लॉकडाउन के दौरान खतरे में काजीरंगा के वन्य जीव, बढ़ीं अवैध शिकार की कोशिशें – Kaziranga wildlife threatened during lockdown, increased poaching efforts | knowledge – News in Hindi
उद्यान के अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन में अवैध शिकार की कोशिशें बढ़ गई हैं. हाल में एक सींग वाले दुर्लभ गैंडे को मार दिया गया. काजीरंगा में एक सींग वाले गैंडों की दुनिया में सबसे बड़ी आबादी है. लॉकडाउन में उद्यान के पास सभी रोड्स पर वाहनों की कमी के कारण जानवर सीमाओं तक चले जा रहे हैं. इससे शिकारियों के लिए उनका शिकार करना आसान हो रहा है.
शिकारी गैंडे की हत्या के बाद काटकर ले गए उसका सींग
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक पी. शिवकुमार को शक है कि इस गैंडे को कम से कम दो या तीन दिन पहले मारा गया होगा. पी. शिवकुमार ने यह भी बताया कि इस दुर्लभ गैंडे का सींग गायब है. गैंडे के एक सींग से शिकारी ब्लैक मार्केट में डेढ़ लाख डॉलर या 60,000 डॉलर प्रति किलो कमा सकते हैं. चीन की पारंपरिक इलाज पद्धतियों में गैंडे के सींग का इस्तेमाल भी होता है. इस वजह से विदेश में इसकी बहुत डिमांड है. शिवकुमार ने यह भी बताया कि हमें एके-47 राइफल के खाली कारतूसों के आठ राउंड भी मिले हैं. गैंडे का शव उद्यान में एक पानी के स्रोत के पास मिला. इस पूरी वारदात की अवैध शिकार की एक घटना के तौर पर पुष्टि हो चुकी है. काजीरंगा यूनेस्को में सूचीबद्ध एक धरोहर स्थल है.
काजीरंगा में एक सींग वाले दुर्लभ गैंडे पाए जाते हैं. इनकी सुरक्षा के लिए विशेष फोर्स बनाई गई है.
दुर्लभ गैंडों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है एक विशेष फोर्स
उद्यान के अधिकारियों का कहना है कि यहां यह एक साल में अवैध शिकार का पहला मामला है. इसके पहले अवैध शिकार के कई मामले सामने आते रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि 25 मार्च से देश भर में लॉकडाउन शुरू होने के बाद उद्यान के अंदर और उसके आसपास अवैध शिकार की कोशिशें बढ़ गई हैं. अप्रैल में इन दुर्लभ जानवरों को मारने की पांच से भी ज्यादा कोशिशों को उद्यान के रेंजर्स ने नाकाम कर दिया था. राज्य सरकार ने गैंडों की सुरक्षा के लिए एक विशेष फोर्स भी गठित की है. एक सींग वाले गैंडे कभी इस इलाके में बहुतायत में होते थे, लेकिन शिकार और हैबिटैट के खोने से अब इनकी संख्या सिर्फ कुछ हजारों में रह गई है.
वन्यजीवों के मामलों को सुनने के लिए बनी हैं फास्ट ट्रैक कोर्ट
एक सींग वाले ज्यादातर गैंडे असम में ही हैं. काजीरंगा ही अब इनका मुख्य ठिकाना है. साल 2018 में हुई गणना के अनुसार यहां एक सींग वाले 2,413 गैंडे हैं. काजीरंगा 850 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इसकी स्थापना 1908 में हुई थी. उस समय तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय की पत्नी असम दौरे पर गई थीं और उन्होंने शिकायत की थी कि वहां एक भी गैंडा नहीं है. अब उद्यान में गैंडों के अलावा बाघ, हाथी और तेंदुए भी हैं. असम में 705 शिकारियों की पहचान की गई थी, जिनमें 2001 के बाद से 661 को गिरफ्तार किया गया. वहीं, 2013 से 2016 के बीच गिरफ्तार 265 शिकारियों में से केवल 6 को सजा मिली और 11 बरी हो गए. बाकी पर मुकदमा चल रहा है. तीव्र सुनवाई के लिए उद्यान से लगे 10 जिलों में वन्यजीव फास्ट ट्रैक अदालतें हैं.
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों के अलावा हाथी, हिरण, जंगली भैंसे और तेंदुए भी रहते हैं.
उद्यान में एक सींग वाले गैंडों का घनत्व दुनिया में सबसे ज्यादा
काजीरंगा भारत के सबसे पुराने वन्यजीव संरक्षण उद्यानों में एक है. इसकी अधिसूचना 1905 में जारी हुई थी और तीन साल बाद उसे संरक्षित वनक्षेत्र का दर्जा मिला. इसमें 228 वर्ग किमी का क्षेत्र विशेष रूप से एक सींग वाले गैंडों के संरक्षण के लिए चिह्नित किया गया, जिनकी अनुमानित संख्या उस वक्त 40 थी. उद्यान में एक सींग वाले गैंडों की संख्या का घनत्व दुनिया में सबसे ज्यादा है, जो प्रति वर्ग किमी 5.59 गैंडे है. यह प्रजाति आइयूसीएन की लाल सूची में दर्ज है. गैंडों की संख्या में इजाफे से शिकार भी बढ़ता गया. 2006 से 2016 के बीच 151 गैंडों का शिकार हुआ, जिनमें 54 तो अकेले 2013-14 के दौरान मारे गए.
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