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कैसे शुरू हुआ था हाथ मिलाने का सिलसिला? क्या अब ये हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा? | Know about history and future of handshake in post corona virus world | rest-of-world – News in Hindi

एक दूसरे से हाथ मिलाने (Handshake) का चलन कुछ हज़ार सालों पुराना है, लेकिन अब आशंकाएं हैं कि कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण के बाद की दुनिया में यह सिलसिला खत्म हो जाएगा. अमेरिका (USA) के व्हाइट हाउस (White House) की कोविड 19 (Covid 19) टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. एंथनी फॉकी भी कह चुके हैं कि अब हाथ नहीं मिलाए जाने चाहिए. बहरहाल, यह जानना दिलचस्प है कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय चलनों में से इस एक की शुरूआत कैसे हुई और अब इसका भविष्य कैसे धुंधला रहा है.

मुंह में राम बगल में छुरी..!
हाथ मिलाना सदियों पुराना (Ancient) तौर रहा है, लेकिन इसकी शुरूआत को लेकर अस्पष्टताएं हैं. हिस्ट्री.कॉम के मुताबिक एक लोकप्रिय थ्योरी (Theory) है कि यह शांति का इरादा जताने के मकसद से शुरू हुआ था. खाली दाहिना हाथ (Right Hand) आगे बढ़ाकर दो लोग यह ज़ाहिर करते थे कि उन्होंने कोई हथियार नहीं छुपा रखा है. साथ ही, हाथ पकड़कर ऊपर से नीचे की तरफ इसलिए हिलाया जाता था कि अगर आस्तीन के अंदर कोई चाकू या ऐसा हथियार छुपा हो तो झटककर बाहर गिरे.

कसमे-वादे, प्यार-वफ़ा सब..!दूसरी थ्योरी यह भी रही है कि यह सिलसिला वचनबद्धता या संकल्प जैसे इरादों को ज़ाहिर करने के लिहाज़ से शुरू हुआ होगा. दो लोग जब एक दूसरे का ​हाथ थामते होंगे तो ज़ाहिर करते होंगे कि उनके बीच मज़बूत संबंध है और वो जो कह रहे हैं, वह बात महत्व रखती है. इतिहासकार वॉल्टर बकर्ट के मुताबिक बातों से जल्दी व स्पष्टता के साथ इस तरह से कोई समझौता ज़ाहिर हो सकता है.

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हिस्ट्री.कॉम के मुताबिक 9वीं सदी ईसा पूर्व की एक मूर्ति में एसायरियन राजा और बेबीलोन के राजा को हाथ मिलाते हुए उकेरा गया.

जाने कितनी सदियां गुज़र गईं..!
हाथ मिलाने का सबसे पुराना सबूत नौ शताब्दी ईसा पूर्व की एक नक्काशी के तौर पर मिलता है. हिस्ट्री.कॉम के मुताबिक इस नक्काशी में एसायरियन राजा और बेबीलोन के राजा को हाथ मिलाते हुए उकेरा गया है. इसके अलावा, महान इतालवी कवि होमर ने इलियड और ओडिसी जैसी अमर रचनाओं में संकल्प और विश्वास जताने के प्रसंगों में हाथ मिलाए जाने का ज़िक्र कई बार किया है.

साथ ही, पांच से चार शताब्दी ईसा पूर्व के समय में यूनानी अंत्येष्टि कलाओं में भी हाथ मिलाने के प्रतीक मिलते हैं. रोमन काल के कुछ सिक्कों में भी हाथ मिलाए जाने के प्रतीक चित्रित मिलते हैं.

दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला..!
डीपइंग्लिश.कॉम के मुताबिक रोमन काल में हाथ मिलाने का चलन वास्तव में भुजाएं पकड़ने का था. बांह पकड़कर एक दूसरे के पास हथियारों को चेक कर लिया जाता था. यह सिलसिला शुरू होने के बारे में इस लेख में कहा गया है कि यह मध्यकालीन यूरोप में शुरू हुआ.

और ये तो हाल की ही बात है..!
प्राचीन काल में हाथ मिलाने के संदर्भ कई अर्थों में मिलते हैं, लेकिन आधुनिक दुनिया में रोज़मर्रा के तौर तरीकों में यह चलन करीब 300 साल पुराना है. 17वीं सदी में धार्मिक संगठन के कुछ लोगों ने समझा कि झुकने और हैट उतारकर अभिवादन की तुलना में हाथ मिलाने का तरीका ज़्यादा समतावादी है. 1800 ईस्वी तक तो हाथ मिलाने के बारे में बाकायदा गाइडलाइन्स और मैनुअल्स बनने लगे थे.

अब देखो ज़रा पीछे रखो हाथ..!
कोविड 19 के इस समय में अब ये आशंकाएं जताई जा रही हैं कि सदियों पुराना यह चलन खत्म हो सकता है ताकि संक्रमणों से बचाव हो सके. लेकिन, अब नहीं बल्कि पहले भी कुछेक बार इस तरह की आशंकाएं जताई जा चुकी हैं. 1920 के दशक में नर्सिंग संबंधी अमेरिकी पत्रों में लेख कहते थे कि लोगों के हाथ मिलाने से बैक्टीरिया संक्रमण होता है, लिहाज़ा उस वक्त अमेरिकियों को अपने ही दोनों हाथ मिलाकर दूसरे का अभिवादन करने की सलाह दी जाती थी, जैसे चीनी किया करते थे.

इस तरह के सुझाव और सलाहें समय समय पर आते रहे हैं. 2015 में यूसीएलए के एक अस्पताल ने अपने आईसीयू में ‘हैंडशेक फ्री’ ज़ोन बनाया था, जो हाथ न मिलाने के लिए पुरज़ोर संदेश था.

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एक दूसरे के गालों को चूमने और मुट्ठियां टकराने जैसे अभिवादन भी भविष्य में कम प्रचलित होने की आशंकाएं हैं.

हाथ मिलाओ न गले मिलो तपाक से..!
कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के बाद अमेरिका ही नहीं बल्कि कई देश हर हाल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत देते हुए लॉकडाउन में ढील दे रहे हैं. विशेषज्ञों के हवाले से बीबीसी के लेख में कहा गया है कि यह भी संभव है कि दुनिया दो तरह के लोगों में बंट जाए, एक, जो स्पर्श को ठीक समझें और दूसरे जो दूरी बनाने का सही मानें. ऐसा हुआ, तो कुछ गंभीर मनोवैज्ञानिक डिसॉर्डर देखे जा सकते हैं.

बस दूर ही से करके सलाम..!
हैंडशेक के एक विकल्प के तौर पर अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में फिस्ट बम्प यानी मुट्ठी को टकराने का चलन बढ़ रहा था, लेकिन कोविड 19 महामारी के बाद की दुनिया में शायद यह भी लो​कप्रिय नहीं रहेगा क्योंकि स्पर्श की दूरी को लेकर एक लहर दौड़ेगी. ऐसे में नमस्ते, सलाम या अपना ही हाथ अपने ही सीने पर रखकर अभिवादन के चलन ज़्यादा आम होने की उम्मीद नज़र आ रही है. गालों को चूमना तो अब ज़्यादा अपनेपन नहीं बल्कि ज़्यादा खतरे का तौर तरीका होगा.

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