मातृ-पितृ-पूजन दिवस: जीवन के बाद भी बनी रह सकती है उत्पादकता
वेलेनटाईन डे की जगह एमजे कालेज में मना मातृ-पितृ-पूजन दिवस
भिलाई। हममें से प्रत्येक के पास 24 घंटे ही होते हैं। विश्राम एवं व्यक्तिगत स्वच्छता से बचे हुए समय का हम कैसा उपयोग करते हैं, इससे हमारी उत्पादकता तय होती है। यदि समाज को देने की इच्छा हो तो जीवन के बाद भी हमारी उत्पादकता बनी रह सकती है। हम मरणोपरांत अंग दान कर ऐसा कर सकते हैं।
उक्त उद्गार एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग में आयोजित मातृ-पितृ-पूजन दिवस एवं उत्पादकता दिवस के अवसर पर सहा. प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि हमारे माता पिता अपनी सभी असुविधाओं को दरकिनार कर हमारी सेवा करते हैं, हमें साधन उपलब्ध कराते हैं। वृद्धावस्था में उन्हें कोई परेशानी न हो, इसका ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी है। यदि हम नौकरी के सिलसिले में उनसे कोसों दूर भी हैं तो नियमित रूप से उनसे सम्पर्क बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि एकल परिवार और दूर दराज की नौकरियों के इस युग में वृद्धाश्रमों का बढऩा स्वाभाविक है जहां उन्हें एक दूसरे का सहारा रहे। पर ये वृद्धाश्रम सर्वसुविधा सम्पन्न हों, इसकी चिंता भी हमें ही करनी होगी।
आरंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच ने संस्कृति को शिक्षा से ऊपर रखते हुए कहा कि हमारे माता पिता को हमसे बहुत थोड़ी सी अपेक्षा होती है। यदि हम उसे भी पूरा न कर सके तो हमारी सफलता व्यर्थ है। पाश्चात्य जीवन शैली में हम अपने माता पिता को घर के पिछले कमरों में छोडऩे लगे हैं, जो किसी भी दिशा से उचित नहीं है। आगे चलकर यह अपसंस्कृति हमें कहीं का नहीं छोड़ेगी। उन्होंने उत्पादकता विषय पर बिन्दुवार विस्तार से चर्चा की।
इस अवसर पर महाविद्यालय के समन्वयक वीके चौबे, नर्सिंग महाविद्यालय की प्राचार्य कनम्मल सी, उप प्राचार्य सीजी थॉमस, वाणिज्य संकाय से चरनीत संधु, पूजा केसरी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य संकाय के सहायक प्राध्यापक सौरभ मंडल ने किया।