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क्यों गिलगिट को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच बना गंभीर टकराव का माहौल ।why india strongly protest to pakistan for elections in gilgit baltistan and it can be serious confrontation | pakistan – News in Hindi

भारत और पाकिस्तान के बीच एक नया तनाव पैदा होने जा रहा है. ये आने वाले दिनों में गंभीर टकराव की नौबत लाएगा. गिलगित- बाल्टिस्तान इलाके में पाकिस्तान चुनाव कराने जा रहा है. भारत इस इलाके को अपना मानता आया है. 70 सालों से कहीं अधिक समय से पाकिस्तान ने अवैध तौर पर जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों के साथ इस पर कब्जा किया हुआ है. भारत ने पाकिस्तान को वहां चुना्व नहीं कराने के साथ इलाके को खाली करने की चेतावनी दी है. लेकिन ये पक्का ये मामला कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच बहुत गंभीर स्थिति ला सकता है.

दरअसल पिछले दिनों पाकिस्तान ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर गिलगित के कानून में बदलाव के साथ चुनाव कराने की अनुमति मांगी थी. पिछले हफ्ते गुरुवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने के पक्ष में फैसला दिया. भारत की नाराजगी इसी फैसले पर है. भारत ने पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक को आपत्ति पत्र जारी किया और तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है.

सवाल – क्या रही है अब तक गिलगित – बाल्टिस्तान की स्थिति?
– ब्रिटेन से आज़ादी से पहले गिलगित बाल्तिस्तान जम्मू-कश्मीर रियासत का अंग हुआ करता था. लेकिन 1947 के बाद से इस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. भारत हमेशा से पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान को अपना क्षेत्र मानता आया है. भारत इस स्टैंड पर कायम है. भारत का कहना है जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने अपने इस पूरे साम्राज्य के भारत में कानूनी तौर पर विलय को मंजूरी दी थी.विवाद इसलिए भी है क्योंकि पिछले करीब 70 सालों से यहां स्वायत्तशासी राज्य सरकार रही है. वो खुद अपना चुनाव कराती थी. खुद गिलगित के लोगों ने कभी पाकिस्तान के नियंत्रण में रहना कभी स्वीकार नहीं किया है. अब नया इस इलाके की स्थिति में बदलाव कर देगा. लिहाजा खुद गिलगित-बाल्टिस्तान में भी इसका विरोध हो रहा है.

सवाल – भारत का इस पूरे मामले पर क्या कहना है ?
– भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान दूतावास के वरिष्ठ राजनयिक को बुलाकर पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विरोध पत्र सौंपा है. भारत ने कहा है कि पाकिस्तान को चुनाव कराने की बजाए गिलगित और बल्तिस्तान को तुरंत ख़ाली करना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में कहा है कि वहाँ चुनाव कराने का पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है.

सवाल – पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है, जिससे उबाल आया?
– 30 अप्रैल को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने वहाँ चुनाव कराने को मंज़ूरी दी. पाकिस्तान ने कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट से गवर्नमेंट ऑफ गिलगित-बाल्टिस्तान 2्018 में संशोधन कराकर वहां चुनाव की अनुमति मांगी थी. जिसमें वहां होने वाले चुनाव से पहले पाकिस्तान द्वारा एक अंतरिम सरकार काम करेगी. वही वहां चुनाव कराएगी. विरोध इसी बात का है. भारत सरकार और खुद गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों का कहना है कि ये इलाका पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीकरण क्षेत्र में नहीं आता, लिहाजा उसको इस बारे में फैसला देने का नहीं है.

गिलगित का इलाका दुनिया के सबसे सुंदर इलाकों में माना जाता है. इस क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले 72 बरसों से विवाद रहा है. अब ये विवाद गंभीर मोड़ ले सकता है

यही एक फ़ैसला है, जो गिलगित बल्तिस्तान को लेकर पहली बार हुआ है. आम तौर भी पाकिस्तान में नए चुनाव से पहले एक अंतरिम सरकार का गठन होता है, जो चुनाव की निगरानी करती है. लेकिन गिलगित में कभी ऐसा नहीं हुआ. ये फैसला पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस ग़ुलज़ार अहमद की अगुआई वाली सात सदस्यीय खंडपीठ ने दिया है.

सवाल – अंतरिम सरकार बनाकर चुनाव होने से क्या होगा?
-पाकिस्तान कानूनी तौर पर ये दिखाएगा कि ये इलाका अब उसका है. फिर चुनाव उसी के द्वारा गठित अंतरिम सरकार की अगुवाई में होगा तो ये तय है कि पाकिस्तान वहां चुनाव में व्यापक गड़बड़ियां करके अपनी कठपुतली सरकार वहां बनवाएगा. जून में यहां की सरकार का कार्यकाल खत्म होते ही पाकिस्तान समर्थित अंतरिम सरकार बनेगी, जो सितंबर में चुनाव कराएगी.

सवाल – गिलगित-बाल्टिस्तान में फिलहाल क्या वैधानिक स्थिति है?
– 2018 में पाकिस्तान ने कई महत्वपूर्ण अधिकार गिलगित-बाल्टिस्तान असेंबली को दे दिए थे. वैसे उसमें भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का अहम रोल होता था.
पहले गिलगित-बाल्सि्तान पर फ़ैसला करने के लिए एक कमेटी होती थी, जिसके प्रमुख पाकिस्तान के पीएम होते थे. लेकिन 2009 के इस आदेश को 2018 में संशोधित कर दिया गया था. गिलगित-बाल्टिस्तान की मौजूदा सरकार का कार्यकाल जून में ख़त्म हो रहा है. इसके 30 दिनों के अंदर वहाँ आम चुनाव होने चाहिए. गिलगित बाल्टिस्तान में पहले भी कई बार चुनाव हुए हैं, कई मुख्यमंत्री बन चुके हैं. लेकिन पहली बार चुनावों को पाकिस्तान सरकार अपने तरीके से कराने की कोशिश में लगी है.

नया विवाद पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पैदा हुआ है. कोर्ट ने वहा अंतरिम सरकार का गठन करके चुनाव कराने को कहा है

सवाल – भारत के विरोध पर पाकिस्तान ने क्या जवाब दिया है?
– गिलगित बल्तिस्तान पर भारत की प्रतिक्रिया को पाकिस्तान ने ख़ारिज कर दिया है. बल्कि उसने इस इलाके को विवादित क्षेत्र बताया है.

सवाल – गिलगित-बाल्टिस्तान की सीमाएं किन देशों को छूती हैं?
– इसकी सीमाएं चार देशों भारत, पाकिस्तान, चीन और तजाकिस्तान से मिलती हैं. इनमें से तीन देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं.इस कारण गिलगित बल्तिस्तान का सामरिक महत्व भी है. चीन की चर्चित इकॉनॉमिक कॉरिडोर योजना भी गिलगित- बाल्टिस्तान से होकर गुज़रती है. पाकिस्तान को चीन से जोड़ने वाला काराकोरम हाईवे भी इसी इलाक़े में है. अमेरिका और भारत दोनों पाकिस्तान-चीन इकॉनॉमिक कॉरिडोर को लेकर पहले ही अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कर चुके हैं. मगर इसकी भौगोलिक स्थिति इसे भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लिए और ज़्यादा महत्वपूर्ण बना देती है.73 हज़ार किलोमीटर में फैले गिलगित बल्तिस्तान की आबादी क़रीब 20 लाख है.

गिलगित के इस इलाके में लंबे समय से पाकिस्तान से अलग होने का आंदोलन भी चल रहा है. यहां के लोगों में पाकिस्तान को लेकर खासा अंसतोष रहता आया है

सवाल – क्या गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाका बहुत खूबसूरत है?
– बेमिसाल प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फ़ से ढके पहाड़ों, ख़ूबसूरत घाटियों और फलों के बगीचों वाले गिलगित-बल्तिस्तान की सुंदरता अद्वितीय है. गिलगित 4900 फुट की ऊंचाई वाले कराकोरम की छोटी बड़ी पहाड़ियों द्वारा घिरा हुआ . यहां सिंधु नदी भारत के लद्दाख से निकलकर बाल्टिस्तान और गिलगित होकर बहती है. गिलगित-बाल्टिस्तान में ही बालटॉरो नाम का एक सुप्रसिद्ध ग्लेशियर भी है. कराकोरम क्षेत्र पर ही हिंद्कुश और तिरिच मीर नाम के वाले दो ऊंची पर्वत भी हैं जो दुनिया की 33वीं ऊँची पर्वत श्रृंखला हैं. गिलगित घाटी में सुंदर झरने और फूलों की सुंदर घाटियां हैं.

सवाल – गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ असंतोष क्यों है?
– इस इलाके में लंबे समय से पाकिस्तान से स्वतंत्र होने का आंदोलन चल रहा है. इस आंदोलन की अगुवाई शब्बीर मेहर करते रहे हैं, जो गिलगित-बल्तिस्तान डेमोक्रेटिक फ़्रंट के लीडर हैं. यहां के लोग मानते हैं कि पाकिस्तान का रुख़ गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के साथ न्यायसंगत नहीं रहा है.

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