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कोरोना लॉकडाउन से चरमराई ग्रामीण अर्थव्यवस्था, ट्रैक्टर बिक्री में रिकॉर्ड गिरावट, Rural economy severely affected by the covid-19 lockdown record drop in tractor sale in march 2020-Agriculture-dlop | business – News in Hindi

कोरोना लॉकडाउन से चरमराई ग्रामीण अर्थव्यवस्था, ट्रैक्टर बिक्री में रिकॉर्ड गिरावट

कृषि कार्य में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है ट्रैक्टर

कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से मार्च 2020 में देश भर में सिर्फ 35,216 ट्रैक्टर ही बिके. ज्यादातर कृषि कार्य के लिए होता है इस्तेमाल

नई दिल्ली. कोरोना वायरस लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. इसकी सीधी मार ट्रैक्टर इंडस्ट्री पर पड़ी है. पिछले तीन साल में इस बार मार्च में सबसे कम ट्रैक्टर बिका है. ट्रैक्टर की कम और ज्यादा बिक्री से कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास व स्लो डाउन से जोड़कर देखा जाता है. क्योंकि इसका ज्यादातर कृषि कार्य के लिए इस्तेमाल होता है और यह गांवों में बिकता है.

लॉकडाउन के बावजूद जरूरत को देखते हुए कृषि क्षेत्र को खुला रखा गया है लेकिन इस सेक्टर में सबसे ज्यादा काम आने वाला ट्रैक्टर नहीं के बराबर बिका है. ट्रैक्टर मेन्युफेक्चरर एसोसिएशन (Tma-Tractor Manufacturers Association) के मुताबिक मार्च 2018 में 83114 यूनिट की सेल हुई थी बिक्री जो मार्च 2020 में घटकर सिर्फ 35216 रह गई. जबकि 2019 में भी 70,686 ट्रैक्टर बिक गए थे.

कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural economy) के जानकार विनोद आनंद कहते हैं कि ट्रैक्टर की ज्यादा बिक्री को आमतौर पर एग्रीकल्चर और ग्रामीण विकास से जोड़कर देखा जाता है. इस साल मार्च में इसकी कमी के दो कारण नजर आ रहे हैं. पहला कोरोना और दूसरा किसानों के पास क्रेडिट की कमी. ट्रैक्टर कृषि क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी चीज है लेकिन कोई भी किसान इसे तभी खरीदता है जब उसके पास सरप्लस पैसा हो. क्योंकि यह बहुत महंगी मशीन है.

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लॉकडाउन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है (प्रतीकात्मक फोटो)

किसान भाई ट्रैक्टर से जमीन को जोतकर खेती के लिए तैयार करते हैं. यह खेतों में बीज डालने, पौध लगाने, फसल लगाने और फसल काटना, थ्रेसिंग सहित कई काम में आता है. कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा भी मानते हैं कि ट्रैक्टर बिक्री बुरी तरह घटने के पीछे लॉकडाउन का असर है.

उधर, ट्रैक्टर उद्योग में लंबे वक्त तक काम कर चुके आरके चिलाना कहते हैं कि यह इंडस्ट्री पूरी तरह से से ग्रामीण और कृषि ग्रोथ (Agriculture growth) पर टिकी हुई है. सेल इतनी गिरने का मतलब है कि गांवों और खेती को कोरोना से बहुत नुकसान पहुंचा है. लोगों के पास पैसा नहीं है. अप्रैल में इसकी सेल नहीं के बराबर होगी. किसानों की सब्जियां, फल सब खराब हो गए तो वो ट्रैक्टर कहां से खरीदेंगे. ग्रामीण अर्थव्यवस्था अगर नहीं ठीक हुई तो ट्रैक्टर ही नहीं दूसरे उद्योगों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा.

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First published: May 8, 2020, 1:10 PM IST



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