उच्च मृत्यु दर और निषिद्ध क्षेत्र में मामलों की पुष्टि की उच्च दर जैसे सूचकांकों के संदर्भ में अधिकारियों को इनके संभावित मूल कारणों के बारे में जानकारी देने के साथ ही अनुशंसित संभावित कार्रवाई के बारे में भी बताया गया.

बयान में कहा गया कि स्वास्थ्य सचिव ने कोविड-19 के मामलों को रोकने और उनके प्रबंधन के साथ ही शहरी इलाकों में कोविड-19 से इतर आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं जैसे आरएमएनसीएच+ एन देखभाल, कैंसर का इलाज, टीबी निगरानी, टीकाकरण प्रयास तथा आगामी मानसून के मौसम को देखते हुए मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम पर भी ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया.

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