ये है किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने का तरीका, इस स्कीम से अब भी वंचित हैं 7 करोड़ किसान, How to apply Kisan Credit Cards-KCC-Scheme-Documents Required for farm Loan and rate of interest-dlop | business – News in Hindi
पहले किसान क्रेडिट कार्ड लेने पर किसानों पर जबरन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) थोप दी जाती थी. उन्हें न चाहते हुए भी मजबूरन इसका हिस्सा बनना पड़ता था. मोदी सरकार को लगा कि शायद इस बाध्यता की वजह से किसान केसीसी नहीं बनवा रहे. इसलिए कैबिनेट ने 19 फरवरी 2020 को PM-फसल बीमा योजना में बड़ा बदलाव करते हुए किसान क्रेडिट कार्ड होल्डरों के लिए इसे स्वैच्छिक कर दिया.
फिर 24 फरवरी को पीएम-किसान स्कीम से इसे जोड़कर कार्ड बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया. फिर भी सिर्फ 25 लाख लाभार्थी बढ़े. केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक 31 जनवरी 2020 तक यूपी के 1.27 करोड़, बिहार के 1.32 करोड़, महाराष्ट्र के 82 लाख, केरल के 62 लाख और तमिलनाडु के 59 लाख किसान केसीसी कवरेज से बाहर थे.
बता दें कि साल 1998 में जब केसीसी की शुरुआत हुई तो देश में महज 7.84 लाख कार्ड बने थे. इसके तहत 3 लाख रुपये तक का लोन सिर्फ 4 फीसदी की ब्याज दर पर मिलता है. कार्ड की वैलीडिटी पांच साल होती है.आदेश के बावजूद नहीं बदला बैंकों का रवैया
केंद्र सरकार चाहती है कि साहूकारों के चंगुल से किसानों को बचाने के लिए सभी किसानों का कार्ड बने. ताकि उन्हें सिर्फ 4 फीसदी के रेट पर खेती-किसानी के लिए 3 लाख रुपये तक का लोन मिल सके. लेकिन बैंक आसानी से कर्ज नहीं देते.
मोदी सरकार ने सभी राज्य सरकारों को बैंक-वार और गांव-वार शिविर आयोजित करने की सलाह दी. ताकि पात्र किसानों को भटकना न पड़े. उन्हें केसीसी आवेदन पत्र गांव वालों से खुद लेकर संबंधित बैंक शाखा में जमा करने का आदेश है. बैंकों को सलाह दी गई है कि वे आवेदन पूरा होने के 2 सप्ताह के भीतर केसीसी जारी करें. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति इसकी निगरानी करेगी. लेकिन जमीनी हालात इसके उलट हैं.
कार्ड होल्डर न बढ़ने की वजह क्या है?
राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य बिनोद आनंद कहते हैं कि केसीसी योजना के फार्मेट में ही गलत है. किसानों के लिए यह योजना है लेकिन कृषि मत्रालय (Ministry of agriculture) की चलती नहीं. दूसरी ओर वित्तीय सिस्टम नहीं चाहता कि फार्मर को लोन मिले. उसे किसानों से न जाने क्यों डर लगता है. जब किसान कृषि लोन के लिए अप्लाई करता है तो संबंधित बैंक और किसान के बीच में बिचौलिए के रूप में नाबार्ड (NABARD) खड़ा हो जाता है. जबकि वो किसान को डायरेक्ट लोन नहीं देता. वो एक रेगुलेटरी बॉडी भर है.
एक जिले में नाबार्ड का एक डिस्ट्रक्ट डेवलपमेंट मैनेजर होता है. उसी के जरिए डिस्ट्रिक लेवल बैंकर कमेटी (DLBC) केसीसी लोन अप्रूव करती है. ऐसी बिचौलियों वाली व्यवस्था की जरूरत क्या है.
कैसे करें आवेदन
किसान क्रेडिट कार्ड के इच्छुक किसान नजदीकी बैंक जाकर इसके लिए अप्लीकेशन दे सकते हैं. अधिकारी फॉर्म भरने में बैंक अधिकारी की मदद लें. बाद में, लोन अधिकारी आवश्यक विवरण साझा करेगा और आवेदन की प्रक्रिया पूरी करेगा. बैंक की साइट पर जाकर इसके लिए ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है.
कार्ड बनवाने के लिए क्या है जरूरी
केसीसी बनवाने के लिए पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जमीन का रिकॉर्ड और फोटो देनी होगी. इतने में ही बैंक को केसीसी बनाना पड़ेगा. अगर आपको किसान सम्मान निधि स्कीम (pm kisan samman nidhi scheme) के तहत पैसा मिलता है तो यह काम और आसान हो सकता है. क्योंकि आपका पूरा डेटा केंद्र सरकार वेरीफाई कर चुकी है.
लोन न मिले तो क्या करें
सरकार ने बैंकों (Bank) को सख्त आदेश दिए हैं. फिर भी अगर आपको कोई बैंक लोन नहीं दे रहा है तो उसकी लीड बैंक और डिस्ट्रिक्ट लेबल बैंकर्स कमेटी में शिकायत लगाईए. जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट लीड बैंक मैनेजर इसके लिए जवाबदेह है और राज्य स्तर पर राज्य की बैंकिंग कमेटी. यहां से भी बात न बने तो रिजर्व बैंक, वित्त और कृषि मंत्री से शिकायत करिए. अधिकारी को किसान क्रेडिट कार्ड बनाना ही पड़ेगा. अगर बैंक अधिकारी मना कर रहा है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है.
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