इस बीमारी के मरीजों में कोरोना संक्रमित होने पर मौत की आशंका तीन गुना ज्यादा – The risk of death in coronavirus infected cancer patients is three times higher | knowledge – News in Hindi

ब्लड और लंग्स कैंसर के मरीजों को खतरा सबसे ज्यादा
चीन, सिंगापुर और अमेरिका के शोधकर्ताओं के साझा शोध में पता चला है कि अगर किसी मरीज को खून (Blood Cancer) और फेफड़े (Lungs Cancer) से संबंधित कैंसर है तो उस मरीज की कोरोना वायरस की जद में आने पर मौत का खतरा ज्यादा होता है. वहीं, स्वस्थ लोगों में संक्रमित होने पर ये जोखिम काफी कम होता है. शोध में चीन के हुबेई प्रांत के 14 अस्पतालों को शामिल किया गया. इसमें समान उम्र के 105 कैंसर के मरीज शामिल किए गए. इसके अलावा 536 ऐसे मरीज भी शामिल किए गए, जिन्हें कैंसर नहीं था. ये सभी मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित थे. शोधकर्ताओं ने बताया कि पहले से कैंसर वाले कोरोना संक्रमित मरीजों में मृत्यु दर तीन गुना ज्यादा है. वहीं, सामान्य लोगों की कोरोना वायरस के कारण मृत्यु दर 2-3 फीसद ही है. यही नहीं, कैंसर से पीड़ित मरीजों में कोरोना वायरस के चपेट में आने और फिर गंभीर होने की आशंका भी ज्यादा रहती है.

कोरोना संक्रमित होने पर कैंसर के मरीजों की हालत इतनी गंभीर हो जाती है कि उन्हें आईसीयू में रखा जाता है.
कई चीजों पर निर्भर है कैंसर के मरीजों की मृत्यु दर
शोध के मुताबिक, कोरोना संक्रमित होने पर कैंसर के मरीजों की हालत इतनी गंभीर हो जाती है कि उन्हें आईसीयू में रखा जाता है. कई मामलों में मैकेनिकल वेंटिलेशन की मदद से उनका इलाज किया जाता है. इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘कैंसर के मरीज की कोरोना संक्रमित होने पर मौत की आशंका इस बात पर भी निर्भर करती है कि उसे कौन सा कैंसर है और वो किस स्टेज पर है.’ कैंसर डिस्कवरी जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर के मरीज के पहले से चल रहे इलाज पर भी मृत्यु दर निर्भर करती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस वैश्विक महामारी का कैंसर से पीड़ित मरीजों पर सबसे ज्यादा असर होगा. अमेरिका की कैंसर सोसाइटी के चीफ मेडिकल ऑफिसर जे. लियोनार्ड लिचेनफील्ड ने इस शोध को बेहद जरूरी बताया है. उन्होंने कहा कि शोध में कैंसर पीड़ित मरीजों की संख्या कम ली गई है, लेकिन इसके बाद भी कैंसर पीड़ित मरीजों के प्रति सतर्कता बरतना जरूरी है.
पेट के कैंसर के मरीजों की मृत्यु लर 38 फीसदी है
अमेरिका में 218 कैंसर के मरीजों पर ये शोध किया गया. ये मरीज 18 मार्च से 8 अप्रैल के बीच कोरोना से संक्रमित हुए थे. इनमें से 61 कैंसर के मरीजों की संक्रमण से मौत हो गई, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अमेरिका में कोरोना की मृत्यु दर 5.8 फीसदी है. शोध में पता चला कि कैंसर के मरीजों में भी सबसे ज्यादा खतरा फेफड़ों के कैंसर के मरीजों को है, जिनकी मृत्यु दर 55 फीसदी पाई गई है. अन्य कैंसर की बात करें तो कुल 25 फीसदी मरीज इसका शिकार हुए. इसके अलावा ब्लड कैंसर के मरीजों में भी मौत की आशंका ज्यादा है. ब्लड कैंसर के मरीजों के संक्रमित हाने पर मृत्यु दर 37 फीसदी पाई गई है. वहीं, पेट के कैंसर में 38 फीसदी, स्तन कैंसर में 14 फीसदी और प्रोस्ट्रेट कैंसर में 20 फीसदी मृत्यु दर पाई गई है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, कैंसर के उपचार से ज्यादा ऐसी रणनीति बनानी होगी, जिसके तहत कैंसर के मरीजों को कोरोना के संक्रमण से बचाया जा सके.

ब्लड कैंसर के मरीजों के संक्रमित हाने पर मृत्यु दर 37 फीसदी पाई गई है.
इस साल 18 लाख नए मरीज आने की है आशंका
अमेरिका (US) की कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, इस साल देश में 6,06,000 लोगों के मरने की वजह कैंसर बन सकता है. वहीं, 2020 में यहां 18 लाख नए कैंसर मरीजों के इलाज की उम्मीद जताई गई है. जे. लियोनार्ड लिचेनफील्ड ने उम्मीद जताई कि अगले कुछ हफ्तों में कोरोना संक्रमित मरीजों के अलावा अमेरिका में दूसरी गंभीर बीमारियों का इलाज भी शुरू किया जा सकता है. हालांकि, सभी इलाकों में स्वास्थ्य की सारी सुविधाएं एकसाथ शुरू कराना आसाना नहीं होगा, लेकिन इसकी शुरुआत की जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘शोध से साफ हो गया है कि सर्जरी करा चुके कैंसर के मरीजों को कोविड-19 का खतरा ज्यादा है. कैंसर के कीमोथेरैपी और रेडियोथेरैपी शुरू करा चुके मरीजों में कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.’ शोधकर्ताओं का कहना है कि कैंसर के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाने के कारण ऐसा होता है.
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